कब और कैसे होगी नगर पालिका के जर्जर भवन की मरम्मत, कई दशकों से नए भवन की दरकार
पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर का भवन पूरी तरह से जर्जर
हर जगह दीवारों में आ गई है दरारें
बरसात में टपकता है छत
उसके बावजूद काम करने को मजबूर है कर्मचारी
आखिर कब होगा इसका कायाकल्प
चंदौली जिले के पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर का भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। लगभग छह दशक पूर्व बने पालिका भवन की दीवारें दरक चुकी हैं। वहीं सीढ़ी से लेकर गलियारे तक में कई स्थानों पर छत का छप्पर टूटा हुआ है। बारिश के दिनों में छत जगह-जगह से टपकती है। जर्जर भवन में छत से गिरता छप्पर कभी भी कर्मचारी या फिर आम शहरवासी के लिए दुर्घटना का कारण बन सकता है।
आपको बता दें कि वर्ष 1920 में नगर क्षेत्र मुगलसराय नोटिफाइड एरिया हुआ करता था। वर्ष 1958 में नगर पालिका क्षेत्र घोषित किया गया। उस दौरान पुरानी फायर ब्रिगेड में इसका कार्यालय हुआ करता था। इसके बाद वर्ष 1962 में नगर पालिका कार्यालय बनने की शुरुआत हुई। जो एक वर्ष में बनकर तैयार हो गया। नगर पालिका के दर्जे में समय दर सयम वृद्धि होती गई। वर्ष 1966 में नगर पालिका को तृतीय श्रेणी का दर्जा प्राप्त हुआ। इसके बाद वर्ष 1979 में नगर पालिका को प्रथम श्रेणी का दर्जा प्राप्त हुआ। इसके बाद नगर पालिका को आदर्श नगर पालिका का दर्जा दे दिया गया।
बीतते वक्त के साथ नगर पालिका का दर्जा तो बढ़ता गया लेकिन इमारत जर्जर होती चली गई। सूबे में सत्ता परिवर्तन के बाद वर्ष 2017 में नगर पालिका मुगलसराय का नाम बदलकर पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर कर दिया गया। नाम परिवर्तन के साथ लोगों में शहर के बदलाव की उम्मीद जगी। वहीं कर्मचारियों ने आस लगाई कि नगर पालिका कार्यालय के भवन की भी सूरत बदलेगी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
हालात यह हो गए हैं कि बारिश के दिनों में कार्यालय में टपकती छत के कारण कर्मचारियों को बैठने में मुश्किल होती है। वर्तमान में पालिका कार्यालय की दीवारें कई जगहों से दरक चुकी हैं। सीढ़ी से लेकर गलियारे में कई स्थानों पर छत के छप्पर टूटकर गिर चुके हैं। यहां तक कि निर्माण विभाग के जेई के कक्ष में भी बारिश होने पर पानी टपकता रहता है।
इस संबंध में पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर के प्रभारी ईओ अविनाश कुमार ने बताया कि नगर पालिका के जर्जर भवन के निर्माण के लिए प्रस्ताव तैयार कराया जा रहा है। शीघ्र ही प्रस्ताव को उचित पटल पर रखकर भवन निर्माण के लिए कार्रवाई को आगे बढ़ाया जाएगा।
PDDU