सावन का अंतिम सोमवार आज, दुर्लभ योग में शिव आराधना से मिलेंगे अद्भुत फल
आज खुल सकता है दुर्लभ संयोग में महादेव की कृपा का द्वार खुला
शिवलिंग की स्थापना कर पंचामृत और गंगाजल से करें अभिषेक
चंद्रमा का वृश्चिक में हो रहा है गोचर
सावन का महीना शिवभक्तों के लिए आस्था और श्रद्धा का पर्व होता है, और इस बार उसका अंतिम सोमवार एक अत्यंत दुर्लभ और शुभ संयोग लेकर आया है। 4 अगस्त को ब्रह्म, इंद्र और सर्वार्थ सिद्धि जैसे तीन विशेष योगों के साथ यह दिन अत्यधिक पुण्यदायी बन गया है। ज्योतिषियों के अनुसार, इस दिन महादेव की विधिपूर्वक पूजा करने से व्यक्ति को विशेष फल की प्राप्ति होती है — विशेषकर मनोकामनाओं की पूर्ति, ग्रह दोषों की शांति और जीवन में समृद्धि।
इस दिन सूर्योदय सुबह 5:44 पर और सूर्यास्त शाम 7:10 पर होगा, लेकिन इससे भी अधिक खास बात यह है कि यह सोमवार ब्रह्म योग, इंद्र योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का संगम लेकर आया है। सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 5:44 से रात 9:12 तक रहेगा, जो कार्यसिद्धि और समृद्धि के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इंद्र योग सुबह 7:06 से 7:25 बजे तक रहेगा, जो सफलता और आत्मविश्वास के प्रतीक के रूप में मान्यता प्राप्त है। ऐसे योगों में की गई आराधना विशेष प्रभाव डालती है।
रुद्राभिषेक से लेकर बेलपत्र पर नाम लेखन तक
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में (सुबह 4:20 से 5:02 बजे तक) स्नान कर हरे या सफेद वस्त्र धारण करना चाहिए। घर अथवा मंदिर में पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करने के बाद शिवलिंग की स्थापना कर पंचामृत और गंगाजल से अभिषेक करें। इसके पश्चात इत्र, चंदन, बेलपत्र, धतूरा, भांग, मिश्री, गुड़, अक्षत, काला तिल, जौ, और फल अर्पित करें।
विशेष रूप से रुद्राभिषेक करना इस दिन अत्यंत फलदायी माना गया है। साथ ही, श्रीराम का नाम लिखे 108 बेलपत्र शिवलिंग पर चढ़ाने से महादेव शीघ्र प्रसन्न होते हैं। भक्त 'ओम नमः शिवाय', महामृत्युंजय मंत्र, शिव चालीसा, द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र का पाठ करें और आरती के साथ पूजा का समापन करें।
व्रत और उपवास से मिलता है मानसिक शुद्धि और आत्मिक बल
सावन सोमवार का व्रत रखने से न केवल मानसिक शुद्धि मिलती है, बल्कि यह दिन विशेष रूप से विवाह में अड़चन, करियर में बाधा, आर्थिक तंगी और गृहक्लेश जैसी समस्याओं के समाधान के लिए प्रभावी माना जाता है। मान्यता है कि शिवजी को सच्चे मन से रिझाया जाए तो वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
चंद्रमा का वृश्चिक में गोचर
इस सोमवार को चंद्रमा अनुराधा और चित्रा नक्षत्र में वृश्चिक राशि में गोचर करेगा, जिससे शिव आराधना का फल और भी अधिक प्रभावशाली होगा। यह गोचर मन की स्थिरता और आत्मविश्वास में वृद्धि करता है, जिससे भक्तों को मानसिक शांति और आत्मबल की अनुभूति होती है।
सावन का यह अंतिम सोमवार न केवल धार्मिक रूप से बल्कि ज्योतिषीय दृष्टि से भी एक विशेष अवसर है। भक्तों के लिए यह दिन शिव कृपा पाने का अंतिम सुनहरा मौका है, जहां दुर्लभ योगों के साथ ईश्वर की भक्ति जीवन के अंधकार को मिटा सकती है। अतः पूरे विधि-विधान और श्रद्धा के साथ इस दिन महादेव की पूजा कर अपनी समस्याओं से मुक्ति और जीवन में प्रकाश प्राप्त करें।