10 अक्तूबर को पड़ रही है सप्तमी और अष्टमी, 11 अक्तूबर को साथ में मनाई जाएगी अष्टमी-नवमी
नवरात्रि की अष्टमी व नवमी तिथियों पर न हों कंफ्यूज
कन्याओं का भोज कराने की करें तैयारी
जानिए अष्टमी-नवमी का मुहूर्त
हर साल नवरात्रि की अष्टमी व नवमी तिथि पर कन्याओं को जिमाया जाता है, जिसे कन्या पूजन कहते हैं। मान्यताओं के अनुसार कन्या पूजन करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। साथ ही साधक को धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती हैं। वहीं शारदीय नवरात्रि का पर्व अब समाप्ति की ओर है। ऐसे में अष्टमी-नवमी पर कन्या पूजन किया जाएगा। हालांकि इस बार तिथि को लेकर लोगों में असमंजस बना हुआ है।
पंचांग के अनुसार इस वर्ष शारदीय नवरात्रि में 10 अक्तूबर को सप्तमी और अष्टमी एक ही दिन पड़ रही है। लेकिन शास्त्रों के अनुसार जब भी सप्तमी-अष्टमी एक दिन होती है, तो दुर्गा अष्टमी का उपवास नहीं रखना चाहिए। इसलिए 11 अक्तूबर को अष्टमी-नवमी साथ में मनाई जाएगी। ऐसे में आइए जानते हैं कि नौ दिनों का व्रत रख रहे साधक व्रत का पारण कब और कैसे कर सकते हैं।
पंचांग के अनुसार 11 अक्तूबर 2024 को अष्टमी और नवमी एक दिन है। ऐसे में 11 अक्तूबर को मां महागौरी और देवी सिद्धिदात्री की पूजा भी कर सकते हैं। इस दौरान 11 अक्तूबर को दोपहर 12.06 तक अष्टमी तिथि है। इसलिए अष्टमी को व्रत का पारण करने वाले लोग इस मुहूर्त में उपवास खोल सकते हैं। इसके बाद की तिथि नवमी है।
कन्या पूजन 2024 शुभ चौघड़िया मुहूर्त
चर-सामान्य मुहूर्त: 06:20 ए एम से 07:47 ए एम
लाभ-उन्नति मुहूर्त: 07:47 ए एम से 09:14 ए एम
अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त: 09:14 ए एम से 10:41 ए एम
शुभ-उत्तम मुहूर्त: 12:08 पी एम से 01:34 पी एम
चर-सामान्य मुहूर्त: 04:28 पी एम से 05:55 पी एम
नवरात्रि व्रत का पारण कैसे करें ?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के नौ दिनों का व्रत रख रहे साधकों को व्रत का पारण कन्या पूजन के बाद ही करना चाहिए। माना जाता है कि जो भोग माता के प्रसाद में बना हो, उसी से व्रत का पारण करना चाहिए। इससे उपवास को पूर्ण फल मिलता है। इस दौरान कन्या पूजन के लिए पहले मां दुर्गा की आराधना करें। फिर उन्हें हलवा पूरी का भोग लगाएं। इसके बाद कन्याओं को भरपेट भोजन कराकर दक्षिणा दें। इसके बाद आप व्रत का पारण कर सकते हैं।