रक्षाबंधन पर बन रहा गजकेसरी योग, भाई-बहन दोनों को होगा लाभ, जानें महत्व व राखी बांधने का शुभ मुहूर्त
ज्योतिषीय दृष्टि से भी देखें तो इस बार रक्षाबंधन पर कई शुभ योग बन रहे हैं जो इसके शुभ फलों में बढ़ोतरी करेंगे। इस बार राखी का ये पावन पर्व भाई-बहन दोनों के लिए ही लाभदायी रहेगा।
यह तो सब जानते ही हैं कि राखी भद्राकाल व राहुकाल में नहीं बांधी जाती क्योंकि यह शुभ काम है जो अशुभ समय में नहीं किया जाता है। पर इस बार सबसे अच्छी बात यही है कि पूरे दिन भद्रा का साया नहीं है और राहुकाल भी शाम के समय होगा तो बहनें पूरे दिन भाई को राखी बांध सकेंगी।
श्रावण माह की पूर्णिमा को रक्षाबंधन का पावन पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती है और उसकी लंबी उम्र की कामना करती है। इसीको रक्षाबंधन कहा जाता है जो दोनों को प्रेम के बंधन में बांधता है। भाई व बहन दोनों को इस दिन का इंतजार होता है। इस बार रक्षाबंधन का ये पावन पर्व 22 अगस्त रविवार को मनाया जाएगा।
यह तो सब जानते ही हैं कि राखी भद्राकाल व राहुकाल में नहीं बांधी जाती क्योंकि यह शुभ काम है जो अशुभ समय में नहीं किया जाता है। पर इस बार सबसे अच्छी बात यही है कि पूरे दिन भद्रा का साया नहीं है और राहुकाल भी शाम के समय होगा तो बहनें पूरे दिन भाई को राखी बांध सकेंगी।
इतना ही नहीं ज्योतिषीय दृष्टि से भी देखें तो इस बार रक्षाबंधन पर कई शुभ योग बन रहे हैं जो इसके शुभ फलों में बढ़ोतरी करेंगे। इस बार राखी का ये पावन पर्व भाई-बहन दोनों के लिए ही लाभदायी रहेगा।
गजकेसरी योग का शुभ संयोग
ज्योतिष में गजकेसरी योग का बड़ा महत्व है और इस योग में कोई भी कार्य करने पर उसका शुभ फल प्राप्त होता है। वहीं इस बार रक्षाबंधन पर गजकेसरी योग बन रहा है। ज्योतिषीय विश्लेषण के अनुसार राखी पर इस बार चंद्रमा कुंभ राशि में मौजूद रहेंगे और गुरु कुंभ राशि में ही वक्री चाल में मौजूद है। गुरु और चंद्रमा की इसी युति से रक्षाबंधन पर गजकेसरी योग का निर्माण हो रहा है।
माना जाता है कि गजकेसरी योग में कोई भी शुभ कार्य करने पर सभी तरह के सुखों की प्राप्ति होती है। इस योग में किये गये सारे कार्यों के अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं।
वहीं जब किसी जातक की कुंडली में चंद्रमा और गुरु केंद्र में विराजमान हो और एकदूसरे पर दृष्टि डालते हों तब गजकेसरी योग बनता है।
ग्रहों का बन रहा अद्भुत संयोग
दूसरी ओर देखा जाए तो रक्षाबंधन के दिन सूर्य, मंगल और बुध तीनों एक साथ सिंह राशि में मौजूद रहेंगे। रक्षाबंधन के दिन तीन ग्रहों का ऐसा संयोग 474 साल के बाद बन रहा है। 474 वर्षों बाद रक्षाबंधन धनिष्ठा नक्षत्र में और सूर्य,मंगल और बुध का सिंह राशि में होने पर मनाया जाएगा।
वर्षों बाद बनने वाला यह संयोग भी भाई-बहन के लिए बहुत ही लाभदायक और सुख प्रदान करने वाला रहेगा। वहीं राजयोग बनने पर खरीदारी करना भी अत्यंत शुभ फलकारी रहेगा।
रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त
इस साल रक्षाबंधन का त्योहार घनिष्ठा नक्षत्र में पड़ रहा है। इस नक्षत्र में पैदा होने वाले भाई-बहन का रिश्ता बहुत मजबूत होता है तथा इस नक्षत्र में राखी बांधने से भाई-बहन के बीच मनमुटाव दूर होते हैं तथा आपस में प्यार बढ़ता है। राखी के दिन घनिष्ठा नक्षत्र शाम को 07 बजकर 40 मिनट तक रहेगा। इसके अतिरिक्त इस साल पूर्णिमा तिथि पर भद्रा नहीं लग रहा है इसलिए पूरे दिन राखी बांधी जा सकेगी। हालांकि पूर्णिमा की तिथि पर शाम को 05.14 बजे से 6.49 बजे तक राहु काल रहेगा। राहु काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। इस समय को छोड़ कर पूरे दिन राखी बांधी जा सकेगी।
रक्षाबंधन तिथि- रविवार 22 अगस्त
पूर्णिमा तिथि शुरू-21 अगस्त शाम 3:45 मिनट से
पूर्णिमा तिथि का समापन-22 अगस्त की शाम 05:58 मिनट पर
शुभ मुहूर्त : सुबह 06:15 मिनट से शाम 06:03 मिनट तक।