उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही चार दिवसीय छठ व्रत हुआ संपन्न

tds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_show चंदौली जिले में पीडीडीयूनगर में जल्दी-जल्दी उग ए सूरुजमल भईल अरघा के बेर… शनिवार को उगते हुए सूर्य को अर्घ देने के साथ ही चार दिवसीय महापर्व छठ की समाप्ति हो गई। बताते चले कि गुरुवार की रात्रि में व्रतियों द्वारा खरना के पश्चात भूमि पर रात्रि विश्राम किया गया. इसके बाद अगले दिन यानी
 

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 चंदौली जिले में पीडीडीयूनगर में  जल्दी-जल्दी उग ए सूरुजमल भईल अरघा के बेर… शनिवार को उगते हुए सूर्य को अर्घ देने के साथ ही चार दिवसीय महापर्व छठ की समाप्ति हो गई। बताते चले कि गुरुवार की रात्रि में व्रतियों द्वारा खरना के पश्चात भूमि पर रात्रि विश्राम किया गया. इसके बाद अगले दिन यानी शुक्रवार को व्रती महिलाए निर्जला व्रत रही ।

तत्पश्चात दोपहर बाद परिवार के सभी सदस्यों के साथ व्रती महिलाए अपने-अपने गांव कस्बा मुहल्ले के नजदीकी छठ घाटों पर पहुंची और अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया। बता दें कि जनपद  के नियामताबाद, अलीनगर,पड़ाव, औद्योगिक नगर,बबुरी के साथ-साथ अन्य ग्रामीण इलाकों में छठ पर्व को लेकर लोगों में भारी उत्साह था।

वहीं संध्याकालीन अर्घ्य के दौरान छठ घाटों पर भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे और सूर्य की उपासना की. इस दौरान श्रद्धालुओं ने अपने अपने माथे पर पूजन सामग्री की डलिया उठा रखी थी। इसके बाद शनिवार की सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही व्रत समाप्त हुआ और समाप्ति के साथ ही व्रतियों का पिछले 36 घंटे से जारी उपवास भी समाप्त हो गया ।

इस दौरान नगर से लेकर गांव के सभी छठ घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी रही। शुक्रवार को  संध्या घाट से लौटने के पश्चात श्रद्धालुओं ने अपने घरों में कोसी स्थापित कर छठ मां की पूजा अर्चना की, वही शनिवार को भोर में भी छठ घाटों पर धार्मिक मान्यता के अनुसार कोशी को स्थापित कर पूजा की।

बता दें कि छठ पूजा में धार्मिक मान्यता के अनुसार इस व्रत का अपना एक अलग महत्व है। जनपद के सभी घाटों पर सुरक्षा व्यवस्था कायम रखने हेतु पुलिस एवं प्रशासनिक स्तर पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। पीडीडीयूनगर के मान सरोवर तालाब पर छठ व्रतियों के मनोरंजन हेतु गायक भक्ति भाव में विभोर होकर छठ व्रतियों को भजन भी सुना रहे थे। इसी तरह शहर से लेकर गांव देहात तक छठ घाटों पर व्रतियों ने भगवान भास्कर की आराधना कि व उन्हें अर्घ्य अर्पित किया।