जानें आखिर कब दूर होगी इन 3 राशियों से शनि की साढ़ेसाती, सावन के शनिवार को करेंगे ये उपाय तो मिलेगी राहत  

शनि की चाल सबसे धीमी होती है और यही वजह है कि इनका प्रभाव जब किसी राशि पर पड़ता है तो वह लंबे समय तक चलता है और जातक इससे खासा परेशान हो जाता है।

 

हमें यह जानना चाहिए कि शनिदेव हमेशा अशुभ फल ही प्रदान नहीं करते बल्कि जिन जातकों की कुंडली में ये शुभ स्थिति में विराजमान होते हैं उन्हें मालामाल कर देते हैं। 

ज्योतिष में हर ग्रह का अपना अलग ही महत्व है और हर ग्रह का प्रभाव सभी राशियों पर पड़ता है। वहीं शनिदेव को क्रूर ग्रह माना जाता है और लोग तो मानते हैं कि इनका प्रभाव नकारात्मक ही होता है। पर देखा जाए तो ऐसा नहीं है क्योंकि शनि कर्मफलदाता है और ये कर्मों के हिसाब से ही लोगों को फल देते हैं। ये न्याय के देवता है और कभी किसी के साथ अन्याय नहीं करते और बुरे कर्म करने वाले को दंडित भी करते हैं। 

शनि की चाल सबसे धीमी होती है और यही वजह है कि इनका प्रभाव जब किसी राशि पर पड़ता है तो वह लंबे समय तक चलता है और जातक इससे खासा परेशान हो जाता है। यहां सबसे पहले तो हमें यह जानना चाहिए कि शनिदेव हमेशा अशुभ फल ही प्रदान नहीं करते बल्कि जिन जातकों की कुंडली में ये शुभ स्थिति में विराजमान होते हैं उन्हें मालामाल कर देते हैं। 

क्या होती है शनि की साढ़ेसाती और ढैया 

जैसाकि पहले बताया ही जा चुका है कि शनि की चाल सबसे धीमी होती है और ये जिस राशि में प्रवेश करते हैं उसमें बड़ी धीमी गति से चलते हैं। इन्हें एक राशि से दूसरी राशि में जाने के लिए करीब ढ़ाई वर्ष का समय लगता है और ये समय उस राशि का ढैया चलता है। वहीं शनि जिस राशि में ये जाते हैं उसकी साढ़ेसाती शुरू हो जाती है। वैदिक ज्योतिष की मानें तो हर व्यक्ति के जीवन में एक बार तो साढ़ेसाती अवश्य आती ही है। अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव रहता है तो उस व्यक्ति को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जिन जातकों की कुंडली में शनि अच्छे भाव में रहते हैं तो उसे जीवन में सभी तरह की सुख सुविधा प्रदान करते हैं। शनिदेव व्यक्ति को उसके कर्मों के आधार पर ही शुभ या अशुभ फल देते हैं। 

शनि का राशि परिवर्तन 

इस साल शनि का राशि परिवर्तन नहीं होगा जिस वजह से शनिदेव वर्षपर्यंत मकर राशि में ही विराजमान रहेंगे। धनु, मकर और कुंभ पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है वहीं मिथुन और तुला राशि पर इसकी ढैया चल रही है। 

कब तक चलेगी धनु की साढ़ेसाती ?

धनु राशि के जातकों पर शनि की साढ़ेसाती का आखिरी चरण चल रहा है। शनि की साढ़ेसाती किसी राशि पर तीन चरणों में आती है। पूरी तरह से साल 2023 में धनु राशि पर से शनि की साढ़ेसाती खत्म हो जाएगी।

मकर राशि पर कब तक रहेगा शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव 

मकर राशि पर शनि की साढ़ेसाती का दूसरा चरण चल रहा है। 2025 में मकर राशि से शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव खत्म हो जाएगा। शनि जब मीन राशि में गोचर करेंगे तब मकर राशि के जातकों को शनि की साढ़ेसाती के प्रभाव से मुक्ति मिलेगी। 

कुंभ राशि पर साढ़ेसाती कब तक?

शनि के मकर राशि में गोचर करने के कारण कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती का पहला चरण चल रहा है। कुंभ राशि पर साढ़ेसाती होने की वजह से कई तरह की परेशानियां पीछा करती हैं। कुंभ राशि से पूरी तरह शनि की साढ़ेसाती 23 जनवरी 2028 को हटेगी।

सावन शनिवार का महत्व 

सावन का पावन महीना चल रहा है जिसका महत्व बहुत अधिक होता है। हम जानते ही हैं कि सावन का महीना भोलेनाथ को समर्पित होता है और इस महीने उनकी विशेष पूजा होती है। सावन के सोमवार का बड़ा महत्व होता है ठीक इसी तरह सावन का शनिवार भी महत्वपूर्ण होता है। वैसे तो शनिवार को शनिदेव और हनुमानजी की पूजा होती है पर सावन के शनिवार को हनुमानजी के साथ ही भोलेनाथ की पूजा की जाए तो शनि के अशुभ प्रभावों से भी बचा जा सकता है। 

वहीं शनिदेव की साढ़ेसाती और ढैया से पीड़ित लोग अगर सावन के शनिवार को कुछ खआस उपाय करें तो उन्हें इससे राहत मिल सकती है। तो आइये यहां जानते हैं कि सावन के शनिवार को कौन से उपाय करके साढ़ेसाती के प्रभावों से बचा जा सकता है .....

शिवजी का जलाभिषेक करें 

सावन माह के शनिवार के दिन शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से पीड़ित लोगों को शिवलिंग पर जलाभिषेक करना चाहिए। ऐसा करने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और उन्हें शनि की साढ़ेसाती से राहत मिलती है। 

बजरंग बली को चढ़ाएं चोला 

कहते हैं कि हनुमानजी के भक्त को शनिदेव परेशान नहीं करते इसीलिए शनिवार को बजरंगबली की पूजा की जाती है वहीं सावन माह में शनिवार के दिन हनुमान जी को चोला चढ़ाना चाहिए। हनुमान जी को चोला चढ़ाने से सभी तरह के कष्टों से मुक्ति मिल जाती है।

शनिदेव को तेल अर्पित करें 

शनिवार को शनिदेव को तेल अर्पित किया जाता है। ऐसा करने से शनि के अशुभ प्रभावों से बचा जा सकता है। वहीं सावन के शनिवार को ऐसा किया जाए तो तुरंत इसका शुभ फल प्राप्त होता है। 

पीपल की पूजा से होता है लाभ 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पीपल के वृक्ष की पूजा- अर्चना करने से शनि के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिल जाती है। शनिवार के दिन पीपल पर जल चढ़ाएं, दीपक जलाएं। 

हनुमानजी का ध्यान करें 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हनुमान जी के भक्तों पर शनिदेव का अशुभ प्रभाव नहीं पड़ता है। शनिदेव ने हनुमान जी को वरदान दिया है कि आपके भक्तों पर मेरी बुरी नजर नहीं पड़ेगी।