जानिए कौन है शनिदेव और ज्योतिष में क्या है इनका महत्व
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शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है। शनिदेव व्यक्ति को उसके कर्मों के हिसाब से फल देते हैं।
हिंदू पंचांग में ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को शनि जयंती मनाई जाती है। इस दिन पूजा-अर्चना करने से शनिदेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। 10 जून 2021 को शनि जयंती मनाई जाएगी।
कौन है शनि देवता?
शनि देवता भगवान सूर्य के पुत्र हैं। मान्यता है कि भगवान शनि के श्याम वर्ण के होने की वजह से भगवान सूर्य ने उन्हें अपना पुत्र मानने से इंकार कर दिया था। यही वजह है कि भगवान शनि अपने पिता से बैर रखते हैं।
शनि देव यमराज के भाई हैं और माता यमुना शनि देव की बहन हैं। शनिदेव को विशेष तौर पर संचित पाप कर्मों का फल प्रदान करने का अधिकार दिया है। इसलिए शनिदेव दंडाधिकारी कहलाते हैं। वे मृत्यु के देवता यमराज के अग्रज हैं, इसलिए महर्षि वेदव्यास ने नवग्रह स्तोत्र में उन्हें ‘यमाग्रज कहा है।
- नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
- छायामार्तण्ड सम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।
ज्योतिष शास्त्र में तमोगुण की प्रधानता वाले क्रूर ग्रह शनि को दुख का कारक बताया गया है। वह देव, दानव और मनुष्य आदि को त्रास देने में समर्थ हैं शायद इसीलिए उन्हें दुर्भाग्य देने वाला ग्रह माना जाता है।
वास्तव में शनिदेव देवता हैं। मनुष्य के दुख का कारण स्वयं उसके कर्म हैं, शनि तो निष्पक्ष न्यायाधीश की भांति बुरे कर्मों के आधार पर वर्तमान जन्म में दंड भोग का प्रावधान करते हैं। किसी व्यक्ति को पूर्वकृत अशुभ कर्मों का दंड देने में शनि निमित्त मात्र हैं, मुख्य दोष तो उसके कर्मों का होता है।