बड़े मंगल पर करें हनुमान चालीसा का पाठ, पाठ करने से आपको मिलेंगे अद्भुत फायदे
यूं तो हर दिन हनुमान जी की पूजा की जाती है, लेकिन ज्येष्ठ माह में पड़ने वाले मंगलवार को पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इस माह में आने वाले हर मंगलवार को "बड़ा मंगल" या "बुढ़वा मंगल" कहा जाता है। इस दिन बजरंगबली की पूजा करने पर भय से मुक्ति मिलती है। मान्यता है कि जिस भी जातक पर हनुमान जी की कृपा होती है उसके जीवन में सफलता के मार्ग अपने आप बनने लगते है। साथ ही जीवन में सुख, शांति, आरोग्य एवं लाभ की प्राप्ति होती है।
शास्त्रों के अनुसार, हनुमान जी को शिव जी का अवतार कहा जाता है। इसलिए इस दौरान शिव जी की पूजा करने से उनकी भी कृपा भक्तों पर बनी रहती है। वहीं हनुमान जी की अनोखी महिमा का जिक्र तुलसीदासजी ने हनुमान चालीसा में किया है। इसका रोजाना पाठ करने से हर मनोकामनाएं पूरी होती है। ऐसे में बड़े मंगल पर इसका पाठ करने से शुभ लाभ की प्राप्ति हो सकती है। इसी कड़ी में हनुमान चालीसा के पाठ से मिलने वाले लाभ के बारे में विस्तारपूर्वक जान लेते हैं।
हनुमान चालीसा के पाठ से मिलते हैं ये पांच अद्भुत फायदे
हनुमान जी बुरी आत्माओं का नाश करते हुए व्यक्ति के सभी दुखों को हर लेते हैं। हनुमान चालीसा की एक चौपाई है 'भूत पिशाच निकट नहीं आवे, महावीर जब नाम सुनावे। इसका अर्थ है कि हनुमान चालीसा का पाठ करने से आस-पास भूत-पिशाच और दूसरी नकारात्मक शक्तियां नहीं आती हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दिन में 7 बार हनुमान चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति की आर्थिक स्थिति बेहतर होती है। व्यापार में भी उन्नति के योग बनते हैं। अगर आप आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं, तो रोजाना चालीसा का पाठ करें। इससे आर्थिक चिंताएं धीरे-धीरे दूर हो जाएगी।
माना जाता है कि यदि कोई व्यक्ति अक्सर बीमार रहता है और कई उपचार के बाद भी रोग दूर नहीं हो पाता, तो उन्हें नियमित हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।
हनुमान जी परम पराक्रमी और महावीर हैं। ऐसे में हनुमान चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति के मन से सभी प्रकार की नकारात्मकता दूर होती है। साथ ही मानसिक शांति बनी रहती है।
चालीसा का पाठ करने से बजरंगबली प्रसन्न होते हैं। उनके प्रसन्न होने से भक्तों को मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती हैं। सभी जानते हैं कि हनुमान जी निडर है, कोई भी शक्ति उनके समक्ष टिक नहीं पाती है। ऐसे में रोजाना चालीसा का पाठ करने से मन से डर दूर होता है।
हनुमान चालीसा
श्रीगुरु चरन सरोज रज
निजमनु मुकुरु सुधारि
बरनउँ रघुबर बिमल जसु
जो दायकु फल चारि
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार........
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर
राम दूत अतुलित बल धामा
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
महाबीर बिक्रम बजरंगी
कुमति निवार सुमति के संगी
कंचन बरन बिराज सुबेसा
कानन कुण्डल कुँचित केसा।।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे
काँधे मूँज जनेउ साजे
शंकर सुवन केसरी नंदन
तेज प्रताप महा जग वंदन।।
बिद्यावान गुनी अति चातुर
राम काज करिबे को आतुर
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया
राम लखन सीता मन बसिया।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा
बिकट रूप धरि लंक जरावा
भीम रूप धरि असुर सँहारे
रामचन्द्र के काज संवारे।।
लाय सजीवन लखन जियाये
श्री रघुबीर हरषि उर लाये
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा
नारद सारद सहित अहीसा।।
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते
कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना
लंकेश्वर भए सब जग जाना
जुग सहस्र जोजन पर भानु
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं
दुर्गम काज जगत के जेते
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
राम दुआरे तुम रखवारे
होत न आज्ञा बिनु पैसारे
सब सुख लहै तुम्हारी सरना
तुम रच्छक काहू को डर ना।।
आपन तेज सम्हारो आपै
तीनों लोक हाँक तें काँपै
भूत पिसाच निकट नहिं आवै
महाबीर जब नाम सुनावै।।
नासै रोग हरे सब पीरा
जपत निरन्तर हनुमत बीरा
संकट तें हनुमान छुड़ावै
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
सब पर राम तपस्वी राजा
तिन के काज सकल तुम साजा
और मनोरथ जो कोई लावै
सोई अमित जीवन फल पावै।।
चारों जुग परताप तुम्हारा
है परसिद्ध जगत उजियारा
साधु सन्त के तुम रखवारे
असुर निकन्दन राम दुलारे।।
अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता
अस बर दीन जानकी माता
राम रसायन तुम्हरे पासा
सदा रहो रघुपति के दासा।।
तुह्मरे भजन राम को पावै
जनम जनम के दुख बिसरावै
अन्त काल रघुबर पुर जाई
जहां जन्म हरिभक्त कहाई।।
और देवता चित्त न धरई
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई
सङ्कट कटै मिटै सब पीरा
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
जय जय जय हनुमान गोसाईं
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं
जो सत बार पाठ कर कोई
छूटहि बन्दि महा सुख होई।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा
होय सिद्धि साखी गौरीसा
तुलसीदास सदा हरि चेरा
कीजै नाथ हृदय महं डेरा।।
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।