सावन के पहले प्रदोष व्रत पर बन रहा विशेष संयोग, विधि-विधान से करेंगे महादेव की पूजा तो मिलेगा शुभ फल
भगवान शिव का प्रिय माह सावन चल रहा है। इस पूरे महीने भोलेनाथ की पूजा की जाती है वहीं सावन सोमवार और प्रदोष व्रत जो इस माह पड़ता है उसका विशेष महत्व है।
सावन में प्रदोष व्रत रखना बेहद शुभ फलदायी माना जाता है। शास्त्रों की मानें तो इस व्रत को करने से व्यक्ति के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।
भगवान शिव का प्रिय माह सावन चल रहा है। इस पूरे महीने भोलेनाथ की पूजा की जाती है वहीं सावन सोमवार और प्रदोष व्रत जो इस माह पड़ता है उसका विशेष महत्व है। सावन माह की ही तरह प्रदोष व्रत भी महादेव को समर्पित होता है। इस दिन भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा की जाती है, व्रत रखा जाता है। प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है जो माह में दो बार यानी शुक्ल व कृष्ण पक्ष में आता है।
वहीं देखा जाए तो सावन में प्रदोष व्रत रखना बेहद शुभ फलदायी माना जाता है। शास्त्रों की मानें तो इस व्रत को करने से व्यक्ति के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। साथ ही ज्योतिष कहता है कि ये व्रत करने से कुंडली में चंद्र का दोष दूर हो जाता है। सावन का पहला प्रदोष व्रत 5 अगस्त गुरुवार को पड़ रहा है। गुरुवार को प्रदोष व्रत पड़ने से इसे गुरु प्रदोष व्रत भी कहते हैं। इस दिन संध्या के समय जिसे प्रदोष काल कहा जाता है तब भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है।
प्रदोष व्रत पर बन रहा विशेष संयोग
सावन कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ : 05 अगस्त की शाम 05 बजकर 09 मिनट से
सावन कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि समापन : 06 अगस्त की शाम 06 बजकर 28 मिनट तक
प्रदोष काल : 05 अगस्त के शाम 07 बजकर 09 मिनट से 09 बजकर 16 मिनट तक
श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी 05 अगस्त को शाम 05 बजकर 09 मिनट से शुरू होगी जो 06 अगस्त की शाम 06 बजकर 28 मिनट पर समाप्त होगी। प्रदोष व्रत के दिन हर्षण योग बन रहा है। हर्षण योग 06 अगस्त की सुबह 01 बजकर 14 मिनट तक रहेगा। वैदिक ज्योतिष शास्त्र में हर्षण योग को ज्यादातर शुभ कार्यों के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। यह योग शुभ मुहूर्त में गिना जाता है तो इस तरह देखा जाए तो इस बार प्रदोष व्रत व पूजा बेहद शुभ फलदायी होगी।
प्रदोष व्रत का महत्व
शिवभक्त प्रदोष का व्रत रखते हैं क्योंकि ये व्रत रखने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। वहीं पौराणिक मान्यता के अनुसार प्रदोष अथवा त्रयोदशी का व्रत मनुष्य को संतोषी व सुखी बनाता है। वार के अनुसार जो प्रदोष व्रत किया जाता है, वैसे ही उसका फल प्राप्त होता है। सूत जी के कथनानुसार त्रयोदशी का व्रत करने वाले को सौ गाय दान करने का फल प्राप्त होता है। इस दिन शिव जी की आराधना धूप, बेल पत्र आदि से करनी चाहिए।
इसके अलावा प्रदोष व्रत भगवान शिव के साथ चंद्र देव से भी जुड़ा है। मान्यता है कि प्रदोष का व्रत सबसे पहले चंद्र देव ने ही किया था। माना जाता है श्राप के कारण चंद्र देव को क्षय रोग हो गया था। तब उन्होंने हर माह में आने वाली त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखना आरंभ किया था, जोकि भगवान शिव को समर्पित व्रत है। इसी व्रत के शुभ प्रभाव से चंद्र देव को क्षय रोग से मुक्ति मिली थी।
ऐसे करें भोलेनाथ की पूजा
- इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। स्नान करने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र पहन लें।
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- अगर संभव हो तो व्रत करें।
- भगवान भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करें। भोलेनाथ को पुष्प अर्पित करें।
- इस दिन भोलेनाथ के साथ ही माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा भी करें। किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
- भगवान शिव को भोग लगाएं। इस बात का ध्यान रखें भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
भगवान शिव की आरती करें।
इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।
-संध्या के समय यानी प्रदोष काल में भी भोलेनाथ की विधि-विधान से पूजा करें और फिर आरती करें।
नैवेद्य में जौ का सत्तू, घी एवं शकर का भोग लगाएं, तत्पश्चात आठों दिशाओं में 8 दीपक रखकर प्रत्येक की स्थापना कर उन्हें 8 बार नमस्कार करें। इसके बाद नंदीश्वर (बछड़े) को जल एवं दूर्वा खिलाकर स्पर्श करें। शिव-पार्वती एवं नंदकेश्वर की प्रार्थना करें। अंत में शिवजी की आरती के बाद प्रसाद बांटें तत्पश्चात भोजन ग्रहण करें।
प्रदोष व्रत के मंत्र-
* 'ॐ नम: शिवाय'
* 'शिवाय नम:'
* ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्
* ॐ आशुतोषाय नमः
इनमें से किसी भी मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें।
इस दिन क्या करें-
* भगवान शिव स्वयं भगवान श्रीराम को अपना आराध्य मानते हैं अत: गुरु प्रदोष व्रत के दिन श्री राम रक्षा स्तोत्र का जाप अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
* इस दिन शिव-पार्वती के साथ-साथ श्री विष्णु की आराधना करने से सुख, समृद्धि और सौभाग्य का आशीष मिलता है।
* इस दिन शिव चालीसा और शिवाष्टक का पाठ करना अतिलाभकारी माना गया है।
इस व्रत को रखने वाले भक्तों के जीवन से दु:ख-दरिद्रता दूर होकर धन, सुख और समृद्धि मिलती है।