पानी से घिरे हैं इस इलाके के लोग, नगर पालिका के पास नहीं है कोई प्लान  

पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर के वार्ड नंबर 15 काली महाल में जल जमाव से लोग परेशान हैं। मंदिर के रास्ता बन्द होने के कारण महिलाओं को 100 मीटर की दूरी को 1 किलोमीटर चलकर पूरा करना पड़ता हैं।
 

काली महाल में जल जमाव से लोग परेशान

अधिकारी जानबूझकर बने हैं अनजान

आखिर कब मिलेगा ग्रामीणों को इस परेशानी से छुटकारा

चंदौली जिले के पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर के वार्ड नंबर 15 काली महाल में जल जमाव से लोग परेशान हैं। मंदिर के रास्ता बन्द होने के कारण महिलाओं को 100 मीटर की दूरी को 1 किलोमीटर चलकर पूरा करना पड़ता हैं। आखिर कौन दिलाएगा इन्हें समस्या से निजात?


आपको बता दें कि स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन और सत्ता पक्ष के विधायक रमेश जायसवाल के खिलाफ जमकर अपनी भड़ास निकाली है। आश्चर्य कि बात है कि रिटायर रेलवे कर्मचारी 2 साल से अपने ही घरों में कैद है। जिनकी कोई सन्तान नहीं है। पड़ोसी ब्राह्मण परिवार उन्हें रोजमर्रा के सामान मुहैया कराते हैं। देखना होगा की क्या विधायक और विकास पुरुष सांसद महेंद्र नाथ पाण्डेय का ध्यान कब इस ओर पड़ता है। 


एक तरफ मोदी और योगी जहां विकास की गंगा बहा रहे हैं तो वहीं पीडिडियू नगर में लोगों को मूलभूत सुविधाओं से वंचित होना पड़ रहा है। ऐसे में सवाल उठता है की कब बनेगी सड़क और जल जमाव से कब मिलेगी स्थानीय लोगों को राहत । काली महाल में लगभग सात आठ बीघा में 10 फीट तक पानी लगा हुआ है। इस समस्या को संपूर्ण समाधान दिवस में स्थानीय लोगों ने डीएम समेत दर्जनों अधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत किया। लेकिन किसी ने आम जनता की सुध नहीं ली। जिसके चलते लोगों में जिला प्रशासन और विधायक के प्रति काफी नाराजगी देखने को मिल रही है। गहरे जल जमाव से कई घरों के लोग यहां से पलायन कर गए हैं। 


 हालांकि की शिकायत पर नगर पालिका परिषद के अधिशासी अधिकारी रोहित सिंह ने बताया कि वार्ड नंबर 15 में जलभराव की स्थिति वास्तव में विषम है। जेई को तत्काल उचित व्यवस्था के निर्देश दिए हैं। मौके पर जाकरखुद निरीक्षण कर जलभराव की समस्या का समाधान किया जाएगा। हालांकि इस दौरान एक बात आश्चर्य भरी रही कि योगी सरकार के तमाम निर्देशों के बावजूद अधिशासी अधिकारी समय से कार्यालय पहुंचने में असमर्थ रहे। आवास पर ही कालोनी वासियों के जटिल समस्या के निदान का आश्वासन देते दिखे। अब बड़ा सवाल उठता है कि जहां सरकार द्वारा तमाम विकास परक योजनाएं संचालित की जा रही हैं वहीं इस जटिल समस्या से कब आमजन को निजात मिल पाएगी। 

अब देखना है कि घर पर बैठ निरीक्षण और समस्या के समाधान का आश्वासन देने वाले संबंधित अधिकारी सुधि लेते हैं, या मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।