पुत्र-प्राप्ति के लिए इस तालाब में स्नान व शिवलिंग पर जलाभिषेक के लिए आते हैं लोग

चंदौली जिले के सकलडीहा तहसील इलाके में जामडीह गांव में स्थित जामेश्वर महादेव के मंदिर में दीपावली की सुबह महिलाओं की भीड़ बढ़ती है।
 

जामडीह गांव में स्थित जामेश्वर महादेव मंदिर

दीपावली की सुबह महिलाओं की भीड़ 

पुत्र-प्राप्ति के लिए दुर-दुर से आते है लोग 

 स्नान व शिवलिंग पर करते है जलाभिषेक

चंदौली जिले के सकलडीहा तहसील इलाके में जामडीह गांव में स्थित जामेश्वर महादेव के मंदिर में दीपावली की सुबह महिलाओं की भीड़ बढ़ती है। भैया दूज के अवसर पर होने वाले इस पौराणिक आयोजन पर भारी संख्या में दूर दराज से महिलाएं आती हैं। इस पर्व पर ऐसी मान्यता है कि यहां पर सच्चे दिल से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। खास तौर पर यहां महिलाएं पुत्र रत्न की प्राप्ति के लिए मन्नत मांगने आती हैं।

 आपको बता देंगे चंदौली जिले के सकलडीहा रेलवे स्टेशन से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित जामेश्वर महादेव जी का यह मंदिर लगभग 175 साल पुराना है। यहां पर महिलाएं पुत्र रत्न की प्राप्ति के लिए मन्नतें मांगने के लिए आती  हैं और जिनकी मन्नत पूरी होती है वह दीपावली के शुभ अवसर स्थान करने और अपने बच्चों का मुंडन कराने का कार्य करता है।

कहा जाता है कि यहां पर केवल चंदौली जिले से ही नहीं बल्कि आसपास कई जिलों के लोग लोगों के साथ अन्य प्रदेशों के लोग भी पूजन अर्चना के साथ अपने पति व बच्चे के साथ दर्शन व पूजन के लिए आते हैं। यहां के बारे में खास मान्यता है कि जो कपड़ा पहन कर लोग स्नान करते हैं उसे यहीं छोड़कर चले जाते हैं।

 बताया जाता है कि 175 साल पहले गाजीपुर जिले के सराय पोस्ता स्ट्रीमर घाट के सुखलाल अग्रहरी चंदौली जिले में अपने एक रिश्तेदार के घर से लौट रहे थे। वह जामडीह गांव में स्थित एक पीपल के पेड़ के नीचे बैठ गए थे, जहां पर उन्हें भगवान शिव का दर्शन हुआ और उनको यह संदेश मिला कि उनकी इच्छा की पूर्ति हो जाएगी। उनको संतान की प्राप्ति भी हुयी। उन्हीं ने यहां भगवान शिव का मंदिर बनवाया और तब से दिवाली की सुबह लोग इस जगह पर आते हैं।

लोग कहते हैं कि इस मंदिर व तालाब के स्थान का महत्व बढ़ने लगा है। जामेश्वर महादेव के मंदिर में दीपावली के अगले दिन लोग यहां के तालाब में स्नान और रामेश्वर महादेव के शिवलिंग पर जलाभिषेक करने के लिए आते हैं। यहां पर पूजा अर्चना करने से महिलाओं को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है।

 मंदिर के व्यवस्थापक हरेंद्र राय ने बताया कि मंदिर के आसपास साफ सफाई करते हुए महिलाओं के रहने और पूजा अर्चना को लेकर खासतौर पर व्यवस्था कर दी गई है तथा प्रशासन को वही भी इस आयोजन के बारे में अवगत करा दिया गया है। हर साल की तरह इस साल भी दूर दराज के लोग आकर पूजा अर्चना और तालाब में स्नान का कार्य करेंगे।