भगवान श्रीकृष्ण ने कुछ इस प्रकार सुनाई थी योगिनी एकादशी की व्रत कथा 

भगवान श्रीकृष्ण ने योगिनी एकादशी व्रत कथा कुछ इस प्रकार सुनाई थी। स्वर्ग के अलकापुरी में कुबेर नाम का राजा था। वह शिव भक्त था, नियम पूर्वक रोज महादेव की पूजा करता था..........
 

योगिनी एकादशी व्रत कथा


भगवान श्रीकृष्ण ने योगिनी एकादशी व्रत कथा कुछ इस प्रकार सुनाई थी। स्वर्ग के अलकापुरी में कुबेर नाम का राजा था। वह शिव भक्त था, नियम पूर्वक रोज महादेव की पूजा करता था। हेम नामक माली शिव पूजा के लिए फूल दिया करता था। हेमी की पत्नी विशालाक्षी थी, जो बहुत ही सुंदर थी। एक दिन हेम मानसरोवर से फूल लेकर आया, लेकिन घर पर वह पत्नी के साथ हास्य-विनोद करने लगा और कामासक्त हो गया।


दूसरी ओर राजा हेम के पुष्प लेकर आने का इंतजार करता रहा। दोपहर तक हेम नहीं आया। उसने सिपाहियों को माली के घर भेजा ताकि पता लगे कि वह क्यों नहीं आया? सिपाही हेम के घर से लौटकर आए और राजा को बताया कि वह नीच प्रवृत्ति का है, वह अतिकामी है, वह अपनी पत्नी के साथ रमण कर रहा होगा।

राजा कुबेर ने हेम को दरबार में बुलाया। वह कांप रहा था। राजा ने ​क्रोध में कहा कि तुम पापी और अधर्मी हो। शिव पूजा के लिए फूल लेकर नहीं आए। तुमने भगवान भोलेनाथ का अनादर किया है। तुम श्राप के योग्य हो। राजा ने हेम को श्राप दिया कि वह पृथ्वी लोक पर जाकर कोढ़ी होगा और पत्नी का वियोग सहन करेगा।

श्राप के कारण हेम तुरंत ही स्वर्ग से धरती पर गिर गया। पूरे शरीर में सफेद कोढ़ हो गया। उसकी पत्नी भी कहीं गायब हो गई। धरती पर उसने बहुत ही दुख भोगे। जंगल में वह बिना भोजन और पानी के भटकता रहा। रात में सो नहीं पाता था। शिव कृपा से उसे पिछले जन्म की बातें याद थीं।

एक दिन वह मार्कंडेय ऋषि के आश्रम में पहुंच गया। उसने मार्कंडेय ऋषि के पैर पकड़ लिए. उसने अपनी पूरी कहानी उनको बताई। तब मार्कंडेय ऋषि ने कहा कि वह एक व्रत के बारे में बता रहे हैं, जिसको करने से उद्धार हो जाएगा। उन्होंने कहा कि यदि तुम आषाढ़ कृष्ण एकादशी का व्रत विधिपूर्वक करोगे तो पाप मुक्त हो जाओगे।

हेम ने मार्कंडेय ऋषि को प्रणाम किया। फिर वहां से चला गया। जब आषाढ़ कृष्ण एकादशी आई तो उसने ऋषि द्वारा बताई गई विधि के अनुसार व्रत किया। भगवान विष्णु की कृपा से उसका कोढ़ ठीक हो गया और वह अपने पूर्व स्वरूप में आ गया। वह फिर से अपनी पत्नी विशालाक्षी के साथ स्वर्ग में सुखपूर्वक रहने लगा।