निर्जला एकादशी का आज रखें व्रत, आपको मिलेगा कष्टों से छुटकारा, आज के दिन करें ये काम 
 

पदमपुराण के अनुसार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष में निर्जला एकादशी व्रत किया जाता है, जिसको करने से सभी एकादशियों का फल प्राप्त हो जाता है।
 

पदमपुराण के अनुसार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष में निर्जला एकादशी व्रत किया जाता है, जिसको करने से सभी एकादशियों का फल प्राप्त हो जाता है। एकादशी तिथि पर श्रीहरि और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने का विधान है। यह एकादशी व्रत समाज में एकता, धर्मनिष्ठा और आत्मशुद्धि का प्रतीक है। इस दिन को जल की महत्वता को उभारने का भी विशेष महत्व है,जो हमें प्राकृतिक धरोहर के प्रति सम्मान और आभारी बनाता है। यह व्रत मन को संयम सिखाता है और शरीर को नई ऊर्जा देता है। इस एकादशी के नाम के अनुसार ही इसको करने के नियम भी हैं। यदि आप व्रत रख रहे हैं तो बताते हैं कि इस दिन आप अपने कष्टों से छुटकारा पाने के लिए क्या करें और क्या नहीं करें।


एकादशी के दिन करें यह काम

  • वैसे तो इस व्रत में एकादशी के सूर्योदय से द्वादशी तिथि के सूर्योदय तक निर्जल रह कर व्रत करने का विधान है पर जो लोग कमजोर या फिर बीमार रहते हैं वह जल पीकर और एक बार फलहार कर सकते हैं।
  • इस एकादशी को श्रीहरि को प्रिय तुलसी की मंजरी और पीला चन्दन, रोली, अक्षत, पीले पुष्प, ऋतु फल और धूप-दीप, मिश्री आदि से भगवान दामोदर का भक्ति-भाव से पूजन करना चाहिए। इस दिन तुलसी के पत्र नहीं तोड़ने चाहिए, शास्त्रों में ऐसा करना वर्जित बताया गया है।  
  • एकादशी के दिन गीता पाठ, विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ व 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' का जप करने से प्राणी पापमुक्त-कर्जमुक्त होकर विष्णुजी की कृपा पाता है।
  • रात्रि के समय भगवान नारायण की प्रसन्नता के लिए नृत्य, भजन-कीर्तन और स्तुति के द्वारा जागरण करना चाहिए। ऐसा करने से अक्षय पुण्यों की प्राप्ति होती है।
  • व्रत की सिद्धि के लिए भगवान विष्णु के समक्ष घी का अखंड  दीपक जलाएं एवं दीपदान करना शुभ माना गया है।
  • यह व्रत ज्येष्ठ मास में पड़ने के कारण इस दिन गर्मी से राहत देने वाली शीतल वस्तुओं का दान करना चाहिए। इस दिन गोदान, वस्त्रदान, छत्र, जूता, फल आदि का दान करना बहुत ही लाभकारी होता है।
  • इस दिन साधक को बिना जल पिए ज़रूरतमंद व्यक्ति या किसी श्रेष्ठ ब्राह्मण को शुद्ध पानी से भरा घड़ा यह मंत्र पढ़कर दान करना चाहिए।
  • देवदेव हृषिकेश संसारार्णवतारक।
  • उदकुंभप्रदानेन नय मां परमां गतिम्॥

ऐसा न करें


पौराणिक मान्यता के अनुसार एकादशी में ब्रह्महत्या सहित समस्त पापों का शमन करने की शक्ति होती है, इस दिन मन,कर्म,वचन द्वारा किसी भी प्रकार का पाप कर्म करने से बचने का प्रयास करना चाहिए।

इस तिथि पर लहसुन, प्याज, मांस, मछली, अंडा आदि तामसिक आहार के सेवन से भी दूर रहना चाहिए एवं दिन में नहीं सोना चाहिए।

इस दिन व्रती किसी की बुराई या चुगली न करें। माता पिता, गुरु या अन्य किसी का दिल न दुखाएं और न ही किसी  का अपमान करें।

एकादशी के दिन चावल नहीं खाने चाहिए। जो लोग एकादशी का व्रत नहीं करते उन्हें भी चावल नहीं खाना चाहिए।