रख रहे हैं हरियाली तीज का व्रत तो भूल से भी न करें ये काम, पूजा के बाद जरूर सुनें व्रत कथा 

सावन के महीने में कई व्रत त्योहार आते हैं और उन्हीं में से एक है हरियाली तीज का व्रत जो सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को रखा जाता है।
 

इस बार हरियाली तीज का व्रत 11 अगस्त बुधवार को रखा जाएगा। हरियाली तीज को श्रावणी तीज के अलावा मधुस्रवा तीज के नाम से भी जाना जाता है।  11 अगस्त को पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के साथ ही शिव योग में हरियाली तीज मनेगी जो बेहद शुभ है और इस बार पूजा व व्रत का मनोवांछित फल मिलेगा। 

सावन के महीने में कई व्रत त्योहार आते हैं और उन्हीं में से एक है हरियाली तीज का व्रत जो सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को रखा जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं व्रत रखती है, भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती है और उनसे अखंड सौभाग्य के साथ ही दांपत्य सुख का वरदान मांगती है। माना जाता है कि इसी दिन कठिन तपस्या के बाद माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया था, उनकी तपस्या फलित हुी थी इसीलिए सुहागिन महिलाएं ये व्रत रखती है। 

इस बार हरियाली तीज का व्रत 11 अगस्त बुधवार को रखा जाएगा। हरियाली तीज को श्रावणी तीज के अलावा मधुस्रवा तीज के नाम से भी जाना जाता है।  11 अगस्त को पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के साथ ही शिव योग में हरियाली तीज मनेगी जो बेहद शुभ है और इस बार पूजा व व्रत का मनोवांछित फल मिलेगा। 

बेहद खास होता है हरियाली तीज का पर्व 

सावन में प्रकृति चारों ओर हरियाली की चादर बिछा देती है, ऐसे में मन का मयूर नाच उठता है। हरियाली तीज पर जहां पूजा-पाठ व व्रत आदि का महत्व है उसी तरह इस पर्व पर सौलह श्रृंगार का भी महत्व है और महिलाएं हाथों में मेहंदी लगाकर सहेलियों के साथ झूले झूलती है और प्रकृति की सुंदरता का आनंद लेती है। वहीं हरियाली तीज का ये पर्व उन नवविवाहिताओं के लिए बेहद खास होता है जिनकी नई-नई शादी हुई हो। पहले सावन में नवविवाहिता ससुराल में नहीं रहती बल्कि अपने मायके जाती है। वहीं तीज का ये पावन पर्व मनाती है और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती है। 

हरियाली तीज पर क्या करें 

हरियाली तीज पर सुहागिन महिलाएं पूरे विधि-विधान से भगवान शिव और पार्वती की पूजा करती है औ उनसे अखंड सौभाग्य का वरदान मांगती है। जहां इस दिन सौलह श्रृंगार करने का महत्व है वहीं कुछ ऐसी चीजों का भी ध्यान रखना होता है जो इस दिन नहीं करना चाहिए। ऐसे में यहां जान लेना ठीक रहेगा कि हरियाली तीज पर क्या कुछ करें और क्या न करें जिससे कि पूजा का पूरा फल मिल सके। 

-हरियाली तीज पर हरे कपड़े, हरी चूड़ियां पहनने का विधान है। मेहंदी भी लगाई जाती है। हरे रंग को खुशी और सेहत का प्रतीक माना जाता है। 

- इस दिन माता-पिता बेटी को साड़ी, श्रृंगार का सामान, मिठाई फल आदि भेजते हैं। यही कपड़े वो पहनती है और ऐसा करना शुभ माना जाता है। 

-हरियाली तीज पर पूजा के बाद व्रत कथा सुनी जाती है जिसके बगैर पूजा को अधूरी माना जाता है। 

-साथ ही इस दिन तीज माता के गीत गाने का भी महत्व है। 

-साथ ही व्रती महिलाओं को बड़ों का आदर-सम्मान करना चाहिए, सभी के प्रसन्नता का ख्याल रखें और अच्छे कार्य करें, जिससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो। 

हरियाली तीज पर भूल से भी न करें ये काम 

-हरियाली तीज का व्रत निर्जला होता है तो इस दिन पानी प पिएं। हालांकि, ये गर्भवती और बीमार महिलाओं पर लागू नहीं होता है.

-हरियाली तीज का व्रत पति की लंबी आयु व सलामती के लिए होता है तो ऐसे में जीवनसाथी को किसी तरह का झूठ न बोलें और न ही किसी तरह का धोखा दें। 

-इस दिन काले व सफेद कपड़ों को बिलकुल न पहनें। ऐसा करना अशुभ माना जाता है। 

-व्रती महिलाएं रात को सोने की बजाय माता के भजन कीर्तन करें, कथा आदि सुनें तो अच्छा होगा। 

-व्रत करने वाली महिलाएं किसी निंदा, चुगली आदि न करें और न ही किसी को भला-बुरा कहें। 

-हरियाली यानी प्रकृति और मां पार्वती को प्रकृति का रूप माना गया है इसलिए व्रत रखने वालों को किसी भी तरह से प्रकृति या पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए।

-जो सुहागिन स्त्रियां यह व्रत रख रही हैं उन्हें इस दिन दूध का सेवन नहीं करना चाहिए। मान्यताओं के अनुसार, अगर व्रत रखने वाली सुहागिन स्त्रियां दूध का सेवन करती हैं तो इससे अशुभ परिणाम मिल सकता है। 

-हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार किसी भी व्रत का पारण हमेशा पारण मुहूर्त में ही करना चाहिए। अगर व्रत पारण मुहूर्त से पहले या बाद में तोड़ा जाए तो व्रत का फल नहीं मिलता है।


हरियाली तीज की व्रत कथा 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार हिमालयराज के घर माता पार्वती ने पुनर्जन्म लिया। बचपन से ही उन्होंने शिव को पति के रूप में पाने की कामना की थीं। समय बीतने के साथ एक दिन नारद मुनी राजा हिमालय से मिलने गए और वहां पर उन्होंने माता पार्वती से शादी के लिए भगवान विष्णु का नाम सुझाया। हिमालयराज को भी ये बात अच्छी लगी। उन्होंने विष्णु को दामाद के रूप में स्वीकराने की सहमति दे दी।


जब माता पार्वती को पता चला कि उनका विवाह विष्णु से तय कर दिया गया है तो वो काफी निराश हो गईं। भगवान शिव को पाने के लिए एकांत जंगल में चली गई वहा उन्होंने रेत से शिवलिंग बनाया और व्रत किया। शिव को पति के रूप में पाने के लिए माता पार्वती ने कठोर तपस्या की। 

माता पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनकी इच्छा पूरी होने का वरदान दिया। दूसरी तरफ जब पर्वतराज हिमालय को माता पार्वती के मन की बात पता चली तो उन्होंने भगवान शिव से माता पार्वती की शादी के लिए तैयार हो गए। आखिरकार माता पार्वती की शादी संपन्न हो गया और तभी से इस दिन को हरियाली तीज के रूप में मनाया जाता है।