यह है होलिका दहन का शुभ मुहूर्त व होली का मनाने का सही दिन, आप भी जानें

होलिका दहन हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि पर की जाती है। वैदिक पंचांग के अनुसार इस साल फाल्गुन महीने की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 06 मार्च की शाम 04 बजकर 16 मिनट से हो रही है जिसका समापन 07 मार्च को शाम 06 बजकर 08 मिनट पर होगा।
 

होली का त्योहार मनाने की तैयारियां तेज

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होली का त्योहार मनाने का सबसे अच्छा दिन

होली का त्योहार मनाने की तैयारियां तेजी से चल रही हैं। फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष में मनाया जाने वाला यह त्योहार अबकी बार 7 व 8 मार्च को मनाया जाएगा। 7 मार्च को होलिका दहन व 8 मार्च को रंगों की होली की तैयारी की जा रही है।

शास्त्रों और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होली के एक दिन पहले यानी फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि को प्रदोष काल में होलिका दहन करने की महत्व होता है। होलिका दहन के बाद यानी अगले दिन रंगों वाली होली धूमधाम के साथ खेली जाती है। लेकिन इस साल पूर्मिणा तिथि और भद्राकाल को लेकर होलिका दहन के लेकर कुछ संशय की स्थिति बनी हुई है। ऐसे में आइए जानते हैं इस साल होलिका दहन का शुभ मुहूर्त, भद्राकाल और तिथि के बारे में।

होलिका दहन हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि पर की जाती है। वैदिक पंचांग के अनुसार इस साल फाल्गुन महीने की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 06 मार्च की शाम 04 बजकर 16 मिनट से हो रही है जिसका समापन 07 मार्च को शाम 06 बजकर 08 मिनट पर होगा। वहीं उदया तिथि को अगर ध्यान में रखें तो फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि की पूजा-उपासना, स्नान और दान करने के लिए 7 मार्च का दिन सही रहेगा। ऐसे में होलिका दहन इसी दिन किया जाएगा।


होलिका दहन में भद्रा का साया
शास्त्रों के अनुसार भद्रा रहित काल में होलिका दहन करना काफी शुभ माना जाता है। 6 मार्च को भद्रा की शुरुआत शाम 04 बजकर 17 मिनट पर हो जायेगी, जोकि 7 मार्च को प्रात: काल 5 बजकर 15 मिनट तक रहेगी। फाल्गुन पूर्णिमा तिथि में प्रदोष काल में होलिका दहन होती है। ऐसे में इस साल होलिका दहन 7 मार्च दिन मंगलवार को होगा। होलिका दहन के दिन 7 मार्च को भद्रा सुबह 5.15 बजे तक है। ऐसे में प्रदोष काल में होलिका दहन के समय भद्रा का साया नहीं रहेगा।


होलिका दहन, होली के मुहूर्त व तिथियों को लेकर काशी के विद्वान एक मत नहीं हैं। काशी विद्वत कर्मकांड परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष व काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के पूर्व अध्यक्ष आचार्य अशोक द्विवेदी ने सभी विवादों का खंडन किया। उन्होंने कहा कि देशाचार, कुलाचार में सात को होलिका दहन ग्राह्य है। काशी में भी 7 मार्च को होलिका दहन और 8 मार्च को होली मनाई जा सकती है। इससे पहले कुछ संगठनों ने सात मार्च को होली मनाने की बात कही थी।

सात मार्च को पूर्णिमा का मान शाम को 5:40 बजे तक है। सूर्यास्त 5:49 बजे होगा। ऐसे में पूर्णिमा के बाद 49 घटी और 38 पल का सूर्यास्त मिल रहा है। ऐसे में सात की शाम को भद्रा और पूर्णिमा के अंत के साथ सूर्यास्त भी मिल रहा है। ऐसे में वाराणसी की जनता सात मार्च की गोधूलि बेला में होलिका दहन करके आठ मार्च को होली मना सकती है।