पितरों को प्रसन्न करने के लिए जरूर करें ये 5 उपाय, जीवन की हर कठनाइयां हो जाएंगी दूर
अश्विन माह के इस मौके का उठाएं लाभ
तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान के अलावा करें ये काम
आपके घर में खुशियों का वास
हमारे धार्मिक पुराणों में पितरों को प्रसन्न करने के लिए अश्विन माह को सबसे खास माना जाता है। इस माह के कृष्ण पक्ष के सभी दिन पूर्वजों के सम्मान को समर्पित है। इस अवधी में पितरों की आत्म शांति और मान-सम्मान के लिए तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान आदि किया जाता है। इससे वंशों पर उनकी कृपा बनी रहती है। इसलिए इस समय में कुछ बातों को ध्यान रखना जरूरी होता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार श्राद्ध के दौरान पित्र पृथ्वी लोक पर आते हैं। इसलिए उनकी शांति के लिए पूजा पाठ से जुड़े कार्य करने चाहिए। इस दौरान उनके नाम का श्राद्ध करने से वह तृप्त होते हैं, और उन्हें मोक्ष मिलता है। पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से लेकर अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि तक पितृ पक्ष चलते हैं।
इस बार 17 सितंबर 2024 से पितृपक्ष है, जो 2 अक्तूबर 2024 को समाप्त होंगे। इस अवधी में पितरों को प्रसन्न करने के लिए कई उपाय भी किए जाते हैं, जिससे घर में खुशियों का वास होता है। आइए इन उपायों को जानते हैं..
पीपल के पेड़ की पूजा
श्राद्ध के दिनों में रोजाना दोपहर के समय पीपल के पेड़ की पूजा करनी चाहिए। इस दौरान पीपल पर गंगाजल में काले तिल, दूध, अक्षत और फूल अर्पित करें। मान्यता है कि इस उपाय को करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
पूर्वजों की तस्वीर
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार घर में पूर्वजों की मुस्कुराती हुई तस्वीर लगाने से वह प्रसन्न होते हैं। इस दौरान तस्वीर को घर के दक्षिण पश्चिम दीवार या कोने में लगाना चाहिए। ऐसा करना शुभ होता है। वहीं शाम में समय घर में दीपक जलाएं। इस दीपक को घर की दक्षिण दिशा में रखें। इससे भी पितृ दोष समाप्त होता है।
गाय को रोटी
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार रोजाना गाय को रोटी खिलाने से व्यक्ति के मनोकामना पूरी होती हैं। ऐसे में पितृपक्ष के दिनों में गाय को रोटी खिलाने का महत्व अधिक बढ़ जाता है। मान्यता है कि श्राद्ध के दिनो में पहली रोटी गाय को खिलाने से सभी देवी देवताओं की कृपा बनी रहती है। साथ ही पितर भी तृप्त होते हैं।
रुद्राक्ष धारण करें
हिंदू धर्म में पितृ दोष के बुरे प्रभाव को कम करने के लिए श्राद्ध के दिनों को बहुत खास माना जाता है। इस दौरान पितृ दोष से बचने और उनके आशीर्वाद के लिए पांच मुखी, सात मुखी, आठ मुखी और बारह मुखी रुद्राक्ष एक साथ धारण करें। ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं, और वंशों पर उनकी कृपा बनी रहती है।
पिंडदान
पितृपक्ष के दिनों तिथि के अनुसार पितरों का श्राद्ध करना चाहिए। इस दौरान पिंडदान करने से वह प्रसन्न होते हैं। मान्यता है कि श्राद्ध पर ब्राह्मण भोज कराने से वंशों पर पितरों की कृपा बनी रहती है। साथ ही परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है।