शीतला अष्टमी व शिववास का बन रहा है दुर्लभ संयोग, ये होंगे फायदे
 

हर वर्ष चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी मनाई जाती है। तदनुसार, इस वर्ष मंगलवार 02 अप्रैल को शीतला अष्टमी है। यह पर्व होली के आठ दिन बाद मनाया जाता है। इसे बसौड़ा या बसोड़ा भी कहते हैं।
 

​​​​​​व्रत और पूजा करने से मिलेगा धन धान्य

इस व्रत में छिपा है आरोग्य का आशीर्वाद

जानें शीतला अष्टमी की महत्ता

हर वर्ष चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी मनाई जाती है। तदनुसार, इस वर्ष मंगलवार 02 अप्रैल को शीतला अष्टमी है। यह पर्व होली के आठ दिन बाद मनाया जाता है। इसे बसौड़ा या बसोड़ा भी कहते हैं। इस दिन शीतला मां की पूजा-उपासना की जाती है। 


धार्मिक मत है कि मां शीतला की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। साथ ही घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है। इसके अलावा, सौभाग्य और आय में भी वृद्धि होती है। ज्योतिषियों की मानें तो शीतला अष्टमी पर शिववास का मंगलकारी योग बन रहा है। इस योग में महादेव एवं माता पार्वती की पूजा करने से कई गुना फल प्राप्त होगा। 


ज्योतिष गणना के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 01 अप्रैल को रात 09 बजकर 09 मिनट पर शुरू होगी और 02 अप्रैल को संध्याकाल 08 बजकर 08 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि मान के चलते 02 अप्रैल को शीतला अष्टमी मनाई जाएगी। इस दिन पूजा का समय सुबह 06 बजकर 10 मिनट से संध्याकाल 06 बजकर 40 तक है। इस दौरान मां शीतला की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।


ज्योतिषियों की मानें तो शीतला अष्टमी तिथि पर देवों के देव महादेव, जगत जननी आदिशक्ति मां गौरी के साथ रहेंगे। इस दिन भगवान शिव संध्याकाल 08 बजकर 08 मिनट तक मां गौरी के साथ रहेंगे। इस दौरान मां शीतला की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी।


शीतला अष्टमी की शुरुआत से एक दिन पहले ही माता के आने उपलक्ष में घर की साफ सफाई कर लेनी चाहिए। घर में पूजा स्थल को मुख्यरूप से साफ रखें। इसके बाद शीतला अष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान के बाद माता की पूजा अर्चना करें और व्रत संकल्प लें। साथ ही माता को उनकी प्रिय दही, मूंगदाल या फिर रबड़ी का भोग लगाएं। कुछ जगहों पर इस दिन माता को बासी भोजन का भोग लगाया जाता है। माता शीतला की पूजा करते समय उसके मंत्र और स्तोत्र का पाठ कराना भी शुभ होता है। आप  शीतला माता के मंत्र 'ॐ ह्रीं श्रीं शीतलायै नमः' का कम से कम 108 बार जाप करें। इससे माता प्रसन्न होंगी और सभी इच्छाओं को पूर्ण करती हैं।