संजने लगे हैं दुर्गापूजा पंडाल, बंगाल के कारीगर दिखा रहे हैं कारीगरी 
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चंदौली जिले के मुगलसराय और आसपास के इलाकों में दुर्गापूजा पंडाल धीरे-धीरे मूर्तरूप लेने लगे हैं। नगर के विभिन्न हिस्सों में पूजा समितियों की ओर से भव्य पंडाल बनाए जा रहे हैं।
 

जिले में जोर-शोर से हो रही दुर्गा पूजा की तैयारी

बनाए जा रहे हैं बड़े और भव्य पंडाल

 संवर रही है मां दुर्गा की प्रतिमाएं

बंगाल से आए कारीगर बना रहे हैं मूर्तियां 

 

चंदौली जिले के मुगलसराय और आसपास के इलाकों में दुर्गापूजा पंडाल धीरे-धीरे मूर्तरूप लेने लगे हैं। नगर के विभिन्न हिस्सों में पूजा समितियों की ओर से भव्य पंडाल बनाए जा रहे हैं। इन पंडालों में मां दुर्गा की भव्य मूर्ति स्थापित की जाएंगी। साथ ही साथ रंग-बिरंगे फूलों, रोशनी और सजावटी सामग्री से पंडालों को आकर्षक ढंग से सजाने की तैयारियां की जा रहा है। वहीं बंगाल से लायी गयी मिट्टी से देवी की प्रतिमाएं तैयार करने के बाद फिनिशिंग टच दिया जा रहा है, जो आने वाले दिनों में पूजा पंडालों में आकर्षण का केंद्र होंगी। 


आपको बता दें कि पूजा समितियों की ओर से विशेष रूप से तैयार किए गए इन पंडालों में भक्तों को आकर्षित करने के लिए विभिन्न प्रकार की गतिविधियां व सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इन पंडालों में भक्तों की भीड़ उमड़ेगी। यह त्योहार शहर में उत्साह और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। पीडीडीयू नगर के लाट दो व मानस नगर में पंडाल का निर्माण कार्य तेजी से किया जा रहा है। आसपास के लोगों में काफी उत्साह है। 

इसके लिए जगह जगह पर पुलिस भी सुरक्षा व्यवस्था के लिए मुस्तैद है। शासन की ओर से सुरक्षा के विशेष निर्देश दिए गए हैं, ताकि किसी भी तरह की दुर्घटना न हो। लाट दो पर बन रहा पंडाल अपने आप में अद्वितीय और भव्य मंदिर का रूप लेगा, जो प्राकृतिक सौंदर्य का अनोखा नजारा प्रस्तुत करेगा।

बंगाल के कारीगर बना रहे  दुर्गा की प्रतिमाएं


बंगाल से आए कलाकार जीना पाल की टीम द्वारा नगर के रेलवे सेंटर कालोनी में मां दुर्गा की प्रतिमा तैयार की जा रही है। यहां पर 100 से अधिक प्रतिमाओं का निर्माण किया जा रहा है। दीना पाल ने बताया कि दस हजार से लेकर 50 हजार तक की कीमत की मां की प्रतिमा पूजा कमेटियों की ओर से बनवाया जा रहा है। बताया कि उनके द्वारा जो प्रतिमा का निर्माण किया जाता है, उसमें बंगाल की मिट्टी के साथ ही मां का श्रृंगार, अस्त्र-शास्त्र सभी कुछ कोलकाता से लाकर इस्तेमाल किया जाता है।