शरद पूर्णिमा या कोजागरी पूर्णिमा :  इस तरह करें मां लक्ष्मी का विधिपूर्वक व्रत
 

शरद पूर्णिमा या कोजागरी पूर्णिमा के अवसर को माता लक्ष्मी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।आश्विन मास की शरद पूर्णिमा इस वर्ष 19 अक्तूबर को मनाई जाएगी।
 

शरद पूर्णिमा इस वर्ष 19 अक्तूबर 2021

अमावस्या तिथि पर देवी लक्ष्मी की पूजा

नवविवाहित जोड़े के लिए इस अवसर बहुत महत्व

शरद पूर्णिमा या कोजागरी पूर्णिमा के अवसर को माता लक्ष्मी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।आश्विन मास की शरद पूर्णिमा इस वर्ष 19 अक्तूबर को मनाई जाएगी। कोजागरी पूजा को भारत के अधिकांश हिस्सों में शरद पूर्णिमा के रूप में भी जाना जाता है। पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और असम में, देवी लक्ष्मी की पूजा करने का सबसे महत्वपूर्ण दिन है। यह अश्विन मास के शुक्ल पक्ष में पूर्णिमा के दिन पड़ता है।

शरद पूर्णिमा या कोजागरी पूर्णिमा


 भारत में ज्यादातर लोग दिवाली के दौरान अमावस्या तिथि पर देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं; परन्तु, पूर्णिमा तिथि पर लक्ष्मी पूजा अश्विन के महीने में की जाती है और इसे कोजागरी पूजा के रूप में जाना जाता है। यह भी माना जाता है कि नवविवाहित जोड़े के लिए यह अवसर बहुत महत्व रखता है। इस पवित्र अवसर पर उपवास रखते हैं। शाम को की जाने वाली भव्य पूजा में देवता को भोग और प्रसाद चढ़ाया जाता है।

शरद पूर्णिमा या कोजागरी पूर्णिमा


शरद पूर्णिमा तिथि और शुभ मुहूर्त 


शरद पूर्णिमा तिथि आरंभ – 19 अक्टूबर शाम 07 बजे से
शरद पूर्णिमा तिथि समाप्त – 20 अक्टूबर रात 08 बजकर 20 मिनट तक

शरद पूर्णिमा या कोजागरी पूर्णिमा

कोजागरी पूर्णिमा और माता लक्ष्मी के व्रत का महत्व


शरद पूर्णिमा के दिन कोजागरी देश के अलग हिस्सों में अपनी मान्यताओं के अनुसार मनाते हैं। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से पूर्ण होता है और आसमान से अमृत की वर्षा होती है। ऐसी भी मान्यता है कि देवी लक्ष्मी कोजागरी पूर्णिमा की रात पृथ्वी पर विचरण करती हैं और अपने भक्तों को धन-संपदा और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। 

शरद पूर्णिमा या कोजागरी पूर्णिमा


धार्मिक मान्यताओं कि मानें तो कोजागरी पूर्णिमा या शरद पूर्णिमा की रात्रि में माता लक्ष्मी जब धरती पर विचरण करती हैं तो ‘को जाग्रति’ शब्द का उच्चारण करती हैं। यानि कौन जाग रहा है। कहते हैं कि माता लक्ष्मी देखती हैं कि रात्रि में पृथ्वी पर कौन जाग रहा है। जो लोग माता लक्ष्मी की पूरी श्रद्धा से पूजा करते हैं, उनके घर मां लक्ष्मी जरुर जाती हैं।

शरद पूर्णिमा या कोजागरी पूर्णिमा


माता लक्ष्मी की व्रत विधि


शरद पूर्णिमा के दिन देवी लक्ष्मी की प्रतिमा को कपड़े से ढककर पूजा करें। 
सुबह माता लक्ष्मी कि पूजा करने के बाद चंद्रोदय के समय पुनः पूजा करें। 
रात्रि में माता लक्ष्मी के सामने घी के 100 दीपक जला दें। 
इसके बाद लक्ष्मी मंत्र, आरती और विधिवत पूजन करें। 
उसके उपरांत शरद पूर्णिमा की खीर का देवी लक्ष्मी को भोग लगाकर उसमें से ही ब्राह्मणों को प्रसाद स्वरूप दान दें। 
अगली सुबह माता लक्ष्मी की पूजा करके व्रत का पारण करें । 

शरद पूर्णिमा या कोजागरी पूर्णिमा


कोजागरी व्रत कथा


कोजागरी व्रत कथा के अनुसार एक साहुकार को दो पुत्रियां थीं। दोनो पुत्रियां पूर्णिमा का व्रत रखती थीं, लेकिन बड़ी पुत्री पूरा व्रत करती थी और छोटी पुत्री अधूरा व्रत करती थी। व्रत अधूरा रहने के कारण छोटी पुत्री की संतान पैदा होते ही मर जाती थी। छोटी पुत्री ने अपना यह दुःख एक ब्राह्मण को बताया तब उस ब्राह्मण ने शरद पूर्णिमा की पूरी विधि उसको बताई। इसके बाद साहूकार कि छोटी पुत्री ने पूर्णिमा का पूरा व्रत विधिपूर्वक किया और इसके पुण्य से उसे संतान की प्राप्ति हुई, लेकिन वह भी कुछ दिनों बाद मर गया। उसने लड़के को एक पीढ़ा पर लेटा कर ऊपर से कपड़ा ढक दिया और फिर बड़ी बहन को बुला कर घर ले आई और बैठने के लिए वही पीढ़ा दे दिया। बड़ी बहन जब उस पर बैठने लगी तो उसका लहंगा बच्चे का छू गया। बच्चा लहंगा छूते ही रोने लगा। तब बड़ी बहन ने कहा कि तुम मुझे कलंक लगाना चाहती थी। मेरे बैठने से यह मर जाता। तब छोटी बहन बोली कि यह तो पहले से मरा हुआ था। तेरे ही भाग्य से यह जीवित हो गया। तेरे पुण्य से ही यह जीवित हुआ है। उसके बाद नगर में साहूकार की छोटी पुत्री ने पूर्णिमा का पूरा व्रत करने का ढिंढोरा पिटवा दिया। तब से ये दिन एक उत्सव के रुप में मनाया जाने लगा और देवी लक्ष्मी की पूजा की जाने लगी।