कामिका एकादशी 2025: श्रावण मास में मोक्ष और पुण्य का वरदान देने वाला है व्रत

कामिका एकादशी न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह आत्मचिंतन, शुद्धिकरण और प्रभु भक्ति का दिन है। यह व्रत हमें यह सिखाता है कि कोई भी अपराध या पाप इतना बड़ा नहीं होता, जिसे श्रद्धा और भक्ति से प्रभु क्षमा न कर दें।
 

सोमवार को रखा जा रहा है कामिका एकादशी का व्रत

जानिए  कामिका एकादशी की पौराणिक कथा

आज के दिन दीपदान और जागरण का विशेष महत्व

एकादशी तिथि और पारण समय

एकादशी तिथि प्रारंभ: 20 जुलाई को दोपहर 12:12 बजे

तिथि समाप्त: 21 जुलाई को सुबह 9:38 बजे

व्रत पारण का समय: 22 जुलाई को सुबह 5:37 बजे से 7:05 बजे तक

एकादशी व्रत का पारण द्वादशी के दिन ब्रह्ममुहूर्त या सूर्योदय के बाद किया जाता है।

पूजन विधि और महत्व
कामिका एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा की जाती है। साथ ही माता लक्ष्मी का पूजन भी अनिवार्य माना गया है। भगवान को तुलसी पत्र अर्पण करने से विशेष पुण्य फल प्राप्त होता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे सुख-समृद्धि, धन-संपत्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में कहा गया है कि कामिका एकादशी व्रत करने से गंगा, काशी, पुष्कर और नैमिषारण्य जैसे तीर्थों में स्नान के बराबर फल प्राप्त होता है।

 कामिका एकादशी की पौराणिक कथा
 कामिका एकादशी की पौराणिक कथा के बारे में कहा जाता है कि इसके बारे महाभारत के दौरान धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से इस एकादशी का महत्व के बारे में पूछा था। श्रीकृष्ण ने बताया कि ब्रह्मा जी ने एक बार नारद मुनि को यह कथा सुनाई थी।

कथा के अनुसार, प्राचीन समय में एक क्रोधी ठाकुर ने एक ब्राह्मण की हत्या कर दी। जब उसे अपनी गलती का एहसास हुआ तो उसने ब्राह्मण की क्रिया-कर्म करने का प्रयास किया, परंतु समाज ने उसे स्वीकार नहीं किया। आत्मग्लानि से पीड़ित ठाकुर ने एक मुनि से सलाह ली। मुनि ने उसे कामिका एकादशी व्रत करने को कहा। ठाकुर ने पूर्ण श्रद्धा से व्रत किया, पूजा की और रात्रि में भगवान विष्णु के समीप सो गया। स्वप्न में भगवान विष्णु ने उसे दर्शन दिए और कहा कि उसके सारे पाप नष्ट हो गए हैं। इस प्रकार, इस एकादशी व्रत ने उसे ब्रह्महत्या जैसे महापाप से भी मुक्ति दिलाई।

दीपदान और जागरण का विशेष महत्व
इस दिन रात को मंदिरों में दीप जलाने और जागरण करने का अत्यंत पुण्यफल बताया गया है। मान्यता है कि जो व्यक्ति दीपदान करता है, उनके पितरों को स्वर्ग में अमृतपान का अवसर मिलता है। विशेषकर घी या तेल का दीपक जलाने से साधक सूर्यलोक तक जाता है। ब्रह्मा जी ने कहा है कि इस एकादशी का महत्व चित्रगुप्त भी नहीं लिख सकते, क्योंकि यह समस्त पापों का नाश करने वाली है।

कामिका एकादशी का आध्यात्मिक संदेश
कामिका एकादशी न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह आत्मचिंतन, शुद्धिकरण और प्रभु भक्ति का दिन है। यह व्रत हमें यह सिखाता है कि कोई भी अपराध या पाप इतना बड़ा नहीं होता, जिसे श्रद्धा और भक्ति से प्रभु क्षमा न कर दें। इस दिन किए गए संकल्प, दान और भजन की शक्ति अनंत मानी गई है। इसलिए, श्रद्धालु इस दिन व्रत रखकर, विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ कर, तुलसी पत्र अर्पित करें और रात्रि जागरण करें। इससे जीवन में शांति, सुख, और मोक्ष की प्राप्ति अवश्य होती है।

कामिका एकादशी श्रद्धा, भक्ति और आत्मशुद्धि का पर्व है। यह व्रत सभी पापों से मुक्ति दिलाकर ईश्वर के समीप ले जाता है।  यह एकादशी आपके जीवन में शुभता और प्रकाश लेकर आए। यही हम सबकी कामना है।