इस बार शिव योग में रखा जाएगा हरियाली तीज का व्रत, जानें महत्व, पूजा विधि व शुभ मुहूर्त
सावन के पवित्र महीने में हरियाली तीज का पर्व जिसे श्रावणी तीज के नाम से भी जाना जाता है। हरियाली तीज सावन के महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है।
माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था और जो सुहागिन महिला इस दिन विधि-विधान से व्रत करती है, सौलह श्रृंगार करती है, माता पार्वती की पूजा करती है उसे अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है।
सावन का महीना महादेव को समर्पित है और इस पूरे महीने उनकी पूजा की जाती है। भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के उपाय किये जाते हैं, सोमवार का व्रत रखा जाता है। वहीं सावन के महीने में ही मां पार्वती की पूजा भी की जाती है उनके लिए मंगला गौरी का व्रत भी रखा जाता है क्योंकि सावन के महीने में ही पार्वती ने कठिन तपस्या करके भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया था।
सावन के पवित्र महीने में हरियाली तीज का पर्व जिसे श्रावणी तीज के नाम से भी जाना जाता है। हरियाली तीज सावन के महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था और जो सुहागिन महिला इस दिन विधि-विधान से व्रत करती है, सौलह श्रृंगार करती है, माता पार्वती की पूजा करती है उसे अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है। इस बार हरियाली तीज का व्रत 11 अगस्त बुधवार को रखा जाएगा।
विशेष योग में मनेगी हरियाली तीज
श्रावणी तीज जिसे हरियाली तीज के नाम से भी जाना जाता है इस दिन मां पार्वती की पूजा की जाती है और अखंड सौभाग्य का वरदान मांगा जाता है। माना जाता है कि इसी दिन शिव-पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था इसीलिए ये दिन विशेष महत्व रखता है वहीं इस बार तो हरियाली तीज के दिन शुभ योग भी बन रहा है जिसमें पूजा और व्रत का मनोवांछित फल मिलेगा। जी हां, इस बार हरियाली तीज के दिन शिव योग नामक शुभ योग निर्मित हो रहा है। शिव योग को सभी प्रमुख योगों में से बहुत ही शुभ और सुख-संपदा देने वाला माना गया है। मान्यता है कि इस योग में भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा अर्चना करने पर सभी तरह के सुख और लंबी आयु प्राप्त होती है।
इस शुभ मुहूर्त में करें हरियाली तीज की पूजा
श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 10 अगस्त, मंगलवार की शाम 06 बजकर 11 मिनट से शुरू होगी। तृतीया तिथि 11 अगस्त 2021, बुधवार को शाम 04 बजकर 56 मिनट पर समाप्त होगी। सुबह 04:24 से 05:17 मिनट तक ब्रह्म मुहूर्त रहेगा और दोपहर 02:30 से 03:07 मिनट तक विजया मुहूर्त।
इस बार 11 अगस्त को शिव योग सायंकाल 6 बजकर 30 मिनट तक है जिसमें तीज का व्रत रखना अधिक सार्थक रहेगा। इस दिन रवि योग भी प्रातः 9 बजकर 30 बजे से लेकर पूरे दिन रहेगा। यही नहीं, इस दिन विजय मुहूर्त भी दोपहर ढाई बजे से साढ़े तीन बजे तक रहेगा। यदि आप राहुकाल का विचार करते हैं तो यह दोपहर साढ़े 12 बजे से लेकर 2 बजे तक रहेगा।
हरियाली तीज का महत्व
हरियाली तीज का ये व्रत सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तीज को रखा जाता है इसीलिए इसे श्रावणी तीज भी कहते हैं। सावन के महीने में हर तरफ हरियाली छाई रहती है और यह भी एक वजह है कि इस तीज को हरियाली तीज के नाम से जाना जाता है। हरियाली तीज के दिन सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य प्राप्ति के लिए मां पार्वती की पूजा करती है और उनसे अपने पति की लंबी उम्र का वरदान मांगती है। साथ ही हरियाली तीज के इस पावन पर्व पर महिलाएं सौलह श्रृंगार करती है और एक जगह एकत्रित होकर झूला झूलते हुए सावन के गीत गाती हैं। माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी, इससे प्रसन्न होकर शिव ने हरियाली तीज के दिन ही माँ पार्वती को पत्नी रूप में स्वीकार किया था। यही कारण है कि सुहागिन महिलाओं के लिए इस दिन का विशेष महत्व है।
हरियाली तीज की पूजा सामग्री
हरियाली तीज व्रत की पूजा के लिए भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की मूर्तियां लायें या फिर काली मिट्टी से बना लें। पूजा के लिए पूजा चौकी, पीला वस्त्र, केला के पत्ते, जनेऊ, कच्चा सूत, नए वस्त्र, बेलपत्र, धतूरा, भांग, शमी पत्र, कपड़ा, एक जोड़ी जनेऊ/यज्ञोपवीत चाहिए। इसे भगवान शिव और गणेश जी को चढ़ाना होगा। मां पार्वती के लिए एक हरी साड़ी, सुहाग का सामान चाहिए। बिना 16 श्रृंगार के माता पार्वती की पूजा अधूरी मानी जायेगी। 16 श्रृंगार में सिंदूर, बिंदी, बिछुआ, मेहंदी, चूडियां, महौर, खोल, कुमकुम, कंघी, इत्र आदि शामिल होते हैं। इसके अलावा, कलश, अक्षत्, दूर्वा, तेल, घी, कपूर, अबीर, श्रीफल, चंदन, गाय का दूध, गंगाजल, दही, चीनी, शहद और पंचामृत भी हरियाली व्रत पूजा के लिए चाहिए।
ये सारा सामान आप पूजा से पहले इकट्ठा कर लेंगे तो पूजा में आसानी होगी और किसी तरह की कोई कमी भी नहीं रहेगी।
हरियाली तीज पर ऐसे करें पूजा
हरियाली तीज के एक दिन पहले महिलाएं मेहंदी लगाती है क्योंकि तीज की पूजा में सौलह श्रृंगार का विशेष महत्व है और मेहंदी लगाना बेहद शुभ माना जाता है। मेहंदी लगे हाथों से पूजा करने का बड़ा महत्व होता है। तीज के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर श्रृंगार करके महिलाएं नए वस्त्र व आभूषण पहनती है। इसके बाद मां पार्वती की पूजा करती हैं। सुबह पूजा कर भी लें तो फिर से शाम के समय पूजा करें क्योंकि शाम की पूजा का विशेष महत्व होता है।
इसके लिए मिट्टी या अन्य धातु से बनी शिवजी,पार्वती व गणेश जी की मूर्ति रखकर उन्हें वस्त्रादि पहना कर रोली, सिंदूर, अक्षत आदि से पूजन करती हैं। इसके बाद आठ पूरी, छ पूओं से भोग लगाती हैं। फिर यह बायना जिसमें चूड़ियां, श्रृंगार का सामान व साड़ी, मिठाई, दक्षिणा या शगुन राशि इत्यादि अपनी सास, जेठानी, या ननद को देते हुए चरण स्पर्श करती हैं। हरियाली तीज पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा संपन्न करने के बाद कथा सुनी जाती है और फिर आरती करके पूजा संपन्न की जाती है।