कलियुग में तारने वाले भगवान ही है, जारी है सुंदरराज जी की भागवत की कथा
 

ऐसे ही कई लोग यज्ञ में जाते हैं तो भजन सुनने कभी नहीं जाते हैं और जब भंडारे चलते हैं तो सीधे भोग लगाने पहुंच जाते हैं। ये गलत है। हम जब भी जायें पहले सेवा करें.. फिर भोजन करें। द्वापर व त्रेता युग में मूर्तियां बोलती थीं।
 

महुआरी खास गांव में चल रहा है आयोजन

भक्तों को श्रीमद्भागवत कथा का करा रहे रसपान

 सुन्दरराज स्वामीजी 32 दिन से सुना रहे हैं कथा
 

चंदौली जिले के महुआरी खास गांव में गंगा तट पर चल रहे श्रीमद भागवत कथा के 32 वें दिन सन्त सुंदर राज स्वामी ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण के साथ साथ बलदाऊ व ग्वाल बाला जंगल मे गाय चराते चराते दूर निकल गये । सबको भूख लगी तो भगवान बोले पास ही यज्ञ हो रहा है । चलो चलते हैं। सन्त कहते हैं, सबसे प्रेम करो ,सब अपने हैं। सब सन्तों के पास गये और बोले जो भी है दे दीजिए.. भूख लगी है। सन्तों ने कहा कि पहले भजन करो फिर भोजन मिलेगा। 

आगे कहा कि ऐसे ही कई लोग यज्ञ में जाते हैं तो भजन सुनने कभी नहीं जाते हैं और जब भंडारे चलते हैं तो सीधे भोग लगाने पहुंच जाते हैं। ये गलत है। हम जब भी जायें पहले सेवा करें.. फिर भोजन करें। द्वापर व त्रेता युग में मूर्तियां बोलती थीं। भगवान सन्तों से बोले कि कोई भी भूखा है तो उसको भोजन कराना चाहिए। साधु किस भेष में आ जाये कोई नहीं जानता है। दरवाजे से याचक बिना भोजन किये लौट जाये तो यह तिरस्कार है। हम प्रयास करें कि जो कुछ भी थोड़ा बहुत दान करना चाहिए।

 यज्ञ का फल, अनुष्ठान का फल, पूजन अर्चन का फल तब मिलता है, जब हमारे अंदर परिवर्तन हो जाय। कलियुग में तारने वाले भगवान है। कितना भी बड़ा दुराचारी, चोर हो यदि भगवान के शरण में जाकर सब कुछ समर्पण कर दे तो उसे क्षमा कर देना चाहिए, ताकि वह प्रायश्चित कर सके। 
            


इस दौरान आयोजक ग्राम प्रधान सतेन्द्र सिंह मिंटु, दीपक सिंह, हरिद्वार यादव, नरेंद्र गुप्ता, अभय सिंह, बिंध्याचल तिवारी , कृष्ण कुमार सिंह, गणेश सिंह, महेंद्र यादव, रंगीले तिवारी ,गोपेश सिंह आदि सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।