मासिक शिवरात्रि पर बन रहे हैं कई शुभ योग, महादेव की पूजा से मिलेगा विशेष फल
कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है मासिक शिवरात्रि
अबकी बार कई दुर्लभ और शुभ योगों के संयोग
विधि-विधान से पूजा करने से जीवन में सुख
शांति और समृद्धि
प्रत्येक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाने वाली मासिक शिवरात्रि इस बार बेहद खास है। 21 अगस्त को पड़ रही यह मासिक शिवरात्रि, कई दुर्लभ और शुभ योगों के संयोग के कारण और भी अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। इस दिन गुरु-पुष्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का अद्भुत संगम बन रहा है, जिससे यह दिन भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना के लिए अत्यंत फलदायी हो गया है।
मासिक शिवरात्रि का महत्व
यह दिन भगवान शिव के भक्तों के लिए विशेष होता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और महादेव की विधि-विधान से पूजा करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। इस दिन भक्त उपवास रखकर रात में जागरण करते हैं, भगवान शिव के भजन गाते हैं और उनकी महिमा का गुणगान करते हैं। यह माना जाता है कि मासिक शिवरात्रि पर सच्चे मन से की गई प्रार्थना जीवन की सभी परेशानियों को दूर करती है और मनोकामनाओं को पूरा करती है।
इस बार के विशेष योग
इस बार की मासिक शिवरात्रि इसलिए भी खास है क्योंकि इस पर कई शुभ योगों का संयोग बन रहा है:
गुरु-पुष्य योग: यह योग गुरुवार को पुष्य नक्षत्र के पड़ने से बनता है। इसे धन, समृद्धि और ज्ञान के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस योग में किया गया कोई भी शुभ कार्य, चाहे वह नया व्यापार शुरू करना हो या निवेश करना हो, सफलता दिलाता है।
सर्वार्थ सिद्धि योग: यह योग सभी कार्यों की सिद्धि के लिए जाना जाता है। इस दिन किसी भी शुभ काम को शुरू करने से उसमें सफलता मिलने की संभावना बहुत बढ़ जाती है।
अमृत सिद्धि योग: यह योग आध्यात्मिक और सांसारिक दोनों तरह के कार्यों में सफलता दिलाता है। इस योग में की गई पूजा और साधना का फल कई गुना बढ़ जाता है।
त्रयोदशी तिथि 21 अगस्त की शाम 12 बजकर 44 मिनट तक रहेगी, जिसके बाद चतुर्दशी तिथि शुरू होगी। इस दौरान चंद्रमा कर्क राशि में रहेंगे और पुष्य नक्षत्र 22 अगस्त की रात 12 बजकर 8 मिनट तक रहेगा।
महादेव की पूजा विधि
मासिक शिवरात्रि पर भगवान शिव की कृपा पाने के लिए कुछ विशेष पूजा विधि का पालन करना शुभ माना जाता है:
- सुबह स्नान और स्वच्छ वस्त्र धारण करें: मासिक शिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- शिवलिंग का अभिषेक: घर के पूजा स्थल या किसी शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग पर जल, दूध, घी, शहद और शक्कर मिलाकर अभिषेक करें।
- पूजन सामग्री: भगवान को बेलपत्र, धतूरा, भांग, सफेद फूल, काला तिल, जनेऊ, सुपारी, जौ, गेहूं, गुड़ और अन्य पूजन सामग्री अर्पित करें।
- मंत्र जाप और ध्यान: विधि-विधान से पूजा करने के बाद ध्यान लगाएं और 'ओम नमः शिवाय' और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। इसके साथ ही, शिव चालीसा या रुद्राष्टक का पाठ करना भी अत्यंत शुभ होता है।
- उपवास और जागरण: संभव हो तो इस दिन उपवास रखें और रात में जागरण कर भक्ति भजनों का गायन करें।
- आरती और प्रसाद: पूजा के अंत में आरती करें और सभी भक्तों में प्रसाद वितरित करें।
मासिक शिवरात्रि पर इन शुभ योगों का संयोग इस दिन को और भी अधिक विशेष बना रहा है। भक्तों को इस अवसर का लाभ उठाकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए ताकि वे अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि ला सकें।