पहले सावन सोमवार को विधि-विधान से शुभ मुहूर्त में करें शिव उपासना, ये रही पूजा सामग्री की लिस्ट

सावन सोमवार से पहले जान लें शिव पूजा सामग्री की पूरी लिस्ट, न करें इन चीजों को चढ़ाने की गलती 

 
सावन का पावन महीना आज से शुरू हो चुका है और कल यानी 26 जुलाई को है सावन का पहला सोमवार। सावन सोमवार को पूरे विधि-विधान से भगवान शंकर की पूजा की जाती है, व्रत रखा जाता है और माना जाता है कि सावन सोमवार की पूजा बेहद फलदायी होती है।

सावन का पावन महीना आज से शुरू हो चुका है और कल यानी 26 जुलाई को है सावन का पहला सोमवार। सावन सोमवार को पूरे विधि-विधान से भगवान शंकर की पूजा की जाती है, व्रत रखा जाता है और माना जाता है कि सावन सोमवार की पूजा बेहद फलदायी होती है। भोलेनाथ को सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाला भगवान माना जाता है और भक्तजन वर्षपर्यंत हर सोमवार को शिव पूजा करते हैं पर सावन के महीने का महत्व अधिक है क्योंकि माना जाता है कि इस माह शिव-पार्वती पृथ्वी पर भ्रमण के लिए आते हैं। 

एक लोटे जल से भी प्रसन्न हो जाते हैं महादेव वहीं अगर कोई भक्त पूरे विधि-विधान से उनकी पूजा करे, पूजा में सही पूजा सामग्री का उपयोग करे और जान ले कि किन चीजों को चढ़ाने से शिव-शंकर हो जाते हैं नाराज और भगवान आशुतोष का क्रोध तो जग-जाहिर है। इसलिए शिव पूजा से पहले इन सब बातों का ध्यान रखें जिससे कि आपकी पूजा तुरंत फलित हो सके। 

शिव पूजा में करें इन चीजों का उपयोग 

शिव पूजा से पहले आप कर लें इसकी पूरी तैयारी जिससे कि पूजा में किसी चीज की कमी न रहे। भोलेनाथ की पूजा में करें इन चीजों का इस्तेमाल .... पुष्प, पंच फल, पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि।

भूल से भी भोलेनाथ को न चढ़ाएं ये चीजें 

भगवान शंकर की पूजा में कुछ चीजों की कमी रह जाए तो कोई बात नहीं पर कुछ चीजें ऐसी भी है जिनको चढ़ाने से शिव जी नाराज हो जाते हैं और भक्त को उनका कोप भाजन बनना पड़ता है। ऐसे में पूजा से पहले ही जान लेना ठीक रहता है कि शिव जी को क्या नहीं चढ़ाना है। 

तो आइये यहां जानते हैं कि किन चीजों का शिव पूजा में उपयोग नहीं करना चाहिए ....

-सबसे पहले तो यह जान लें कि शिव पूजा में लाल चंदन का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि भगवान शिव को वैरागी माना जाता है। वहीं लाल चंदन सौभाग्य का प्रतीक है इसलिए भगवान शिव को लाल रंग की कोई भी चीज अर्पित न करें।

- गुड़हल का लाल फूल लाल रंग होने की वजह से भाग्य का प्रतीक है इसलिए भगवान शिव को अर्पित न करें।

-भगवान शिव की पूजा में तुलसी का प्रयोग नहीं किया जाता है क्योंकि भगवान शिव ने तुलसी के वृंदा रूप में पति रहे जलंधर का वध किया था। वृंदा के तुलसी रूप को भगवान विष्णु लक्ष्मी की तरह प्रिय होने का वरदान दिया था। 

-शिवपुराण के अनुसार भगवान शंकर ने शंखचूड़ नाम के एक असुर का वध क‌िया था। इसल‌िए शंख का प्रयोग श‌िव जी की पूजा में वर्ज‌ित है।

-तिल भगवान विष्णु के मैल से पैदा हुआ था इसलिए भगवान शिव को तिल नहीं चढ़ाया जाता है। ऐसा करने से भगवान शिव नाराज हो सकते हैं।

सावन सोमवार को ऐसे करें भोलेनाथ की पूजा

सावन सोमवार की पूजा अगर विधिवत की जाए तो शुभ होता है और भक्त के सारे कष्ट भगवान शिव दूर कर देते हैं। तो आइये यहां जानते हैं कि कैसे की जाए सावन सोमवार को शिव पूजा ....

-शिव पूजा जितनी जल्दी की जाए उतना अच्छा होता है तो इस दिन सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ कपड़े धारण करें। 

-इसके बाद घर के मंदिर की साफ-सफाई करें क्योंकि पूजा का स्थान साफ सुथरा होना चाहिए। 

-फिर पूजा घर में दीप जलाएं और सभी देवी-देवता का आह्वान करें। 

-सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें।

- शिवलिंग पर गंगा जल और दूध चढ़ाएं।

- भगवान शिव को पुष्प अर्पित करें।

- भगवान शिव को बेल पत्र अर्पित करें।

- पूजा के बाद भगवान शिव की आरती करें और भोग भी लगाएं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान शिव का अधिक से अधिक ध्यान करें।

सावन सोमवार पूजा का मुहूर्त 

इस बार सावन के पहले सोमवार को भगवान शिव की पूजा सौभाग्य योग में की जाएगी। इस दिन श्रावण मास की तृतीया तिथि, धनिष्ठा नक्षत्र रहेगा। चंद्रमा 26 जुलाई को कुंभ राशि में रहेंगे, जहां पर देव गुरु बृहस्पति वक्री होकर विराजमान हैं।

सावन के पहले सोमवार के दिन रात 10 बजकर 40 मिनट तक सौभाग्य योग रहेगा। ये योग नाम के अनुरूप ही भाग्य को बढ़ाने वाला और वैवाहिक जीवन को सुखद बनाने वाला है। साथ ही सुबह 10 बजकर 26 मिनट तक धनिष्ठा नक्षत्र रहेगा। उसके बाद शतभिषा नक्षत्र लग जाएगा। तो इस शुभ योग में कर लें शिव पूजा।