सावन के सोमवार के लिए उपयोगी है ये कथा, पूजा करके उठा सकते हैं इसका लाभ
इस कथा के बिना अधूरा है सावन सोमवार का व्रत
अगर आप भी कर रहे है सावन सोमवार का व्रत तो जरुर पढ़ें ये कथा
सप्ताह में सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है। इस दिन उनकी पूजा करने से मनचाहे परिणामों की प्राप्ति होती हैं। सोमवार के दिन व्रत रखने का भी विधान है। ये उपवास सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत खास है। वह वैवाहिक जीवन में खुशहाली के लिए यह उपवास रखती हैं। इस दौरान कुंवारी कन्याएं भी मनचाहे वर के लिए ये व्रत करती हैं।
वहीं सावन में सोमवार का महत्व अधिक बढ़ जाता है। ये माह महादेव का प्रिय माह है। ऐसे में इस दौरान आने वाले सभी सोमवार को बेहद शुभ माना जाता है। इस साल 22 जुलाई 2024 से सावन माह की शुरुआत होने वाली है। इसका समापन 19 अगस्त 2024 के दिन होगा। इस साल इसकी शुरुआत सोमवार के दिन से हो रही है। साथ ही इस दौरान कई शुभ योग का भी निर्माण हो रहा है। ऐसे में व्रत रखने से महादेव का आशीर्वाद बना रहता है।
मान्यता है कि जिन जातकों पर भोलेनाथ का आशीर्वाद होता है, उनके जीवन में हमेशा सफलता के योग बनते हैं। इसी कड़ी में आइए सोमवार व्रत की कथा के बारे में जान लेते हैं।
सोमवार व्रत कथा
सावन मास भगवान शिव का प्रिय माह है। इस दौरान सोमवार का व्रत रखने से जीवन की समस्त परेशानियां दूर होने लगती हैं। लेकिन ऐसा कहा जाता है कि यह व्रत कथा के बिना अधूरा है। कहा जाता है कि प्राचीन समय में एक साहूकार था, जो बहुत धनवान था। लेकिन उसकी कोई संतान नहीं थी। साहूकार ने संतान की प्राप्ति के लिए हर सोमवार को व्रत किया। वह पूरी श्रद्धाभाव से महादेव और पार्वती जी पूजा करता था।
साहूकार की भक्ति में इतनी शक्ति थी की, उसने माता पार्वती को प्रसन्न कर दिया। उन्होंने भोलेनाथ से साहूकार की मनोकामना पूरी करने के लिए कहा। देवी की बात सुनकर शंकर जी ने साहूकार को पुत्र प्राप्ति का वरदान दे दिया। लेकिन वह बालक केवल बारह वर्ष तक ही जीवित रह सकता था। वहीं कुछ समय बाद साहूकार के घर पुत्र का जन्म हुआ।
धीरे-धीरे समय बीतता गया और वह दिन आ गया, जब साहूकार का बेटा ग्यारह वर्ष का हो गया था। साहूकार ने अपने बेटे को शिक्षा ग्रहण के लिए मामा के साथ काशी भेज दिया। काशी जाते समय रास्ते में किसी कन्या का विवाह हो रहा था, और जिस राजकुमार के साथ कन्या का विवाह होने वाला था, वह एक आंख से काना था।
वहीं राजकुमार के पिता ने बेटे के एक आंख से काने होने की बात छुपाने के लिए साहूकार के बेटे से अपनी कन्या का विवाह करा दिया। वहीं साहूकार के बेटे ने राजकुमारी की चुनरी के पल्ले पर लिखा कि, तुम्हारा विवाह मेरे साथ हो रहा है, लेकिन मैं असली राजकुमार नहीं हूं। जो असली है, वह को एक आंख से काना है।
साहूकार के बेटे की की ये बात सुनकर राजकुमारी ने ये बात अपने माता-पिता को बताई। ये सारी सच्चाई सुनकर राजकुमारी के माता-पिता ने अपनी कन्या को विदा नहीं किया। वहीं साहूकार का बेटा अपने मामा के साथ जैसे ही काशी पहुंचे, तो उन्होंने यज्ञ किया। यज्ञ वाले दिन उसकी आयु बारह वर्ष होनी थी।
साहूकार के बेटे ने अपने मामा जी से कहा कि, वह ठीक महसूस नहीं कर रहा है और वह सोने चला गया। बता दें भोलेनाथ के वरदान के अनुसार सोते ही बालक के प्राण निकल गए।
जब मामा ने मृत भांजे को देखा तो वह रोने लगा। संयोग की बात यह थी कि उस समय शिव जी और पार्वती जी वहां से गुजर रहे थे। जब उन्होंने साहूकार के बेटे को देखा तो मालूम हुआ कि, यह तो वही साहूकार का पुत्र है। जिसको बारह वर्ष तक जीवित रहने के वरदान दिया था। इस दृश्य को देखते हुए माता पार्वती ने शिव जी से कहा प्रभु इसे आयु प्रदान करें, नहीं तो इसके माता पिता यह बात सहन नहीं कर पाएंगे।
माता की बात सुनते ही भगवान शिव ने साहूकार के बेटे को जीवनदान दे दिया। फिर जब वह काशी से शिक्षा समाप्त कर घर की ओर निकला तो रास्ते में वह उस नगर पहुंचे, जहां उस लड़के का विवाह हुआ था। वहां पहुंचकर उन्होंने यज्ञ का आयोजन किया। इस दौरान राजकुमारी के पिता साहूकार के बेटे को पहचान गए। उन्होंने अपनी पुत्री को उसके साथ विदा कर दिया। फिर अंत में तीनों लोग खुशी से अपने घर पहुंच गए।
उसी दिन साहूकार के सपने में महादेव आए और कहा कि हे! श्रेष्ठी मैंने तेरे सोमवार के व्रत और सच्ची श्रद्धा से खुश होकर तेरे पुत्र को लंबी आयु प्रदान की है। तभी से लेकर ये मान्यता है कि जो भी भक्तजन सोमवार का व्रत करता है, तो माता पार्वती उसकी सभी मनोकामना पूरी करती है।