शरद पूर्णिमा पर लगेगा चंद्र ग्रहण, रास पूर्णिमा का है खास महत्व
शरद पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण का सूतक
जानिए कब से कब तक रहेगी पूर्णिमा
शरद पूर्णिमा की रात माता लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा
अबकी बार शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर को बतायी जा रही है। शरद पूर्णिमा पर साल का अंतिम चंद्र ग्रहण भी लगने वाला है। ग्रहण के दिन सूतक काल भी लगेगा, जिसके कारण रात में चंद्रमा और लक्ष्मी पूजा को लेकर तरह-तरह की जानकारी दी जा रही है।
देशभर में शरद पूर्णिमा का पर्व 28 अक्टूबर दिन शनिवार को मनाया जा रहा है। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण का सूतक काल दोपहर 02:52 बजे से लग रहा है। अबकी बार शरद पूर्णिमा के दिन साल का अंतिम चंद्र ग्रहण भी लगने वाला है। आश्विन पूर्णिमा के दिन शरद पूर्णिमा भी होती है। इस साल शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर दिन शनिवार को है। शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा भी कहा जाता हैं।
रास पूर्णिमा के बारे में मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने राधारानी और गोपियों के संग शरद पूर्णिमा की रात महारास रचाया था। शरद पूर्णिमा को व्रत रखकर पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और उसके बाद अपनी क्षमता के अनुसार दान करते हैं। इस दौरान सत्यनारायण भगवान की पूजा करते हैं और कथा सुनते हैं। इससे घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है। शरद पूर्णिमा की रात माता लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा होती है।
शरद पूर्णिमा 2023 का समय
पंचांग के अनुसार, शरद पूर्णिमा की तिथि 28 अक्टूबर को 4 बजकर 17 सुबह पर शुरू होगी और यह 29 अक्टूबर को 01 बजकर 53 सुबह तक रहेगी। शरद पूर्णिमा को शाम 5 बजकर 20 मिनट पर चंद्रोदय होगा।
साल का अंतिम चंद्र ग्रहण 2023
इस साल शरद पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण देर रात 01 बजकर 06 एएम पर लगेगा और चंद्र ग्रहण का समापन 29 अक्टूबर को 02 बजकर 22 एएम पर होना है। इसका सूतक काल 28 अक्टूबर को दोपहर 02:52 बजे से लग जाएगा। सूतक काल में पूजा और ज्योतिष उपाय नहीं किए जा सकते हैं।
चंद्रमा और लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त
शरद पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण का सूतक काल दोपहर 02:52 बजे से लग रहा है, ऐसे में रात के समय न तो लक्ष्मी पूजा होगी और न चंद्रमा को अर्घ्य दे पाएंगे। इस स्थिति में ज्योतिषाचार्य का मानना है कि ऐसे में शरद पूर्णिमा पर लक्ष्मी पूजा और चंद्रमा पूजन या तो सूतक काल से पूर्व करें या फिर चंद्र ग्रहण के समापन के बाद करें।