करवाचौथ से भी कठिन होता है हरतालिका तीज का व्रत, जरूरी है इन नियमों का पालन, गलती से भी न करें ये काम 

ये व्रत करवाचौथ से भी कठिन है क्योंकि करवाचौथ में तो रात में चंद्रमा की पूजा करके, अर्घ्य देकर व्रत का पारण कर लिया जाता है पर इस व्रत के पारण से पहले पानी की एक बूंद भी ग्रहण करना वर्जित है। 

 

हरतालिका तीज के दिन व्रत रखने वाली महिलाएं भगवान शिव व देवी पार्वती की पूजा करती है। धार्मिक मान्यता है कि जो महिलाएं यह व्रत सच्चे मन से करती हैं मां गौरा उनकी कामना को पूर्ण करती हैं। यह व्रत विधि-विधान से किया जाता है। 

हरतालिका तीज का व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए रखती है और कुंवारी लड़कियां मनचाहा वर पाने के लिए। ये व्रत भाद्रपद माह के शुक्लपक्ष की तृतीया को रखा जाता है। इस बार हरतालिका तीज का ये व्रत 9 सितंबर गुरुवार को रखा जाएगा। यह इसी व्रत का प्रताप माना जाता है कि देवी पार्वती को शिवजी ने अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था।

इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और फिर दूसरे दिन व्रत का पारण किया जाता है। ये व्रत करवाचौथ से भी कठिन है क्योंकि करवाचौथ में तो रात में चंद्रमा की पूजा करके, अर्घ्य देकर व्रत का पारण कर लिया जाता है पर इस व्रत के पारण से पहले पानी की एक बूंद भी ग्रहण करना वर्जित है। 

हरतालिका तीज के दिन व्रत रखने वाली महिलाएं भगवान शिव व देवी पार्वती की पूजा करती है। धार्मिक मान्यता है कि जो महिलाएं यह व्रत सच्चे मन से करती हैं मां गौरा उनकी कामना को पूर्ण करती हैं। यह व्रत विधि-विधान से किया जाता है। 

व्रती महिलाएं पूरे विधि-विधान से इस दिन व्रत रखती, वहीं पूजा में किसी चीज की कमी नहीं होने देती। पहले से सारी तैयारी कर लेती है वहीं इस दिन व्रती महिलाओं को कुछ खास नियमों का पालन भी करना होता है जिससे कि व्रत का पूरा फल मिल सके। कुछ ऐसे काम भी है जो इस दिन नहीं करने चाहिए। 

तो आइये यहां जानते हैं हरतालिका तीज व्रत के ये नियम ....

-इस व्रत को सुहागिन महिलाएं और कुंवारी कन्याएं रखती हैं। खास बात ये है कि एक बार व्रत रखने के बाद जीवन भर इस व्रत को रखना पड़ता है। 

-अगर कभी महिला ज्‍यादा बीमार हो जाए तो उसके बदले घर की अन्‍य महिला या फिर पति भी इस व्रत को रख सकता है। पर व्रत रखना जरूर पड़ता है। 

- व्रत करने वाली महिला को किसी पर भी गुस्‍सा नहीं करना चाहिए। यही वजह है कि इस दिन महिलाएं मेहंदी लगाती हैं।

- व्रत करने वाली महिला को पति के साथ क्‍लेश नहीं करना चाहिए। मान्‍यता है कि ऐसा करने से व्रत अधूरा रह जाता है।

- अगर आप इस व्रत को रख रही हैं तो किसी बुजुर्ग का अपमान न करें। मान्‍यता है कि ऐसा करने से व्रत का फल नहीं मिलता है।

-हरतालिका तीज व्रत में जल ग्रहण नहीं किया जाता है। व्रत के बाद अगले दिन जल ग्रहण करने का विधान है।

- इस व्रत में सोने की मनाही होती है। यहां तक कि रात को भी सोना वर्जित है। रात के वक्‍त भजन-कीर्तन किया जाता है। मान्‍यता है कि इस दिन व्रत करने वाली महिला अगर रात को सो जाए तो वह अगले जन्‍म में अजगर बनती है।

- मान्‍यता है कि अगर व्रत करने वाली महिला इस दिन गलती से भी कुछ खा-पी ले तो वह अगले जन्‍म में बंदर बनती है।

- मान्‍यता है कि अगर व्रत करने वाली महिला इस दिन दूध पी ले तो वह अगले जन्‍म में सर्प योनि में पैदा होती है।

- व्रत अगले दिन सूर्योदय के बाद माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाने के बाद ही तोड़ा जाता है। 

- हरितालिका तीज की पूजा गोधली बेला में की जाती है।

- व्रत में हमेशा हाथ से बनाए हुए मिट्टी के शिव,पार्वती और गणेश की पूजा करनी चाहिए।

-अगले दिन भोर में नहा-धोकर शिव-पार्वती और गणपति जी की पूजा करें और प्रसाद बांटने के बाद ही प्रसाद ग्रहण कर व्रत खोलें।

- ये व्रत निर्जला रखना होता है। पहले तीज के व्रत से जो नियम आपने उठाएं हैं वही नियम अंत तक पालन करने होंगे।

-तीज का व्रत एक बार रखने के बाद इसे हर साल रखना होता है। यदि आप बीमार है या किसी कारणवश व्रत आगे नहीं रख सकतीं तो इस व्रत का विधिवत उद्यापन करें या व्रत अपनी सास, देवरानी को दे दें।

- व्रत के दौरान फल-जल कुछ भी ग्रहण नहीं करना होता। 24 घंटे का ये व्रत हर साल ऐसे ही पालन करना होगा।

- व्रत का संकल्प लेकर पूजा प्रारंभ करनी चाहिए। व्रत के दिन सोलह श्रृंगार करना जरूरी है।

-पूजा के पश्चात सुहाग की सामग्री को ब्राह्मण या गरीब विवाहित महिला को दें।

-व्रती को विधिवत इस व्रत का पालन करना चाहिए। विधिनुसार पूजा करें और हरतालिका तीज व्रत कथा का पाठ करें या फिर इस कथा को सुनें। व्रत कथा का श्रवण या पाठन इस व्रत में आवश्यक माना जाता है।