अगर जीवन में होना है सफल तो ध्यान रखें गीता की ये पांच बातें
श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्री कृष्ण के उपदेशों का वर्णन है। श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश महाभारत युद्ध के दौरान अर्जुन को दिया था। कृष्ण ने अर्जुन को तब गीता का पाठ पढ़ाया था, जब उनके कदम युद्ध भूमि में डगमगाने लगे थे।
श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्री कृष्ण के उपदेशों का वर्णन
श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश महाभारत युद्ध के दौरान अर्जुन को दिया
श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्री कृष्ण के उपदेशों का वर्णन है। श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश महाभारत युद्ध के दौरान अर्जुन को दिया था। कृष्ण ने अर्जुन को तब गीता का पाठ पढ़ाया था, जब उनके कदम युद्ध भूमि में डगमगाने लगे थे।
कहा जाता है कि गीता में जीवन की हर एक परेशानी का हल मिल जाता है। गीता के उपदेश कर्म करने और जीवन में आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा देते हैं। ऐसे में किसी भी परेशानी का हल पाने और जीवन में सफल होने के लिए गीता की कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। जो भी व्यक्ति गीता की इन बातों का जीवन में अनुसरण कर लेता है, वह हर कार्य में विजय हासिल कर सकता है।
1- क्रोध पर नियंत्रण रखना
महाभारत के युद्ध में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को बताया था कि मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन उसका क्रोध यानी गुस्सा होता है। गुस्से में व्यक्ति खुद पर नियंत्रण खो बैठता है और आवेश में आकर गलत कार्य कर देता है, इसलिए क्रोध को खुद पर हावी नहीं होने देना चाहिए। गीता में श्रीकृष्ण ने बताया है कि यदि गुस्सा आए तो स्वयं को शांत रखने का प्रयास करें।
2- मन पर नियंत्रण
श्री कृष्ण कहते हैं कि कई बार हमारा मन ही हमारे समस्त दुखों का कारण बन जाता है, इसलिए हर व्यक्ति को अपने मन को नियंत्रण में रखना बहुत जरूरी है। जिस व्यक्ति ने अपने मन पर काबू पा लिया वह मन में उत्पन्न होने वाली बेकार की चिंताओं और इच्छाओं से भी दूर रहता है।
3- कर्म करें, फल की इच्छा न करें
कुरुक्षेत्र में युद्ध के दौरान अर्जुन के विचलित हो जाने पर कृष्ण ने कहा था कि हर मनुष्य को कर्म करना चाहिए, फल की इच्छा नहीं करनी चाहिए। कृष्ण कहते हैं कि जैसा व्यक्ति का कर्म होगा ईश्वर उसी के अनुरूप ही फल देंगे। यदि आप कार्य के पहले ही परिणाम की अपेक्षा करेंगे तो आपका मन भ्रमित हो जाएगा और आप अपना कर्म ठीक से नहीं कर पाएंगे।
4- आत्म मंथन
कृष्ण कहते हैं कि व्यक्ति को खुद से बेहतर कोई नहीं जान सकता, इसलिए स्वयं का आकलन करना सबसे जरूरी है। जो भी व्यक्ति अपने गुणों और कमियों को जान लेता है वह अपने व्यक्तित्व का निर्माण करके हर काम में सफलता प्राप्त कर सकता है।
5- अभ्यास करते जाएं
गीता में भगवान कृष्ण अर्जुन को उपदेश देते हुए कहते हैं कि मनुष्य को सदैव अभ्यास करते रहना चाहिए। अभ्यास करने से मनुष्य का जीवन आसान हो जाता है।