ज्ञानी जैल सिंह की जयंती को अधिकार दिवस के रूप में मनाकर पूर्व राष्ट्रपति को किया याद

tds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_show चंदौली जिले के पीडीडीयू नगर में ऑल इंडिया यूनाइटेड विश्वकर्मा शिल्पकार महासभा की ओर से शनिवार को पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह की जयंती को अधिकार दिवस के रूप में मनाया गया। इस दौरान डेढ़ावल में आयोजित संगोष्ठी में राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक विश्वकर्मा ने कहा कि ज्ञानी जैल सिंह विश्वकर्मा समाज के गौरव और स्वाभिमान
 

tds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_show

चंदौली जिले के पीडीडीयू नगर में ऑल इंडिया यूनाइटेड विश्वकर्मा शिल्पकार महासभा की ओर से शनिवार को पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह की जयंती को अधिकार दिवस के रूप में मनाया गया।

इस दौरान डेढ़ावल में आयोजित संगोष्ठी में राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक विश्वकर्मा ने कहा कि ज्ञानी जैल सिंह विश्वकर्मा समाज के गौरव और स्वाभिमान के प्रतीक है।

उन्होंने कहा श्रम के सिद्धांत को प्रतिपादित करने वाला विश्वकर्मा समाज आजादी के वर्षों बाद भी शोषित, वंचित व भेदभाव का शिकार हैं। सभी राजनीतिक दलों ने इस समाज का सिर्फ वोट के लिए इस्तेमाल करने का काम किया है। समाज आज भी समानता और भागीदारी के अधिकारों से वंचित है।

कहा कि ज्ञानी जैल सिंह ने स्वतंत्रता आंदोलन में अग्रणि भूमिका निभायी। ब्रिटीश हुकूमत की यातनाओं के आगे कभी झुकना पसंद नहीं किया। भारत का गृह मंत्री बनते ही उन्होंने स्वतंत्रता सेनानियों को पेंशन की शर्तों को उदार बनाया। स्वतंत्रता सैनिक सम्मान पेंशन का नाम दिया। उन्होंने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया।

अंत में सरकार से ज्ञान जैल सिंह के नाम पर देश सेवा एवं तकनीकी के क्षेत्र में राष्ट्रीय पुरस्कार की घोषणा और संसद भवन के समीप स्वतंत्रता सेनानियों के इतिहास से संबंधित उनके नाम पर संग्रहालय स्थापित कर उनकी प्रतिमा लगवाने की मांग की गई।

इस मौके पर श्रीकांत विश्वकर्मा, डॉ. प्रमोद विश्वकर्मा, नंदलाल विश्वकर्मा, सुरेश विश्वकर्मा, गोविंद, रमेश, नागेंद्र, उमेश, विजय विश्वकर्मा, परमेश्वर, धर्मेंद्र, पुष्कर, चंदू विश्वकर्मा अविनाश, आलोक आदि उपस्थित रहे।