भरत का प्रेम मानव जीवन में बेमिसाल, भातृत्व प्रेम की अनूठी मिसाल

वर्तमान समय में लोगों को भगवान श्रीराम और भरत के प्रेम से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है। कथा वाचिका शालिनी त्रिपाठी ने कहा कि रामायण मनुष्य को जीवन जीने की कला सिखाती है।
 

शालिनी त्रिपाठी सुना रही हैं रामकथा

नौ दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा का आखिरी दिन

कई राजनेता व जनप्रतिनिधि रहे मौजूद

 राम के प्रति भरत का अटूट प्रेम मानव जीवन को भातृत्व प्रेम की अनूठी मिसाल देता है। राम के 14 वर्ष तक वनवास के दौरान उनकी चरण पादुका रखकर भरत ने राम राज्य चलाया। ऐसा कोई दूसरा भाई न हुआ है और न होगा।

  उक्त बातें मानस प्रेम यज्ञ सेवा समिति अधिकारी मंदिर परिसर में आयोजित नौ दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा की अंतिम निशा पर कथा वाचिका शालिनी त्रिपाठी ने श्रीराम कथा सुनाते हुए कही। उन्होंने कहा कि भरत की माता कैकई ने अपने पुत्र के राज तिलक के लिए राम को वनवास करा दिया। परंतु जैसे ही भरत को राम के वनवास की जानकारी हुई। उन्होंने अपनी मां का परित्याग कर दिया और राजतिलक कराने से भी इंकार कर दिया।

कहा कि वर्तमान समय में लोगों को भगवान श्रीराम और भरत के प्रेम से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है। कथा वाचिका शालिनी त्रिपाठी ने कहा कि रामायण मनुष्य को जीवन जीने की कला सिखाती है। एक तरफ भरत का भाई राम के प्रति अगाध प्रेम वहीं दूसरी तरफ रावण का अहंकार जिसने भक्ति की देवी माता सीता का अपहरण करके अपने कुल का सर्वनाश कर दिया। भगवान राम ने अहंकारी रावण का अंत करके देवताओं को असुरों के आतंक से मुक्त कराने की कथा सुनाई तो पूरा माहौल जय श्रीराम की उद्घोष से गूंज उठा। मंच से फूलों की वर्षा हुई लोग जयकारे लगाए। भगवान राम अयोध्या नगरी में प्रवेश किये और उनका राजतिलक हुआ वही कथा को विश्राम दिया गया।

   कथा के दौरान विधायक कैलाश खरवार आचार्य, नगर पंचायत अध्यक्ष गौरव श्रीवास्तव, समाजसेवी डॉक्टर गीता शुक्ला, विधायक प्रतिनिधि केशव मूर्ति सहित सैकड़ों कथा प्रेमी उपस्थित थे।