जश्ने इमाम हुसैन का हुआ आयोजन, सिपाही हुसैनी फाउंडेशन ने मनाया हजरत इमाम हुसैन का जन्मदिवस, लोगों में बांटी गई फल व मिठाईया
चन्दौली जिले में पैगम्बर मोहम्मद साहब के नवासे और कर्बला के शहीद इमाम हुसैन (अ.स.) के जन्मदिवस 3 शाबान पर शिया बस्ती में बड़ा आयोजन किया गया। इस दौरान पिछले 25 वर्षों से इस इमाम हुसैन के जन्मदिवस को जश्न के रूप में मना रही सिपाही हुसैनी फाउंडेशन जाफरी स्ट्रीट दुलहीपुर में जश्न का आयोजन किया। इस जश्न में सभी वर्गों और सम्प्रदाय के लोगों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। जीटी रोड पर जहां राहगीरों में फल बांटा गया वहीं पूरे गांव में जश्ने शहंशाहे कर्बला का जुलूस निकाला गया जो कर्बला में जा करा समाप्त हुआ।
शहादत के साथ वेलादत भी करें याद
इस दौरान शिया जमा मस्जिद के जुमा जमाता मौलाना कैसर हुसैन नजफी ने इमाम हुसैन के जीवन पर रौशनी डालते हुए कहा कि पैगाम मोहम्मद साहब के नवासे और शिया मुसलमानों के पहले इमाम; इमाम अली के छोटे बेटे इमाम हुसैन की शहादत को पूरी दुनिया जानती है। दस मोहर्रम यानी रोज़े आशूरा को उन्हें भूखा और प्यासा सन 61 हिजरी में दुर्दांत और आतंकी बादशाह याजीद ने तीन दिन का भूखा और प्यासा शहीद कर दिया था, लेकिन बहुत कम ही लोग जानते हैं की उनका जन्म कब हुआ। उनका जन्म 3 शबरात को हुआ, जिसे हम सब आज मना रहे हैं। सच्चाई और अमन का पैगाम देने वाले इमाम हुसैन के रस्ते पर ही चलकर आज समाज में शान्ति कायम की जा सकती है।
सिर्फ शहादत ही नहीं इमाम हुसैन की जिंदगी से भी सीख ले समाज
इस मौके पर मौजूद उरूज आब्दी (ज़िला अध्यक्ष बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा )ने कहा कि 'इमाम हुसैन की वेलादत के मौके पर आज सिपाहे हुसैनी फाउंडेशन ने हर साल की तरह यह प्रोग्राम जश्ने शहंशाहे कर्बला आयोजित किया। इससे हम दुनिया को बताना चाहते हैं कि इमाम हुसैन का जन्म कब हुआ और उनके जीवन से हमें क्या सीख लेनी चाहिए। समाज सेवी राहिब जाफरी ने कहा सत्य के लिए इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने कर्बला में अपनी जान दे दी पर उनकी ज़िन्दगी भी सच्चाई, देशभक्ति और अहिंसा के साथ ही रही। हमें उनके रस्ते पर चलने की आवश्यकता है।
इस मौके पर सिपाहे हुसैनी फाउंडेशन के अध्यक्ष काशिफ जाफरी ने आए हुए लोगों का स्वागत किया और कहा कि इमाम हुसैन की जिंदगी से यदि समाज सीख ले तो समाज में हर वक़्त अमन और शांति ही रहेगी। किसी तरह का उन्माद जन्म नहीं ले सकता। इस मौके पर राहगीरों को मिठाई और फल बांटा गया और इमाम हुसैन के नाम पर शर्बत और पानी पिलाया गया।
इस दौरान हाजी समर हुसैन हुसैनी, हाजी यासिर हैदर जाफिर, फैज़ मेहंदी जाफरी, जाफर मेहंदी जाफरी, राहिब जाफरी, काशिफ जाफरी, अज़हर हुसैन, मुज़म्मिल हुसैन, शहंशाह हुसैन, मोहम्मद, उरूज आब्दी, शम्स हैदर, आदि लोग मौजूद रहे।