कब से शुरू हो रही है माघ गुप्त नवरात्रि? गुप्त नवरात्रि में इन 10 महाविद्याओं की होती है साधना, जानिए पूजा विधि और महत्व    

नवरात्रि को हिंदू धर्म में सबसे पवित्र पर्व माना जाता है। धार्मिक शास्त्रों में कुल चार नवरात्रि का वर्णन है। चैत्र और शारदीय नवरात्रि के अलावा दो गुप्त नवरात्रि भी होती हैं।
 

नवरात्रि को हिंदू धर्म में सबसे पवित्र पर्व माना जाता है। धार्मिक शास्त्रों में कुल चार नवरात्रि का वर्णन है। चैत्र और शारदीय नवरात्रि के अलावा दो गुप्त नवरात्रि भी होती हैं। एक गुप्त नवरात्रि माघ और दूसरी आषाढ़ के महीने में पड़ती है। चैत्र और शारदीय नवरात्रि में सार्वजनिक रूप से मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। वहीं गुप्त नवरात्रि में मां काली और दस महाविद्याओं की पूजा-अर्चना गुप्त तरीके से की जाती है। 


इस दौरान प्रतिपदा से लेकर नवमी तिथि तक मां के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। तंत्र-मंत्र की विद्या और साधना के लिए गुप्त नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। ऐसे में चलिए जानते हैं इस साल माघ गुप्त नवरात्रि की शुरुआत कब से हो रही है...

कब से शुरू हो रही है माघ गुप्त नवरात्रि 2024? 


माघ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक गुप्त नवरात्रि मनाई जाती है। पंचाग के अनुसार इस साल माघ गुप्त नवरात्रि की शुरुआत 10 फरवरी 2024 दिन शनिवार से हो रही है। वहीं इसका समापन 18 फरवरी 2024 दिन रविवार को होगा।


माघ गुप्त नवरात्रि प्रतिपदा तिथि- 10 फरवरी 2024 दिन शनिवार की सुबह 04 बजकर 28 मिनट से 11 फरवरी दिन रविवार की रात्रि 12 बजकर 47 मिनट तक। 


घटस्थापना शुभ मुहूर्त- 10 फरवरी 2024 दिन शनिवार की सुबह 08 बजकर 45 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 10 मिनट तक (कुल अवधि 1 घंटा 25 मिनट)।


गुप्त नवरात्रि में इन 10 महाविद्याओं की होती है साधना

  • मां काली
  • मां तारा
  • मां त्रिपुर सुंदरी
  • मां भुवनेश्वरी
  • मां छिन्नमस्ता
  • मां त्रिपुर भैरवी
  • मां धूमावती
  • मां बगलामुखी
  • मां मातंगी
  • मां कमला

माघ गुप्त नवरात्रि का महत्व


गुप्त नवरात्रि में गुप्त रूप से माता रानी की पूजा की जाती है। इस दौरान तांत्रिक, साधक और अघोरी तंत्र-मंत्र की सिद्धि पाने के लिए गुप्त साधना करते हैं। वहीं सामान्य लोग भी गुप्त रूप से दुर्गा मां की आराधना करके अपने सारे संकटों से मुक्ति को पाते हैं। कहा जाता है कि गुप्त नवरात्रि की पूजा, व्रत और अनुष्ठान को गुप्त रखना चाहिए। इस दौरान की गई पूजा-आराधना को किसी के साथ साझा नहीं करना चाहिए। इस पूजा को जितना अधिक गुप्त रहेगा उतनी ही जल्दी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।