अगर आप भी हैं कालसर्प दोष से परेशान तो नागपंचमी पर करें ये उपाय, मिलेगी राहत
नाग देवता की पूजा का पर्व है नागपंचमी जो इस बार 13 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है साथ ही भगवान शिव की भी पूजा-अर्चना की जाती है।
ज्योतिषियों के अनुसार जब जन्म कुंडली में सम्पूर्ण ग्रह राहु और केतु ग्रह के बीच स्थित हों तो ऐसी स्थिति को कालसर्प दोष का नाम दिया जाता हैं।
नाग देवता की पूजा का पर्व है नागपंचमी जो इस बार 13 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है साथ ही भगवान शिव की भी पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही ये दिन काल सर्प दोष की शांति के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।
बहुत से लोग होते हैं जिनकी कुंडली में काल सर्प दोष होता है और उन्हें अपने जीवन में कड़ी मेहनत के बाद भी उसका फल नहीं मिलता, कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कुछ लोग तो ऐसे भी होते हैं जो काल सर्प दोष के नाम से ही भयभीत हो जाते हैं औ उन्हें समझ में नहीं आता कि आखिर कैसे इससे छुटकारा पाया जाए। तो ऐसे लोगों को सबसे पहले तो यह जान लेना चाहिए कि इसकी शांति के लिए नागपंचमी सबसे उत्तम दिन है औ इस दिन कुछ उपाय करके वे स्वयं भी इससे छुटकारा पा सकते हैं।
सबसे पहले तो आपको यह जानना चाहिए कि काल सर्प दोष के बारे में ज्योतिषी से बात करे। उनसे इसका विश्लेषण करवाए और इससे होने वाले प्रभावों और दुष्प्रभावों की जानकारी लेकर उचित उपाय करने के बारे में सोचे। इस मामले में सबसे ज्यादा ध्यान देने वाली बात यह है कि इस दोष का असर अलग-अलग जातकों पर अलग-अलग प्रकार से देखने को मिलता है क्योंकि इसका असर किस भाव में कौन सी राशि स्थित है और उसमें कौन-कौन ग्रह बैठे हैं और उनका बलाबल कितना है, इन बिन्दुओं के आधार पर पड़ता है। साथ ही कालसर्प दोष किन-किन भावों के मध्य बन रहा है, इसके अनुसार भी इस दोष का असर पड़ता है।
आखिर कालसर्प दोष होता क्या है
ज्योतिषियों के अनुसार जब जन्म कुंडली में सम्पूर्ण ग्रह राहु और केतु ग्रह के बीच स्थित हों तो ऐसी स्थिति को कालसर्प दोष का नाम दिया जाता हैं। किसी भी जातक के जीवन में कोई भी परेशानी हो और उसकी कुंडली में यह दोष हो तो अन्य पहलुओं पर भी ध्यान दे। परंतु वास्तविकता यह है वह अन्य ग्रहों के शुभफलदायी होने पर यह दोष योग की तरह काम करता है और उन्नति में सहायक होता है। वहीं अन्य ग्रहों के अशुभफलदायी होने पर यह अशुभफलों में वृद्धि करता है।
नागपंचमी पर करें नाग देवता की पूजा
सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है तो कालसर्प दोष से पीड़ित जातक को भी सबसे पहले तो नाग देवता की पूजा करनी चाहिए।
पूजा के लिए नागदेव का चित्र चौकी के ऊपर रखें।फिर हल्दी, रोली, चावल और फूल चढ़ाकर नाग देवता की पूजा करें। कच्चा दूध, घी, चीनी मिलाकर लकड़ी के पट्टे पर बैठे सर्प देवता को अर्पित करें। पूजा के बाद सर्प देवता की आरती उतारी उतारें। अंत में नाग पंचमी की कथा अवश्य सुनें।
इस दिन कालसर्प दोष से छुटकारा पाने के लिए करें ये उपाय
-नागपंचमी के दिन कालसर्प दोष से पीड़ित जातक खुद भी कालसर्प दोष की शांति के लिए पूजा कर सकता है। इसके लिए “ॐ रां राहुवे नम:” या ॐ कुरूकुल्ये हुं पट स्वाहा मंत्र का 108 बार जाप करें, उसके बाद भगवान शिव की या नाग-नागिन की प्रतिमा पर दूध अर्पित करें।
- इस दिन कालसर्प दोष से पीड़ित जातक को काले तिल, काले उड़द,काली राई, नीला वस्त्र, जामुन, कच्चे कोयले, सिक्का-रांगा या लैड आदि दान करना या इसे बहते हए पानी में प्रवाहित करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है।
-इसके अलावा नागपंचमी के दिन किसी सपेरे से नाग-नागिन का एक जोड़ा खरीदकर उसे जंगल में जाकर छोड़ दें।
- कालसर्प दोष से छुटकारा पाने के लिए जिस शिवलिंग पर नाग लगा हो वहां जाकर पंच धातु से बना नाग लगाएं। इसके बाद शिवलिंग पर पंचामृत चढ़ाकर भगवान शिव और नाग देवता की पूजा करें।
-इस दोष की शांति के लिए नागपंचमी के दिन चांदी के नाग-नागिन का जोड़ा शिव जी पर चढ़ावें, नदी में चांदी के नाग-नागिन का जोड़ा बहावें।
-श्री यंत्र पूजा स्थान पर रखें। नाग पंचमी पर नागमंदिर में दूध चढ़ाएं।
- कांसे की थाली में हलवा बना के बीच में चांदी का सर्प रख के दान करें । शिव आराधना करें । स
-सवा मीटर नीला वस्त्र,नारियल ,काले तिल,शीशा, सफेद चंदन, काला सफेद कंबल, सरसों का तेल,सात अनाज दान करें। सूर्य-चंद्र ग्रहण या नाग पंचमी पर रुद्राभिषेक करवाएं, चांदी के नाग-नागिन का जोड़ा तांबे के पात्र में शहद भर के रखें पूजा के बाद विसर्जित कर दें।