रविवार के दिन व्रत रखने के फायदे, ऐसे मिलती है सूर्यनारायण की कृपा 
 

संपूर्ण विधि और श्रद्धा से किए गए रविवार व्रत से व्यक्ति को न केवल सांसारिक सुख, बल्कि आत्मिक बल भी प्राप्त होता है। इस प्रकार यह व्रत जीवन में स्थिरता, स्वास्थ्य और आध्यात्मिक उन्नति का साधन बन सकता है।
 

सूर्य को कहते हैं नवग्रहों का राजा

सूर्यनारायण की पूजा और उपासना का है विशेष महत्व

इस दिन क्या करें और क्या नहीं

रविवार का दिन भगवान सूर्यनारायण की पूजा और उपासना के लिए विशेष महत्व रखता है। हिंदू धर्मग्रंथों, विशेषकर नारद पुराण में इसका विस्तार से उल्लेख है कि यदि कोई व्यक्ति श्रद्धापूर्वक रविवार का व्रत रखता है और विधिपूर्वक सूर्यदेव की पूजा करता है, तो उसे आरोग्यता, यश, धन, आयु और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत व्यक्ति के समस्त कष्टों को दूर कर, उसे असीम सुखों का अधिकारी बनाता है।

ये होते हैं फायदे
सूर्य को नवग्रहों का राजा कहा जाता है और कहा गया है कि सूर्य की पूजा मात्र से अन्य सभी ग्रहों के अशुभ प्रभाव शांत हो जाते हैं। रविवार व्रत से विशेष रूप से चर्म रोग, नेत्र रोग और कुष्ठ जैसे रोगों से मुक्ति मिलती है। इस व्रत को करने से आयु में वृद्धि, सौभाग्य और आत्मबल की प्राप्ति होती है। स्त्रियों के लिए यह व्रत विशेष रूप से फलदायक माना गया है, क्योंकि यह व्रत बांझपन दूर कर संतान सुख प्रदान करता है।

इस मंत्र का करें जाप
व्रत की शुरुआत शुक्ल पक्ष के पहले रविवार से की जा सकती है। व्रत कम से कम एक वर्ष, पांच वर्ष या बारह वर्षों तक किया जा सकता है। रविवार के दिन प्रातः स्नान के बाद लाल वस्त्र धारण करें, मस्तक पर लाल चंदन का तिलक लगाएं और सूर्यनारायण को अर्घ्य दें। तांबे के लोटे में जल, अक्षत, रोली और लाल पुष्प डालकर सूर्य को अर्घ्य देना शुभ माना जाता है। साथ ही “ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:” मंत्र का जाप करना चाहिए।

इन बातों का रखें ध्यान
इस दिन भोजन एक ही बार, वह भी सूर्यास्त से पहले करना चाहिए। भोजन हल्का, सात्विक और कम मसालों वाला होना चाहिए। बिना नमक की गेहूं की रोटी या दलिया सर्वोत्तम मानी जाती है। भोजन करने से पहले उसका कुछ भाग बच्चों को खिलाकर या मंदिर में दान करके स्वयं भोजन करना चाहिए।

व्रत के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना, दिन में न सोना और पान से परहेज़ रखना चाहिए। व्रत का समापन (उद्यापन) एक ब्राह्मण को भोजन कराकर, यथासंभव दक्षिणा और लाल वस्त्र देकर किया जाता है।

उद्यापन के लिए सूर्य देव की प्रतिमा, चांदी का रथ, द्वादश दल का कमल, कलश, कंडेल का फूल, लाल चंदन, गुड़, पंचामृत, और हवन सामग्री आवश्यक होती है। यदि वैदिक मंत्र नहीं आते, तो भावपूर्वक पूजन करने से भी सूर्यदेव प्रसन्न होते हैं।

संपूर्ण विधि और श्रद्धा से किए गए रविवार व्रत से व्यक्ति को न केवल सांसारिक सुख, बल्कि आत्मिक बल भी प्राप्त होता है। इस प्रकार यह व्रत जीवन में स्थिरता, स्वास्थ्य और आध्यात्मिक उन्नति का साधन बन सकता है।