सावन महीने में इसलिए वर्जित है साग व कढ़ी, जानिए धार्मिक व वैज्ञानिक कारण
सावन में क्यों नहीं खानी चाहिए कढ़ी
क्या है इसके अशुभ परिणाम
जानिए धार्मिक और वैज्ञानिक कारण
22 जुलाई 2024 से सावन माह की शुरुआत हो रही है। इसका समापन 19 अगस्त 2024 के दिन होगा। हर बार की तरह इस बार भी सावन की शुरुआत कई शुभ योग के साथ हो रही है। खास बात ये है कि, इस साल सावन के पहले सोमवार से ही इस माह की शुरुआत हो रही है। इस दिन प्रीति योग बना रहेगा। ये शुभ योग पूजा के लिए बेहद शुभ माना जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महादेव की पूजा के लिए सावन माह बेहद शुभ होता है। इस दौरान चातुर्मास होने के कारण भोलेनाथ के हाथों में पूरी सृष्टि का संचालन होता है। ऐसे में पूजा का संपूर्ण फल मिलने की संभावना होती है। इस दौरान शिव भक्त उपवास रखते हुए सुखी जीवन की कामना करते है। ये व्रत सुहागिनों के लिए भी बेहद खास होता है।
मान्यता है कि सावन सोमवार व्रत रखने से वैवाहिक जीवन में खुशहाली बनी रहती है। लेकिन इस माह में कई नियमों का पालन भी किया जाता है, अन्यथा महादेव नाराज हो सकते हैं। कहते हैं कि सावन में साग और कड़ी का सेवन नहीं करना चाहिए। इससे अशुभ परिणामों की प्राप्ति हो सकती हैं। इसी कड़ी में आइए इससे जुड़ी पौराणिक कहानी के बारे में जान लेते हैं।
सावन में कढ़ी खाना क्यों होता है मना ?
सावन में कढ़ी खाने की मनाही होती है, क्योंकि इस माह में महादेव को कच्चा दूध अर्पित किया जाता है। इसलिए कच्चा दूध और उससे बनी चीजों को खाना वर्जित होता है। वहीं कढ़ी बनाने के लिए दही का उपयोग किया जाता है और दही दूध से बनी होती है। इसलिए सावन में कढ़ी खाने की मनाही होती है। इसके अलावा भोलेनाथ को प्रकृति से बेहद प्रेम है। इस दौरान साग-सब्जियां तोड़ना मना होता है। यही वजह है कि इस दौरान साग का सेवन नहीं किया जाता है।
क्या है वैज्ञानिक कारण
वैज्ञानिक दृष्टि से भी सावन में कढ़ी खाने की मनाही होती है। दरअसल, इस दौरान बरसात होने के कारण पाचन तंत्र संवेदनशील हो जाता है। वहीं दही की तासीर ठंडी होती है, जिससे सर्दी जुकाम हो सकता है। ऐसे में दही का सेवन करने की मना होती है। इस मौसम में सब्जियों में कीड़े जल्दी लगते हैं, जिसका सेवन करने पर बीमारियां हो सकती हैं। सावन में सात्विक भोजन ही करना चाहिए।
क्या करें क्या न करें
सावन में महादेव को मखाने की खीर का भोग लगाना चाहिए। ये उनका प्रिय भोग है। वहीं भगवान शिव को बेल पत्र अर्पित जरूर करें। इस दौरान सुबह उठकर ही स्नान करना चाहिए, और महादेव के मंत्रों का जाप करें। इसके अलावा सावन माह में तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दौरान दाढ़ी-बाल ना कटवाएं, इसे अशुभ माना जाता है।