ये है जया एकादशी की कथा, मुक्ति के लिए मिलता है उपाय
जया एकादशी के दिन पूजा का तारीका
विष्णु सहस्त्रनाम स्त्रोत का करें पाठ
जानिए क्या है आज के दिन की कथा
आज जया एकादशी है। आज के दिन जया एकादशी का व्रत रखने से लोगों को नीच योनि से मुक्ति मिल जाया करती है। इस व्रत को रखने के लिए निम्नांकित बातों का ध्यान रखना चाहिए।
1. एकादशी के व्रत वाले दिन विष्णु सहस्त्रनाम स्त्रोत का पाठ करना बेहद शुभ माना जाता है।
2. इस दिन सभी लोगों को सदाचार का पालन करना चाहिए।
3. इसके अलावा जो लोग व्रत नहीं रख सकते हैं उन्हें भी इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए।
4. इस दिन सात्विक भोजन ही करें और दूसरों की बुराई करने से बचें।
5. जया एकादशी के दिन भोग विलास, छल कपट, जैसी बुरी चीजों से बचना चाहिए।
6. इस दिन लहसुन, प्याज, बैंगन, मांस, मदिरा, पान, सुपारी, तंबाकू इत्यादि खाने से भी परहेज करना चाहिए।
ये है एकादशी की कथा
इंद्र की सभा में उत्सव चल रहा था। देवगण, संत, दिव्य पुरूष सभी उत्सव में उपस्थित थे। उस समय गंधर्व गीत गा रहे थे और गंधर्व कन्याएं नृत्य कर रही थीं। इन्हीं गंधर्वों में एक माल्यवान नाम का गंधर्व भी था जो बहुत ही सुरीला गाता था। जितनी सुरीली उसकी आवाज़ थी उतना ही सुंदर रूप था। उधर गंधर्व कन्याओं में एक सुंदर पुष्यवती नामक नृत्यांगना भी थी। पुष्यवती और माल्यवान एक-दूसरे को देखकर सुध-बुध खो बैठते हैं और अपनी लय व ताल से भटक जाते हैं। उनके इस कृत्य से देवराज इंद्र नाराज़ हो जाते हैं और उन्हें श्राप देते हैं कि स्वर्ग से वंचित होकर मृत्यु लोक में पिशाचों सा जीवन भोगोगे।
श्राप के प्रभाव से वे दोनों प्रेत योनि में चले गए और दुख भोगने लगे। पिशाची जीवन बहुत ही कष्टदायक था। दोनों बहुत दुखी थे। एक समय माघ मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी का दिन था। पूरे दिन में दोनों ने सिर्फ एक बार ही फलाहार किया था। रात्रि में भगवान से प्रार्थना कर अपने किये पर पश्चाताप भी कर रहे थे। इसके बाद सुबह तक दोनों की मृत्यु हो गई। अंजाने में ही सही लेकिन उन्होंने एकादशी का उपवास किया और इसके प्रभाव से उन्हें प्रेत योनि से मुक्ति मिल गई और वे पुन: स्वर्ग लोक चले गए।