दिवाली व छठ पूजा की भीड़ से यात्री परेशान, जानिए घर पहुंचने वाले लोगों की पीड़ा
दीपावली और छठ पूजा पर घर आ रहे लोग
500 किलोमीटर से लेकर 3000 किलोमीटर तक की यात्रा कष्टकारी
स्पेशल ट्रेनों का फार्मूला पर्याप्त नहीं
भारत सरकार और भारतीय रेलवे भले ही दिवाली और छठ पूजा के लिए अलग-अलग इलाकों से स्पेशल ट्रेन चला रही हो, लेकिन उनके इंतजाम रेल यात्रियों की संख्या के हिसाब से पर्याप्त नहीं है। दीपावली और छठ पूजा के त्यौहार में अपने घर आने वाले लोगों की भीड़ इस कदर है कि लोग रिजर्वेशन कराने के बावजूद भी अपनी सीट पर बैठकर आने के लिए मजबूर हैं। वेटिंग लिस्ट के टिकट लेकर यात्री तो एसी कोच की फर्श पर लेट कर या बैठकर यात्रा करने को मजबूर हैं।
धनतेरस से लेकर छठ पूजा के पहले तक मुंबई, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के कई इलाकों से लोग अपने घर की तरफ उत्तर प्रदेश और बिहार की ओर आते हैं। इस दौरान उन्हें अलग-अलग जगह से 500 किलोमीटर से लेकर 3000 किलोमीटर तक की यात्रा करनी पड़ती है, लेकिन दो महीने से रिजर्वेशन कराए रखने के बावजूद भी यात्रा वाले दिन जिस तरह की भीड़ प्लेटफार्म पर दिखाई दी, उससे यात्री परेशान दिखे।
यात्रा कर रहे यात्रियों ने कहा कि रेलवे को इस मौके पर पुलिस व अन्य चीजों की व्यवस्था करके सुविधाओं का ध्यान रखना चाहिए, ताकि यात्रियों को परेशानी न हो और ट्रेन में उतने ही टिकट वितरित किए जाने चाहिए। जितनी सीटों की व्यवस्था की जा रही है। अन्यथा टिकट लेकर पैसे खर्च करने वाले यात्री काफी परेशान होते हैं और मौके पर उनकी समस्या सुनने के रेल अफसर या ट्रेन में टिकट करने चेक करने वाला कोई टीटीआई भी नहीं पहुंचता है।
नई दिल्ली से उत्तर प्रदेश की तरफ आने के लिए जब एक बुजुर्ग व्यक्ति रेलवे स्टेशन पर पहुंचा तो वह शनिवार को न तो ट्रेन पर चढ़ पाया और न ही अपनी सीट तक पहुंचने की हिम्मत जुटा पाया। चंदौली से सैयदराजा पहुंचे आलोक त्रिपाठी ने अपनी व्यथा व्यक्त करते हुए कहा कि एसी कोच में टिकट होने के बावजूद भी फर्ज पर लेट कर यात्रा करना बड़ा दुखदाई अनुभव रहा है।
वहीं राजेश सिंह ने बताया कि दिल्ली से चंदौली तक आने में कितने कष्ट सहने पड़े हैं, उसे शब्दों में नहीं बताया जा सकता है। उसे मैं ही जानता हूं। रात भर ना तो सो पाया और न ही हाथ पैर फैला कर कायदे से आराम कर सका। एसी कोच की फर्ज पर बैठकर लगभग साढ़े 800 किलोमीटर की यात्रा काफी कष्टकारी रही है। एक यात्री अभिषेक में बताया कि 3 महीने पहले रिजर्वेशन करा रखा था। ट्रेन में इतनी भीड़ थी कि सीट तक पहुंचना मुश्किल हो गया। अपनी सीट पर एक कोने में बैठकर यहां तक पहुंचा हूं।
त्यौहार के समय दिल्ली, गुजरात, अमृतसर से आने वाली ट्रेनों की भीड़ देखकर तो जी धबरा रहा है। महेश कुमार ने बताया कि दक्षिण भारत से आने वाली ट्रेनों में भी बुरी हालत है। हैदराबाद, चेन्नई, बैंगलोर तथा अन्य स्टेशनों से आने वाली ट्रेन भी काफी भारी हुई है। दो से तीन महीने पहले ही इनकी सीटें फुल हो गईं थीं। इसके बावजूद भी लोग वेटिंग का टिकट लेकर यात्रा करने की जहमत उठा रहे हैं. सीट उपलब्ध नहीं होने के कारण लोग जमीन पर बैठकर यात्रा करते देखे गए हैं।
रेलवे द्वारा एक यात्री ने कहा कि रेलवे द्वारा स्पेशल चलने ट्रेन चलाने से क्या फायदा, जब वह ऐसे समय पर उपलब्ध नहीं होती, जिस दिन ट्रेनों को चलाना चाहिए। जिस दिन सबसे अधिक भीड़ जाती है, लोग तत्काल और प्रीमियम टिकट लेने के लिए मारामारी कर रहे हैं और इतनी भीड़ होने के बावजूद भी रेल अधिकारियों के कान पर जूं नहीं रेंग रही है।