रविवार को बन रहा भानु सप्तमी का विशेष योग, विधि-विधान से करेंगे सूर्य पूजा व रखेंगे व्रत तो मिलेगा शुभ फल
जब कभी रविवार को सप्तमी तिथि होती है तब भानु सप्तमी का योग बनता है और इस दिन विशेष रूप से सूर्य पूजा की जाती है। भानु भगवान सूर्य का सिर्फ एक और नाम है।
देखा जाए तो जब कभी रविवार को सप्तमी का योग यानी भानु सप्तमी का योग तो बन जाता है पर सावन के महीने में ऐसा संयोग कम ही देखने को मिलता है। वहीं इस बार पूरे 4 साल बाद ये खास योग 15 अगस्त रविवार को बन रहा है। तो इस दिन सूर्य को अर्घ्य देने, व्रत करने और पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होगी।
सावन के महीने में जहां भोलेनाथ की पूजा होती है वहीं भगवान भुवन भास्कर की पूजा का भी बड़ा महत्व है। शास्त्रों के अनुसार इस माह सूर्य को पर्जन्य के रूप में पूजना चाहिए। जब कभी रविवार को सप्तमी तिथि होती है तब भानु सप्तमी का योग बनता है और इस दिन विशेष रूप से सूर्य पूजा की जाती है। भानु भगवान सूर्य का सिर्फ एक और नाम है।
देखा जाए तो जब कभी रविवार को सप्तमी का योग यानी भानु सप्तमी का योग तो बन जाता है पर सावन के महीने में ऐसा संयोग कम ही देखने को मिलता है। वहीं इस बार पूरे 4 साल बाद ये खास योग 15 अगस्त रविवार को बन रहा है। तो इस दिन सूर्य को अर्घ्य देने, व्रत करने और पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होगी।
इससे पहले सावन में भानु सप्तमी का ये शुभ योग 30 जुलाई 2017 को बना था जब रविवार को सावन महीने के शुक्लपक्ष की सप्तमी थी। अब इसके पूरे तीन साल के बाद ये योग 11 अगस्त 2024 को बनेगा। इसलिए इस बार यानी 15 अगस्त रविवार को सूर्य देव को अर्घ्य देकर विधि-विधान से पूजा कर लें।
भानु सप्तमी का महत्व
भानु सप्तमी तब होती है जब रविवार को सप्तमी तिथि पड़ती है। सूर्य देव को सभी ग्रहों का राजा माना जाता है और इस दिन उनकी पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि उनके आगमन से ही ग्रह पर जीवन संभव है। वह इस धरती पर सारी ऊर्जा का स्रोत है। सूर्य की सात किरणों को स्वर्ण रथ के सात घोड़ों द्वारा निरूपित किया जाता है। भगवान सूर्य के सारथी अरुणा हैं और वे सूर्य की भीषण गर्मी से पृथ्वी की रक्षा करते हैं। सभी प्राणियों के निर्माता माने जाने वाले भगवान सूर्य को स्वास्थ्य का स्वामी भी कहा जाता है।
भुवन भास्कर को दें अर्घ्य
-सूर्य देव की पूजा में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है सूर्य को अर्घ्य देना। तो इस दिन सूर्योदय से पहले उठ जाएं और फिर स्नान कर लें। इसके बाद तांबे के लोटे में शुद्ध जल भर लें। उसके साथ ही लोटे में लाल चंदन, लाल फूल, चावल और कुछ गेहूं के दाने भी डाल लें। ऊं घृणि सूर्याय नम: मंत्र बोलें और उगते हुए सूरज को इस लोटे का जल चढ़ाएं। इसके बाद भगवान भास्कर को नमस्कार करें।
-गायत्री मंत्र का जाप करें और हो सके तो आदित्य हृदय स्तोत्र का भी पाठ करें। इसके अलावा भगवान सूर्य के 12 नामों का जाप भी कर सकते हैं।
-भक्तों को पूर्व दिशा की ओर देखते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। यहां तक कि अगर अर्घ्य देते समय सूर्य नहीं देखा जा सकता है तो भी व्यक्ति को पूर्व की ओर देखना चाहिए और अर्घ्य देना चाहिए।
-सुबह सूर्य पूजा करते समय भक्तों को लाल वस्त्र धारण करने चाहिए।
इस दिन रखें बगैर नमक का व्रत
सूर्य की पूजा में अर्घ्य के बाद सबसे महत्वपूर्ण है नमक न खाना। सूर्य के लिए व्रत रखा जाता है तो उस दिन भोजन बगैर नमक का ही किया जाता है। तो इस दिन अगर आप भी ये व्रत रख रहे हैं तो सूर्य के सामने बैठकर दिनभर बिना नमक का व्रत करने का संकल्प लें। संभव हो तो पूरे दिन तांबे के बर्तन का पानी ही पीएं। पूरे दिन व्रत रखें और फलाहार में नमक न खाएं। एक समय भोजन करें तो उसमें भी नमक का इस्तेमाल न करें। सूर्य को अर्घ्य देने के बाद श्रद्धानुसार भोजन, वस्त्र या कोई भी उपयोगी वस्तु दान करें। गाय को चारा खिलाएं और अन्य पशु-पक्षियों को भी खाने की कोई वस्तु खिलाएं।
सूर्य पूजा से दूर होते हैं रोग
माना जाता है कि भानु सप्तमी पर सूर्य को जल चढ़ाने से बुद्धि का विकास होता है और मानसिक शांति मिलती है और वह व्यक्ति कभी भी अंधा ,दरिद्र, दुखी नहीं रहता। सूर्य की पूजा करने से मनुष्य के सब रोग दूर हो जाते हैं। भानु सप्तमी के दिन दान करने से पुण्य बढ़ता है और लक्ष्मीजी भी प्रसन्न होती हैं। पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ यह व्रत करने से पिता और पुत्र में प्रेम बना रहता है। इस दिन सामर्थ्य के अनुसार गरीबों और ब्राह्मणों को दान देना चाहिए।
भानु सप्तमी से जुड़ी कथा
ऐसा माना जाता है कि भानु सप्तमी को भगवान सूर्य के जन्मदिन या सूर्य भगवान की पहली उपस्थिति को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है। हिंदू धर्म में इस दिन का बहुत महत्व है क्योंकि पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार इस पवित्र दिन की पूर्व संध्या पर भगवान सूर्य ने सात घोड़ों द्वारा खींचे गए रथ पर अपनी पहली उपस्थिति दर्ज की थी।
इस दिन भक्त सूर्य यंत्र पर सूर्य की किरणें पड़ने के बाद महाभिषेक करते हैं। लोगों का मानना है कि जो व्यक्ति इस दिन सूर्य देव की पूजा करता है उसे अच्छे स्वास्थ्य, जीवन शक्ति, धन और दीर्घायु की प्राप्ति होती है।