चंद्रमा और रोहिणी नक्षत्र के दुर्लभ संयोग में आज मनेगा करवाचौथ, बनेगा अखंड सौभाग्य का योग

करवा चौथ की चतुर्थी तिथि 9 अक्तूबर रात 10:54 बजे से शुरू होकर 10 अक्तूबर शाम 7:38 बजे तक रहेगी। धार्मिक दृष्टि से मुख्य पूजा मध्यान और संध्याकाल में की जाती है।
 

चंद्रमा और रोहिणी नक्षत्र का दुर्लभ संगम आज

चतुर्थी तिथि और पूजा के शुभ मुहूर्त घोषित

रात 8:03 बजे होगा चंद्रोदय, अर्घ्य के बाद पारण

करवा चौथ या करक चतुर्थी का पर्व सुहागिन महिलाओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखकर अपने पति की दीर्घायु, सफलता और वैवाहिक जीवन के मंगल की कामना करती हैं। इस वर्ष करवाचौथ का व्रत शुक्रवार, 10 अक्तूबर को मनाया जाएगा।

दुर्लभ खगोलीय संयोग

ज्योतिषाचार्य विभोर इंदूसुत के अनुसार, इस बार करवाचौथ के दिन चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में रहेंगे और शाम 5 बजकर 30 मिनट से रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ होगा। चंद्रोदय के बाद जब व्रती महिलाएं चंद्रमा का दर्शन करेंगी, उस समय यह दुर्लभ और शुभ योग बना रहेगा। इसे अत्यंत फलदायी माना गया है, जिससे महिलाओं को अखंड सौभाग्य और दीर्घ वैवाहिक सुख की प्राप्ति होगी।

तिथि और पूजा का समय

करवा चौथ की चतुर्थी तिथि 9 अक्तूबर रात 10:54 बजे से शुरू होकर 10 अक्तूबर शाम 7:38 बजे तक रहेगी। धार्मिक दृष्टि से मुख्य पूजा मध्यान और संध्याकाल में की जाती है। इसलिए करवाचौथ का व्रत 10 अक्तूबर को ही रखा जाएगा।

पूजन विधि और कथा

इस दिन महिलाएं शिव परिवार, चतुर्थी स्वरूप करवा और भगवान श्री गणेश का पूजन करती हैं। श्री गणेश जी को चतुर्थी तिथि का अधिपति देव माना गया है, इसलिए व्रत आरंभ करने से पहले उनकी पूजा करना शुभ होता है। इसके बाद महिलाएं एकत्र होकर करवा चौथ व्रत कथा का पाठ और श्रवण करती हैं।

चंद्रोदय का समय

इस बार चंद्रोदय रात 8 बजकर 03 मिनट पर होगा। इसके बाद महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करेंगी।

कई शुभ योगों का संगम

ज्योतिषाचार्य रुचि कपूर के अनुसार, करवाचौथ पर इस बार कई शुभ योग बन रहे हैं — सिद्धि योग (शाम 5:41 तक) और शिववास योग (शाम 7:38 तक)। ये योग व्रती महिलाओं के लिए विशेष रूप से शुभ और फलदायी माने गए हैं।

कथा और पूजन के श्रेष्ठ मुहूर्त

  •     सुबह लाभ चौघड़िया: 9:12 से 10:30 बजे तक
  •     दोपहर शुभ चौघड़िया: 12:06 से 1:33 बजे तक
  •     संध्याकालीन पूजन मुहूर्त: 4:30 से 6:00 बजे तक

    हालांकि, शाम 5:42 बजे से व्यतिपात योग प्रारंभ होगा, जिसे अशुभ माना जाता है, इसलिए पूजा 5:42 बजे से पहले समाप्त करना उचित रहेगा।

इस वर्ष करवाचौथ पर चंद्रमा का वृषभ राशि में रहना और रोहिणी नक्षत्र का संयोग एक अद्भुत खगोलीय घटना है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, यह संयोग आने वाले वर्षों में अखंड सौभाग्य, वैवाहिक सुख और समृद्धि का प्रतीक होगा।