वाह रे अलीनगर पुलिस : पहले बहलाया-फुसलाया और अब दर्ज कर लिया मुकदमा

अलीनगर पुलिस ने धपरी के अजय बहादुर सिंह, नियामताबाद के राकेश कुमार बिंद, पचोखर के इंदल राजभर के ​खिलाफ नामजद तथा 8-10 अज्ञात लोगों के ​खिलाफ मुकदमा दर्ज किया हैं।
 

हाइवे जाम करने के आरोप में की गयी कार्रवाई

3 दिव्यांगों और 8 अज्ञात दिव्यांगों पर दर्ज किया मुकदमा

जानिए क्यों विरोध प्रदर्शन करने उतरे थे दिव्यांग

चंदौली जिले के अलीनगर थाने की पुलिस के द्वारा हाइवें जाम करने के आरोप में तीन दिव्यांगों और 8-10 अज्ञात लोगों के ​खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। दिव्यांगों ने 29 अगस्त को पचफेड़वा के समीप ट्राईसाईकिल व वि​भिन्न मांगों के समर्थन में हाइवें की एक लेन पर जाम लगा दिया था। हालांकि मौके पर पीडीडीयू एसडीएम आलोक कुमार के पहुंचने के बाद दिव्यांगों ने ज्ञापन सौंपकर चक्काजाम समाप्त कर दिया था। वहीं पुलिस के द्वारा मुकदमा दर्ज करने के बाद दिव्यांगों में जबरदस्त आक्रोश देखने को मिल रहा है।

आपको बता दें कि  29 अगस्त को दिव्यांगों का एक समूह अलीनगर थानाक्षेत्र के पचफेड़वा के पास हाइवें के किनारे धरना दे रहा था। लोग पेंशन की राशि बढ़ाने, दिव्यांगों को आवास सहित अन्य मांगों को लेकर काफी दिनों से मुखर थे। लेकिन धरना स्थल पर किसी सझम अ​धिकारी ने नहीं पहुंचने पर दिव्यांगों का धैर्य जवाब दे गया और लोग ट्राई सायकिल पर सवार होकर हाइवें पर उतर गए। इसके चलते हाइवें की उत्तरी लेन पर वाहनों का आवागमन ठप हो गया था।

 इसी सूचना के बाद अलीनगर थानाध्यक्ष विनोद मिश्रा दलबल के साथ पचफेड़वा पहुंच गए थे और मान-मनौव्वल करने की कोशिश कर रहे थे। इसके तत्काल बाद ही दिव्यांग कल्याण अ​धिकारी राजेश नायक और पीडीडीयू नगर के एसडीएम आलोक कुमार भी पहुंच गए। इसके बाद अफसरों को ज्ञापन सौंपने के बाद पुलिस ने दिव्यांगों को हाइवे से हटाकर वाहनों के आवागमन को चालू करा दिया।

इसी मामले में अलीनगर पुलिस ने धपरी के अजय बहादुर सिंह, नियामताबाद के राकेश कुमार बिंद, पचोखर के इंदल राजभर के ​खिलाफ नामजद तथा 8-10 अज्ञात लोगों के ​खिलाफ मुकदमा दर्ज किया हैं। वहीं दिव्यांगों के ​खिलाफ मुकदमा दर्ज होने के बाद लोगों में जबरदस्त आक्रोश देखने को मिल रहा हैं।

सूत्रों की माने तो इस एफआईआर के बारे में दिव्यांगों को जानकारी नहीं है। सूत्र कहते हैं कि पुलिस डर के मारे दिव्यांगों को जानकारी नहीं दी। हालांकि अब देखना है कि दिव्यांग को जानकारी होती है या फिर पुलिस छुपाती है।