शिवरात्रि के दिन करने योग्य कार्य व ध्यान देने योग्य विशेष बातें

tds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_show आज 11 मार्च 2021 गुरुवार को महाशिवरात्रि है। कहा जाता है कि शिवरात्रि का व्रत, पूजन, जागरण और उपवास करनेवाले मनुष्य का पुनर्जन्म नहीं होता है। शिवरात्रि के समान पाप और भय मिटानेवाला दूसरा व्रत नहीं है। इसको करनेमात्र से सब पापों का क्षय हो जाता है। शिवरात्रि के दिन करने योग्य कार्य व ध्यान देने
 

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आज 11 मार्च 2021 गुरुवार को महाशिवरात्रि है। कहा जाता है कि शिवरात्रि का व्रत, पूजन, जागरण और उपवास करनेवाले मनुष्य का पुनर्जन्म नहीं होता है। शिवरात्रि के समान पाप और भय मिटानेवाला दूसरा व्रत नहीं है। इसको करनेमात्र से सब पापों का क्षय हो जाता है।
               
 
शिवरात्रि के दिन करने योग्य कार्य व ध्यान देने योग्य विशेष बातें…..

१. शिवरात्रि के दिन की शुरुआत ये श्लोक बोल के शुरू करें :-

देव देव महादेव नीलकंठ नमोस्तुते
कर्तुम इच्छा म्याहम प्रोक्तं, शिवरात्रि व्रतं तव

  1. काल सर्प के लिए महाशिवरात्रि के दिन घर के मुख्य दरवाजे पर पिसी हल्दी से स्वस्तिक बना देना….शिवलिंग पर दूध और बिल्व पत्र चढ़ाकर जप करना और रात को ईशान कोण में मुख करके जप करना
  2. शिवरात्रि के दिन ईशान कोण में मुख करके जप करने की महिमा विशेष है, क्योंकि ईशान के स्वामी शिव जी हैं … रात को जप करें, ईशान कोण में दिया जलाकर पूर्व के तरफ रखें , लेकिन हमारा मुख ईशान में हो तो विशेष लाभ होगा। जप करते समय झोंका आये तो खड़े होकर जप करना 4.  महाशिवरात्रि को कोई मंदिर में जाकर शिवजी पर दूध चढाते हैं तो ये 5 मंत्र बोलें :-
    ॐ हरये नमः
    ॐ महेश्वराय नमः
    ॐ शूलपाणये नमः
    ॐ पिनाकिने नमः
    ॐ पशुपतये नमः

     
     
    महाशिवरात्रिः कल्याणमयी रात्रि ‘स्कन्द पुराण’ के ब्रह्मोत्तर खंड में आता है कि ‘शिवरात्रि का उपवास अत्यंत दुर्लभ है। उसमें भी जागरण करना तो मनुष्यों के लिए और दुर्लभ है। लोक में ब्रह्मा आदि देवता और वसिष्ठ आदि मुनि इस चतुर्दशी की भूरि भूरि प्रशंसा करते हैं। इस दिन यदि किसी ने उपवास किया तो उसे सौ यज्ञों से अधिक पुण्य होता है।
  3. ‘ ‘शिव’ से तात्पर्य है ‘कल्याण’ अर्थात् यह रात्रि बड़ी कल्याणकारी रात्रि है। इस रात्रि में जागरण करते हुए ॐ…. नमः…. शिवाय… इस प्रकार, प्लुत जप करें, जल्दबाजी में जप पूजा न करें, जप में जल्दबाजी न हो। बीच-बीच में आत्मविश्रान्ति मिलती जाय। इसका बड़ा हितकारी प्रभाव अदभुत लाभ होता है।

शिवपूजा में वस्तुओं का कोई महत्त्व नहीं है, भावना का महत्त्व है। भावे ही विद्यते देवः …. चाहे जंगल या मरूभूमि में क्यों न हो, वहाँ रेती या मिट्टी के शिवजी बना लिये, उस पर पानी के छींटे मार दिये, जंगली फूल तोड़कर धर दिये और मुँह से ही नाद बजा दिया तो शिवजी प्रसन्न हो जाते हैं।

आराधना का एक तरीका यह है कि उपवास रखकर पुष्प, पंचामृत, बिल्वपत्रादि से चार प्रहर पूजा की जाय।

दूसरा तरीका यह है कि मानसिक पूजा की जाय। हम मन-ही-मन भावना करें-

ज्योतिर्मात्रस्वरूपाय निर्मलज्ञानचक्षुषे।
नमः शिवाय शान्ताय ब्रह्मणे लिंगमूर्तये।।

‘ज्योतिमात्र (ज्ञानज्योति अर्थात् सच्चिदानंद, साक्षी) जिनका स्वरूप है, निर्मल ज्ञान ही जिनका नेत्र है, जो लिंगस्वरूप ब्रह्म है, उन परम शांत कल्याणमय भगवान शिव को नमस्कार है।’

महाशिवरात्रि की रात्रि में ॐ बं, बं…. बीजमंत्र के सवा लाख जप से गठिया जैसे वायु विकारों से छुटकारा मिलता है।
 
 
शिवरात्रि की रात ‘ॐ नमः शिवाय’ जप

शिवजी का पत्रम्-पुष्पम् से पूजन करके मन से मन का संतोष करें, फिर ॐ नमः शिवाय…. ॐ नमः शिवाय…. शांति से जप करते गये। इस जप का बड़ा भारी महत्त्व है। अमुक मंत्र की अमुक प्रकार की रात्रि को शांत अवस्था में, जब वायुवेग न हो आप सौ माला जप करते हैं तो आपको कुछ-न-कुछ दिव्य अनुभव होंगे। अगर वायु-संबंधी बीमारी हैं तो ‘बं बं बं बं बं’ सवा लाख जप करते हो तो अस्सी प्रकार की वायु-संबंधी बीमारियाँ गायब ।