पहले कोई नहीं सुनता था फरियाद, अब सुरक्षा में लगी है पुलिस फोर्स
 

पीडीडीयू नगर संपूर्ण समाधान दिवस के मौके पर जो महिला आत्मदाह करने जा रही महिला की सुरक्षा के लिए उसके घर पर दो कांस्टेबल को भी लगा दिया गया।
 

मामले के असली गुनहगार लेखपाल पर कब होगा एक्शन

कई गांवों के कामों में कर चुका है मनमानी

आ चुका है नाम

मधु के घर पर लगाई गई पुलिस फोर्स

चंदौली जिले के पीडीडीयू नगर संपूर्ण समाधान दिवस के मौके पर जो महिला आत्मदाह करने जा रही थी उसकी बस एक ही मांग थी कि न्यायालय में विचाराधीन मुकदमे के बाद भी विपक्षीगण ने बाउंड्री बना दिया, जिसको रोकने 40 से 50 बार संपूर्ण समाधान दिवस, थाना व तहसील दिवस से बात नहीं बनी तो महिला ने गोरखपुर मुख्यमंत्री के जनता दरबार में प्रार्थना पत्र देकर गुहार लगाई। लेकिन हल्का लेखपाल द्वारा जो रिपोर्ट लगाकर आगे भेजी जा रही थी, वह काबिले-गौर थी। वह बिना जांच के रिपोर्ट लगाकर भेज दिया करता था, जिसके वजह से उसको न्याय नहीं मिल पाता था।

वहीं शनिवार को जब जिलाधिकारी के सामने पेट्रोल डालकर आत्महत्या की कोशिश की तो सारे लोगों का ध्यान उसकी समस्या पर गया और 2 घंटे में उसकी मदद करने के लिए उपजिलाधिकारी व पुलिस क्षेत्राधिकारी गांव पहुंच गए और मौके पर बनी दिवाल को गिराकर उसकी मदद करने को उतावले दिखे। इतना ही नहीं महिला की सुरक्षा के लिए उसके घर पर दो कांस्टेबल को भी लगा दिया गया।

आपको बता दें कि पट्टे की जमीन पर अवैध कब्जा और पक्का निर्माण कर रास्ता अवरुद्ध किए जाने से नाराज 35 वर्षीय महिला मधु बिंद ने मुगलसराय तहसील कार्यालय में जिलाधिकारी के सामने ही खुद पर पेट्रोल उड़ेलकर आत्मदाह की कोशिश की थी। दरअसल मधु पिछले दो वर्षों से न्याय के लिए अधिकारी कार्यालयों का चक्कर काट रही थी। डीएम, एसडीएम, तहसीलदार और नायब तहसीलदार तक उसका शिकायती प्रार्थना पत्र पहुंचा लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। 

महिला का आरोप है कि इलाके का एक यादव लेखपाल विपक्षी से पैसे खाकर उसकी जमीन पर कब्जा करवा दिया था और दावा भी किया था, कि कितना भी जोर लगा लो लेकिन कुछ होने वाला नहीं है। इसीलिए महिला को तहसीलदार भी घुड़की देकर भगा देते थे। महिला का यह भी आरोप था कि न्यायालय में विचाराधीन मुकदमे के बाद भी विपक्षीगढ़ जमीन पर बाउंड्री घेर लिया था, जिसकी शिकायत करने के लिए गोरखपुर मुख्यमंत्री जनता दरबार से लेकर संपूर्ण समाधान दिवस पर 50 से अधिक प्रार्थना पत्र दिया लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई। तब महिला को लगने लगा कि गरीबों के लिए न्याय पाना अब आसान नहीं है। उच्च अधिकारी हर बार अपने-अपने तरीके से जांच के लिए लिख देते थे, लेकिन जो हल्का लेखपाल बिना मौके पर निरीक्षण किए ही फर्जी तरीके से रिपोर्ट लगाकर आगे पेश कर देता था। जिसकी वजह से उसे न्याय नहीं मिल पाता था।

जब महिला ने आखिरी बार शिकायत करके जान देने की कोशिश तो सब लोग मदद करने का रास्ता बनाने लगे। एक ओर जहां दिवाल गिरा दी गयी वहीं शनिवार दोपहर से ही गांव में दो कांस्टेबल  लगा दिए गए। ताकि उसकी सुरक्षा की जा सके और उसके साथ कोई अनहोनी न हो।


 लेखपाल है मामले में असली खिलाड़ी

हालांकि इस मामले में चंदौली के डीएम ने भी स्वीकार किया है कि इस मामले के नीचे के कर्मचारियों ने गलती की है, जिसकी वजह से अब मामले की जांच एसडीएम को जांच सौंप दी है।अब देखना होगा कि एसडीएम साहब जांच करके क्या रिपोर्ट लगा पाते हैं या एक बार फिर मामले की लीपापोती कर एक फाइल  दबाकर अलमारी में रख दी जाती हैं या पीड़ित महिला को वाकई न्याय देते हैं।

इसीलिए लोगों का कहना है कि ऐसे मनमाने लेखपाल को बचाकर तहसील के आलाअफसर अपनी फजीहत को कराने का मौका दे रहे हैं। इस मामले में जिलाधिकारी को खुद संज्ञान लेना चाहिए और जो भी कर्मचारी दोषी पाया जाए उनको सजा देनी की कार्रवाई समेत कम से कम सुदूरवर्ती नौगढ़ तहसील में भेज देना चाहिए।