नौगढ़ में दीक्षा संस्कार से सैकड़ों बने गायत्री साधक, गर्भवती महिलाओं का भी पुंसवन संस्कार
नौगढ़ में गायत्री महायज्ञ के तीसरे दिन सैकड़ों परिवार के लोगों ने अपने अपने नौनिहालों के संस्कार कार्यक्रम संपन्न कराएं। इस दौरान आचार्य अनिल सिंह और मंदाकिनी मिश्रा ने दीक्षा संस्कार, मुंडन संस्कार, यज्ञोपवीत, जन्मदिन संस्कार, विद्यारंभ और दीक्षा संस्कार कराए।
चंदौली जिले के तहसील नौगढ़ में दुर्गा मंदिर पोखरा पर चल रहे 9 कुंडीय गायत्री महायज्ञ एवं प्रज्ञा पुराण कथा के तीसरे दिन नौगढ़ इलाके के कई परिवारों द्वारा अपने-अपने नौनिहालों के संस्कार कार्यक्रम संपन्न कराए गए। इस दौरान आचार्यों अनिल सिंह और मंदाकिनी मिश्रा ने दीक्षा संस्कार, मुंडन संस्कार, यज्ञोपवीत, जन्मदिन संस्कार, नामकरण, विद्यारंभ और दीक्षा संस्कार कराए।
गायत्री महायज्ञ में पीत वस्त्रों से सजे परिजनों ने देव पूजन एवं यज्ञ कार्यक्रम में प्रतिभाग कर यज्ञ भगवान से अपनी अपनी प्रार्थना की। शांतिकुंज के प्रतिनिधि अनिल सिंह ने कहा कि गंगा व गायत्री दोनों ही मात्र के रूप में वंदनीय है और भारतीय संस्कृति की आधार स्तंभ है। गंगा के बिना भारत देश की महानता व पवित्रता अधूरी है, गायत्री के बिना मनुष्य की उत्कृष्टता अधूरी है।
आचार्य अनिल सिंह ने कहा कि गुरुदेव श्री राम शर्मा ने मां गायत्री की कठोर तपस्या कर माता के मंत्र को जन-जन के लिए सुलभ बनाया। समिति के अध्यक्ष भगवानदास अग्रहरि और शिवनारायण जायसवाल और युवाओं ने इसे बड़ा ही पुनीत कार्य बताया। महाकाल एवं गायत्री माता की आरती के पश्चात शंखनाद के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। वहीं देर शाम तक प्रज्ञा पुराण कथा का आनंद भक्त उठाते रहे। कथा में अनेक प्रसंगों से भक्तों को राम के आदर्शों एवं जीवन चरित्र के बारे में बताया गया।
महायज्ञ में प्रमुख रूप से शंकर सेठ, कांता जायसवाल, डॉ के के घटक, ओमप्रकाश प्रकाश शर्मा, शीतला श्रीवास्तव, देवेंद्र साहनी, राजू पांडे, विनोद मद्धेशिया सुरेश चंद्र पांडे शांति पांडे समेत काफी संख्या में लोग मौजूद थे।
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कार्यक्रम में 100 बच्चों को विद्यारंभ और 10 लोगों को दीक्षा संस्कार कराए गए
कार्यक्रम के दौरान 100 बच्चों का विद्यारंभ संस्कार और 10 लोगों का दीक्षा ने बुराई और बेसन छोड़ने का संकल्प लिया। इसके साथ ही नित्य गायत्री चालीसा गायत्री महामंत्र जाप एवं स्वाध्याय करने का संकल्प लिया। मिशन की पत्र पत्रिकाएं अखंड ज्योति, युग निर्माण योजना एवं गुरुदेव द्वारा रचित साहित्य जन-जन तक पहुंचाने का भी संकल्प लिया गया। इसी क्रम में यज्ञ आचार्य ने दीक्षा लेने वाले लोगों को यज्ञ के आध्यात्मिक महत्व के साथ ही वैज्ञानिक महत्व के बारे में जानकारी भी दिया।