आज से शुरू होगा मुहर्रम, जानिए मुहर्रम का महत्व और कब रखा जाता है रोजा  

इस्लाम धर्म के लोगों के लिए मुहर्रम का दिन बेहद खास होता है। इसे नए साल के रूप में मनाया जाता है। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार मुहर्रम इस्लाम धर्म का पहला महीना होता है।
 

इस्लाम धर्म के लोगों के लिए मुहर्रम का दिन बेहद खास होता है। इसे नए साल के रूप में मनाया जाता है। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार मुहर्रम इस्लाम धर्म का पहला महीना होता है। इसे बकरीद के 20 दिनों के बाद मनाया जाता है। भारत में मुहर्रम मनाने की तारीख चांद निकलने पर तय की जाती है। ऐसे में हर साल इसकी तारीख बदलती है।


बता दें इस्लामी कैलेंडर में 12 महीने होते हैं, जिसमें से 4 सबसे पवित्र माने जाते हैं, इनमें जुल- का'दा, जुल-हिज्जा और मुहर्रम और चौथा रजब का नाम शामिल है। इन माह को अल्लाह की दया और कृपा पाने के लिए सबसे उचित माना जाता है। इस्लामी मान्यताओं के अनुसार मुहर्रम में सदका करना बेहद शुभ होता है। इससे अल्लाह का आशीर्वाद पूरे साल बना रहता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि इस साल मुहर्रम कब है और इसे कैसे मनाया जाता है।


कब है मुहर्रम 2024?


इस्लामिक कैलेंडर अनुसार इस साल 7 जुलाई 2024 से मुहर्रम शुरू हो रहा है। वहीं आशूरा मनाने की तारीख 17 जुलाई है।


मुहर्रम का महत्व


एक तरफ जहां मुहर्रम को नए साल के रूप में मनाया जाता है, वहीं इसे मातम का दिन भी माना जाता है। बता दें मुहर्रम की 10वीं तारीख को यौम-ए-आशूरा के नाम से जाना जाता है। इस्लामी मान्यताओं के अनुसार इस दिन हजरत इमाम हुसैन की शहादत हुई थी। हजरत इमाम हुसैन को इस्लाम धर्म का संस्थापक माना जाता है। वह हजरत मुहम्मद साहब के छोटे नवासे थे। ऐसे में हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में मोहर्रम के 10वें दिन को लोग मातम के रूप में मनाते हैं, जिसे आशूरा कहा जाता है। वहीं कुछ लोग इस दिन इमाम हुसैन की शहादत की याद में जुलूस भी निकालते हैं।


कब रखा जाता है रोजा


मुहर्रम को लेकर शिया और सुन्नी दोनों समुदाय की अलग-अलग मान्यताएं है। ये दोनों इस दिन को अलग-अलग तरीके से मनाते हैं। कहते हैं कि इस दिन रोजा रखने से अल्लाह खुश होते हैं और उनका आशीर्वाद बना रहता है। इस दौरान सुन्नी समुदाय के लोग 9 और 10 वीं तारीख को रोजा रखते हैं, तो वहीं शिया समुदाय के लोग 1 से 9 तारीख के बीच में रोजा रखते हैं।
 

क्यों मनाया जाता है मुहर्रम?


इस्लाम धर्म के लोगों का प्रमुख त्योहार मुहर्रम को मनाने के पीछे ऐसा माना जाता है कि हजरत इमाम हुसैन अपने 72 साथियों के साथ मोहर्रम माह के 10वें दिन कर्बला के मैदान में शहीद हो गए थे। इसलिए उनकी शहादत और कुर्बानी के तौर पर, इस दिन को याद किया जाता है और  जुलूस भी निकाले जाते हैं।


कैसे मनाया जाता है मुहर्रम?


मुहर्रम के दिन शिया समुदाय के लोग इस दिन जुलूस निकालते हैं। दूसरी ओर सुन्नी समुदाय के कुछ लोग आशूर के दिन रोजा रखते हैं। ये दोनों समुदाय अपनी अपनी मान्यताओं के अनुसार इस दिन को मनाते हैं।