इस बार हरतालिका तीज पर 14 साल बाद बन रहा दुर्लभ संयोग, विधि-विधान से व्रत-पूजा करने पर मिलेगा शुभ फल 

सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य प्राप्ति के लिए हरतालिका तीज का व्रत रखती है जो भाद्रपद के शुक्लपक्ष की तृतीया को रखा जाता है। इस दिन कुंवारी लड़कियां भी मनचाहा वर पाने के लिए निर्जला व्रत रखती हैं।

 

सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य प्राप्ति के लिए हरतालिका तीज का व्रत रखती है जो भाद्रपद के शुक्लपक्ष की तृतीया को रखा जाता है। इस दिन कुंवारी लड़कियां भी मनचाहा वर पाने के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। इस दिन पूरे विधि-विधान से व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। इस बार हरतालिका तीज का ये व्रत 9 सितंबर गुरुवार को रखा जाएगा। वहीं ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस साल हरतालिका तीज का ये व्रत और भी खास हो गया है क्योंकि इस दिन 14 साल बाद रवियोग बन रहा है।

सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य प्राप्ति के लिए हरतालिका तीज का व्रत रखती है जो भाद्रपद के शुक्लपक्ष की तृतीया को रखा जाता है। इस दिन कुंवारी लड़कियां भी मनचाहा वर पाने के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। इस दिन पूरे विधि-विधान से व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। इस बार हरतालिका तीज का ये व्रत 9 सितंबर गुरुवार को रखा जाएगा। 

वहीं ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस साल हरतालिका तीज का ये व्रत और भी खास हो गया है क्योंकि इस दिन 14 साल बाद रवियोग बन रहा है। माना जाता है कि इस दुर्लभ संयोग में व्रत-पूजन करने से सुहागिनों की मनोकामना शीघ्र पूर्ण होगी और उन्हें मनचाहा फल मिलेगा। 

हरतालिका तीज पर बन रहा ये दुर्लभ संयोग 

हरतालिका तीज का व्रत इस साल 9 सितंबर को पड़ रहा है। तृतिया तिथि 9 सितंबर को रात्रि काल में 02.34 बजे लग रही है जो कि 10 सितंबर को रात्रि 12.18 तक रहेगी। इसके साथ ही इस दिन चित्रा नक्षत्र और रवियोग बन रहा है जो कि अत्यंत शुभ और लाभदायी है। हरतालिका तीज पर 14 साल बाद रवियोग चित्रा नक्षत्र के कारण बन रहा है। यह शुभ योग 9 सितंबर को दोपहर 2 बजकर 30 मिनट से अगले दिन 10 सितंबर को 12 बजकर 57 मिनट तक रहेगा।  चित्रा नक्षत्र में रवि योग विशेष लाभकारी संयोग है।

हरतालिका तीज व्रत का पूजा का अति शुभ समय शाम 05 बजकर 16 मिनट से शाम को 06 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। शुभ समय 06 बजकर 45 मिनट से 08 बजकर 12 मिनट तक रहेगा।

वहीं तिथि की बात करें तो भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 8 सितंबर दिन बुधवार को तड़के 3 बजकर 59 पर लगेगी जो कि अगले दिन यानी 9 सितंबर गुरुवार की रात्रि 2 बजकर 14 मिनट तक रहेगी। उसके बाद चतुर्थी तिथि लग जाएगी। धर्म शास्त्रियों के अनुसार चतुर्थी तिथि से युक्त तृतीया तिथि वैधव्यदोष का नाश करती है और यह पुत्र-पौत्रादि को बढ़ाने वाली होती है।

शुभ फलदायी होता है रवि योग में व्रत-पूजन 

ज्योतिष शास्त्र में रवियोग का बड़ा महत्व है। रवियोग पर सूर्य का प्रभाव होने के कारण इसे ज्योतिष में बेहद प्रभावशाली और शुभ योग माना जाता है। कहते हैं कि इस योग में किया गया कोई भी कार्य अनिष्ट और अशुभ फलदायक नहीं होता। रवियोग में किए गए जप-तप और पूजन शुभकारी और विशिष्ट फलदायी होते हैं। हरतालिका तीज के दिन भर निर्जला व्रत रखते हुए, सांयकाल में भगवान शिव और माता पार्वती का गणेश जी के साथ पूजन करना चाहिए। इस दिन रात भर जागरण भगवान शिव और पार्वती के भजनों और मंत्रों का जाप करना सभी इच्छाओं की पूर्ति करता है।

कहा जाता है कि अविवाहित कन्याएं यदि रवि योग में शिव-पार्वती का पूजन करें तो उनके विवाह में आने वाली सभी बाधाएं दूर हो जाती है तथा विवाहितों का वैवाहिक जीवन सुखमय व्यतीत होने लगता है।  


बेहद कठिन होता है हरतालिका तीज का व्रत 

हरतालिका तीज पर सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना के लिए निराहार और निर्जला व्रत रखती हैं।  हरतालिका तीज को हिंदू धर्म में सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। मान्यता है कि यह व्रत अत्यंत शुभ फलदायी होता है। 

हरतालिका तीज का महत्व 

हरतालिका तीज व्रत करने से पति को लंबी आयु प्राप्त होती है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से सुयोग्य वर की भी प्राप्ति होती है। संतान सुख भी इस व्रत के प्रभाव से मिलता है।

हरतालिका तीज पर ऐसे करें पूजा 

-हरितालिका तीज में श्रीगणेश, भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है।

- सबसे पहले मिट्टी से तीनों की प्रतिमा बनाएं और भगवान गणेश को तिलक करके दूर्वा अर्पित करें।

- इसके बाद भगवान शिव को फूल, बेलपत्र और शमिपत्री अर्पित करें और माता पार्वती को श्रृंगार का सामान अर्पित करें।

-तीनों देवताओं को वस्त्र अर्पित करने के बाद हरितालिका तीज व्रत कथा सुनें या पढ़ें।

-इसके बाद श्रीगणेश की आरती करें और भगवान शिव और माता पार्वती की आरती उतारने के बाद भोग लगाएं।