शांति और सद्भाव के साथ मनाया गया पर्व, लौंदा गांव में निकला पचासे का जुलूस
 

जुलूस में काफ़ी संख्या में युवा और बुजुर्गों की भागीदारी रही। जुलूस इमामबाड़े पर पहुंचने के बाद ठंडा किया गया। आखिर में लकड़ी की कलाबाजी और तलवारें भांजकर जुलूस को समाप्त किया गया।
 

जुलूस में  हर तरफ गुजी या हुसैन की सदायें

करबला के शहीदों को किया याद

ख़िराज ए अकीदत पेश की


चंदौली जिले के अलीनगर थाना क्षेत्र के मख़दुमाबाद - लौंदा गांव में कर्बला के शहीद इमाम हुसैन अ. के पचासे पर शब-ए-बेदारी का एहतमाम किया गया। जिसमें शोहदा ए करबला (करबला के शहीदों) को ख़िराज ए अकीदत (श्रद्धांजलि) पेश की गई। शुक्रवार रात में इमाम चौक पर शब-ए-बेदारी का आयोजन किया गया। जिसमें रात भर इमाम हुसैन और उनके जां नशीनों की बेहिसाब कुर्बानियों को याद किया गया। हर साल की तरह इस साल भी 72 शोहदाये कर्बला की याद में अंजुमन जौव्वादीया के जानीब से 198 वां पचासा मनाया गया। जिसमें 15 सितंबर, शुक्रवार को बाद नमाज़ असर शाम 4:30 बजे अलम का जुलूस निकला का जुलूस उठाया गया। अलम में अलग-अलग किस्म के बड़े व छोटे कई झंडे लेकर लोग चल रहे थे।

अलम को पूरे सम्मान के साथ कोट स्थित मख़दुमाबाद बाबा के नीम के पेड़ पर झुकाकर चौक दरवाजे रखा गया। उसके बाद अंगारे का मातम हुआ व बाद नमाज़ इशा रात 9 बजे ताजियां का जुलूस मरहूम सगीर दादा के दरवाज़े से इमाम चौक तक अंजुमन जौव्वादीया के अज़ादार लेकर निकलें। जिसमें मोमिनो ने अपनी मन्नतें मांगी। अंजुमन जौव्वादिया के मिडिया प्रभारी फरहान अहमद ने बताया कि गम ए हुसैन के सिलसिले में इमाम हुसैन और शहीदाने कर्बला का पचासवां दिन खासतौर पर आयोजित होता है। यह दिन पचासे के रूप में मनाया जाता है।

शब-ए-बेदारी में ये अंजुमनों ने पड़ा नौहा


सोमवार 26 की रात इमाम चौक पर शब-ए-बेदारी (रातभर जागकर मौला को याद किया) जिसमें पूर्वांचल की नामचीन अंजुमनों ने भाग लिया और कलाम पेश किया।

(1) अंजुमन यादगारे हुसैनी दुलहीपुर चंदौली से शाबये ब्याज चिराग अली, मोहर्रम अली व जाकिर हुसैन ने कलाम पेश किया। जान सर्वर को फिदा करने को तैयार हैं हम।

 (2) अंजुमन फिदाये हुसैन टड़िया, चन्दौली के शाबये ब्याज़ अफरोज आलम ने अलम बलंद तुम्हारा हुसैन जिंदाबाद, लगाओ झूम के नारा हुसैन जिंदाबाद उसके बाद जैहरा के लाल अली बाबा के दुलारे रन चले सिर्फ खुदा सहारे (नौहा) पेश किये।

(3) अंजुमन रौनके अज़ा जलालपुर अकबरपुर अम्बेडकर नगर के शाबये ब्याज़ अली जहीर, कासिम हसन ने अजमो अमन की राह दिखाती है कर्बला, सोये हुए को जमीन दिखाती है कर्बला अपना कलाम पेश किया।

(4) अंजुमन अंसारे हुसैन कदिम मुबारकपुर, आजमगढ़ के शाबये ब्याज़ दिलवर रज़ा व मोहम्मद मेहंदी ने अपना कलाम पेश किया। एक बिमार ने तोड़ा है हुकूमत का भरम। नेज़ामत शहंशाह मिर्जापुरी व हाजी नुरूल हक ने किया। मेहमान खुशुशी में मालय चंदौलवी, वसीम अहमद कादरी, सर्वर अली, फिरोज अहमद आदि लोग रहे। मेहमान व अंजुमनों का इस्तेकबाल फिरोजे वकील व नाजीम दरोगा ने किया। इसके बाद भोर में चौक पर बैठी ताजियां को बनाने में दिनभर गांव के कई युवा सजाये संवारे। यह जुलूस हमारे हुज़ूर मोहम्मद पैगंबर के नवासे इमाम हुसैन की याद में निकाला गया। इमाम चौक पर शबेदारी का सिलसिला पूरी रात चलता रहा।

 खूब हुआ जंजीर का मातम

शनिवार बाद नमाज़ जोहर 2 बजे कमेटी अंजुमन जौव्वादीया की तरफ़ से शबे ब्याज़ परवेज़ अहमद लाडले, आसिफ़ इकबाल, तमशीर मिल्की, फैजान अहमद, मुख्तार अहमद अप्पू, फैज अहमद कैप्सी, शान बाबू आदि ने नौहां पढ़ा। वही पूरे गाँव का भ्रमण कर एक बड़ा जुलूस निकला, जिसमें युवाओं द्वारा जंजीर किया गया। जुलूस जिस- जिस रास्ते से गुजर रहा था, उसमें अपने-आप नौजवान, बुजुर्ग, बच्चे व हर वर्ग के लोग शामिल होतें चले जा रहे थे। जुलूस में काफ़ी संख्या में युवा और बुजुर्गों की भागीदारी रही। जुलूस इमामबाड़े पर पहुंचने के बाद ठंडा किया गया। आखिर में लकड़ी की कलाबाजी और तलवारें भांजकर जुलूस को समाप्त किया गया। जुलूस में प्रशासन का बड़ा  सहयोग रहा अलीनगर थाने के निरीक्षण शेषधर पांडेय व पुलिस चौकी लौंदा के इंचार्ज जितेन्द्र उपाध्याय मय फोर्स के साथ डटे रहे, जिससे जुलूस शानदार तरीके से सफल हुआ।

जुलूस में शिरकत करने वाले प्रमुख संरक्षक खुर्शीद प्रधान, अध्यक्ष आसिफ़ इकबाल, उपाध्यक्ष अशरफ जमाल राजू, कोषाध्यक्ष तुफैल अहमद राजू, डॉ तारिक, एखलाक अहमद लख्खू, मो अली बुद्धन, मेराज अहमद (नन्हे नेता), फिरोज अहमद (एडवोकेट), क्यामुद्दीन  (मोलीसा) अफरोज छोटे, वसीम मिल्की, बाबू भाई सौदी, सद्दाम हुसैन, मोजीब मिल्की, खुर्शीद अकरम (पाले बाबा), मिनहाज अहमद, सरवर अली, पप्लू प्रधान, डॉ बग्गा, सोनू मास्टर, एमडी इंसाफ़, अजीम पिंटू, फैजान, हारून, मामुन, अद्दू, कल्लू, मोज्जम, हरान, बाबू, कौसर अली, अयान, आशु, हारिश, कामरान, टिल्लू, तारीख भाई, गोलू, उबैद, जैद, फहद, पन्नू, नदीम, सहबाज, लाडले  सहित सैकड़ों लोग शामिल हुए।