कहीं दंडवती तो कहीं रातभर जागकर छठ घाटों की होती रही रखवाली
 

देशभर में अलग अलग स्थानों पर छठ पूजा अलग अलग तरीके से मनायी जाती है। इस पूजा के लिए महिलाएं तरह-तरह की मनौती मानती हैं
 

देशभर में अलग अलग स्थानों पर छठ पूजा अलग अलग तरीके से मनायी जाती है। इस पूजा के लिए महिलाएं तरह-तरह की मनौती मानती हैं और मनौती पूरी होने के बाद कई भक्तों और श्रद्धालु उसी तरह से उसको पूरा भी करते हैं।

 छठ पूजा के दौरान भी कई तरह की मनौती मानी जाती है और लोग भगवान सूर्य को साक्षी मानकर मनौती को पूरा होने के बाद अलग अलग तरीके से पूजा करते हैं। छठ पूजा के दौरान कुछ लोग सामान्य तरीके से निर्जला व्रत रहकर पूजा करते हैं, तो वहीं कुछ जगहों पर आपको दंडवती करते हुए महिलाएं अपने घर से घाट तक जाती दिखायी देती हैं। कहा जाता है कि जिन महिलाओं ने दंडवती छठ पूजा की मान्यता की होती है वह इस अवसर पर अपना मनोरथ पूरे होने के बाद इस तरह से गाजे-बाजे के साथ दंडवत करते हुए घर से घाट तक जाती हैं।

 कुछ महिलाएं रात्रि जागरण करते हुए घाट को अगोरने की भी मन्नत मानती हैं। अगर उनकी मन्नत पूरी होती है, तो अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के बाद वह सवेरे उदयाचलगामी को अर्घ्य देने तक घाट को नहीं छोड़ती और रात भर जागरण करते हुए गीत और भजन गाती हैं।

 ऐसा माना जाता है कि महिलाएं पुत्र की प्राप्ति और संतान पराए किसी संकट को दूर करने के लिए इस तरह की मान्यताएं मानती हैं और पूरी होने के बाद पूरे लगन और निष्ठा के साथ छठ माता की पूजा करती हैं।