सुबह-सुबह जब मिलने लगे ये चार संकेत, तो समझ लें मां लक्ष्मी की बरसने वाली है कृपा 
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सप्ताह के शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी की पूजा को समर्पित है। इस दिन देवी की पूजा करने से उनकी विशेष कृपा बनी रहती है। इस दौरान देवी को प्रिय भोग लगाने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती है।

 

सप्ताह के शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी की पूजा को समर्पित है। इस दिन देवी की पूजा करने से उनकी विशेष कृपा बनी रहती है। इस दौरान देवी को प्रिय भोग लगाने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती है। माना जाता है कि जिस भी व्यक्ति पर मां लक्ष्मी की कृपा होती है, उसे जीवन में कभी धन की कमी नहीं होती है। साथ ही रुके हुए कार्यों को भी गति मिलती है और तरक्की के योग बनने लगते हैं। हर तीज त्योहार पर मां देवी की पूजा की जाती है, ताकि घर में उनका वास बना रहे। इसलिए शाम के समय हमेशा घर को साफ रखने की सलाह दी जाती है क्योंकि गंदगी होने पर देवी नाराज हो जाती है।

 कई बार व्यक्ति को कुछ ऐसे संकेत मिलते है, जो देवी आगमन से जुड़े होते है परंतु उनका ज्ञान न होने पर इसकी पहचान करना मुश्किल होता है। ऐसे में आइए इन शुभ संकेतों के बारे में जान लेते हैं, जो धन की देवी मां लक्ष्मी से जुड़े होते हैं।


किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत करने से पहले शंख बजाया जाता है। हिंदू धर्म में इसे बेहद शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यदि सुबह उठने के बाद शंख बजने की आवाज सुनाई दे, तो ये शुभ संकेत है। इसे मां लक्ष्मी के आगमन का संकेत माना जाता है।


हिंदू धर्म में हर तीज-त्योहार पर झाड़ू की पूजा की जाती है। इसमें मां लक्ष्मी का वास होता है। मान्यता है कि अगर सुबह के समय कोई झाड़ू लगाते दिखाई देता है, तो धन की देवी मां से जुड़ा संकेत माना जाता है।


धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यदि किसी व्यक्ति के खानपान में अचानक से बदलाव आने लगे, तो इसे मां देवी का आगमन माना जाता है। ऐसे लोग धीरे-धीरे मांसाहारी भोजन व नशे से दूरी बना लेते है।


मां लक्ष्मी का वाहन उल्लू है, इसलिए उल्लू का दिखना शुभ संकेत होता है। कहा जाता है कि धन की देवी मां लक्ष्मी अपने आगमन से पहले सूचना दे रही हैं। यदि आपको उल्लू दिखाई दे, तो समझ जाएं मां लक्ष्मी मेहरबान होने वाली हैं।


मां लक्ष्मी की आरती 

ऊं जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।। 
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता। 
ऊं जय लक्ष्मी माता।।

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता। 
मैया तुम ही जग-माता।।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता। 
ऊं जय लक्ष्मी माता।।

दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता। 
मैया सुख संपत्ति दाता। 
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता। 
ऊं जय लक्ष्मी माता।।

तुम पाताल-निवासिनि,तुम ही शुभदाता। 
मैया तुम ही शुभदाता। 
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी,भवनिधि की त्राता। 
ऊं जय लक्ष्मी माता।।

जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता। 
मैया सब सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता। 
ऊं जय लक्ष्मी माता।।

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता। 
मैया वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव,सब तुमसे आता। 
ऊं जय लक्ष्मी माता।।

शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता। 
मैया क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता। 
ऊं जय लक्ष्मी माता।।

महालक्ष्मी जी की आरती,जो कोई नर गाता। 
मैया जो कोई नर गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता। 
ऊं जय लक्ष्मी माता।।

ऊं  जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता। 
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता। 
ऊं जय लक्ष्मी माता।।