13 जनवरी को है साल की पहली एकादशी, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
 

पुण्यदायक और श्रेष्ठ व्रतों में से प्रमुख व्रत है एकादशी। जैसा कि सब जानते हैं कि एकादशी का दिन भगवान विष्णु का दिन माना जाता है। साल में 24 एकादशी पड़ती है, जिनके अलग अलग नाम है।
 

13 जनवरी को है साल की पहली एकादशी

जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
 


पुण्यदायक और श्रेष्ठ व्रतों में से प्रमुख व्रत है एकादशी। जैसा कि सब जानते हैं कि एकादशी का दिन भगवान विष्णु का दिन माना जाता है। साल में 24 एकादशी पड़ती है, जिनके अलग अलग नाम है। नया साल आरंभ हो चुका है और इस साल पहली एकदशी 13 जनवरी 2022 को पड़ेगी। इस एकादशी को पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। 


चूंकि पुत्रद एकादशी साल में दो बार पड़ती है एक पौष मास में और दूसरी श्रावण मास में। याहपौष मास है और इसलिए इस मास मनाई जाने वाली एकादशी पौष पुत्रदा एकादशी कहलाती है। जैसा कि नाम से ही समझ आ रहा है ये व्रत संतान प्राप्ति की कामना करने वाले लोगों के लिए अत्यंत उत्तम माना गया है। 


शुभ मुहूर्त पौष पुत्रदा एकादशी 


एकादशी तिथि आरंभ- 12 जनवरी, बुधवार, सायं 04: 49 मिनट से 
एकादशी तिथि समाप्त-13 जनवरी, गुरुवार सायं 07: 32 मिनट तक 
चूंकि यह व्रत उदय तिथि के हिसाब से 13 जनवरी को रखा जाएगा, इसलिए इस व्रत का पारण 14 जनवरी को होगा।

 

पौष पुत्रदा एकादशी पूजा विधि 


यदि आप ये व्रत रखने जा रहे हैं तो दशमी के दिन सूर्यास्त से पहले भोजन कर लें।  
ध्यान रखें भोजन में प्याज लहसुन वगैरह का सेवन न करें। 
एकादशी के दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं और व्रत का संकल्प लें। 
इस दौरान भगवान को धूप, दीप, पुष्प, अक्षत, रोली, फूल माला और नैवेद्य अर्पित करें और पुत्रदा एकादशी व्रत कथा पढ़ें। 
इसके बाद संतान गोपाल मंत्र का जाप करें।
इसके बाद विष्णु सहस्रनाम स्तोत्रम का पाठ करें। 
संतान कामना के लिए इस दिन भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा की जाती है।
उन्हें पीले फल, तुलसी, पीले पुष्प और पंचामृत आदि अर्पित करें। 
 शाम को विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा और आरती के बाद गरीबों या जरूरतमंद को दान देना चाहिए।
इसके बाद पति-पत्नी को साथ में प्रसाद ग्रहण करना चाहिए।