कृष्ण रुक्मणी का हुआ विवाह, झूम कर नाचे श्रद्धालु

दुर्गा मंदिर पोखरा पर रविवार की रात श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में कृष्ण-रुक्मणी विवाह के दौरान श्रद्धालुओं ने जहां भक्ति संगीत के बीच श्रद्धालुओं ने गोते लगाए वही मंगलगीत गाते हुए श्रद्धालु भाव विभोर होकर झूम कर नाचे, महिलाओं ने रुक्मणी का कन्यादान की रस्म अदा की।जमकर नृत्य किया।
 

चंदौली जिले के नौगढ़ तहसील के दुर्गा मंदिर पोखरा पर रविवार की रात श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में कृष्ण-रुक्मणी विवाह के दौरान श्रद्धालुओं ने जहां भक्ति संगीत के बीच श्रद्धालुओं ने गोते लगाए वही मंगलगीत गाते हुए श्रद्धालु भाव विभोर होकर झूम कर नाचे, महिलाओं ने रुक्मणी का कन्यादान की रस्म अदा की।जमकर नृत्य किया।

भागवताचार्य गौरीश पांडे ने भागवत कथा का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान श्री कृष्ण गोवर्धन पूजा अर्चना करवाई जिसके फलस्वरूप सभी ब्रज वासियों को इंद्रदेव के क्रोध को देखना पड़ा। इंद्रदेव ने मेघा को भारी बारिश का आदेश दिया तब कन्हैया ने संपूर्ण ब्रज वासियों एवं समस्त जीवो की रक्षा के लिए अपने कनिष्ठ उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर रक्षा की। उन्होंने बताया कि विश्वकर्मा जी से सागर के किनारे एक भव्य द्वारिका नगरी का निर्माण कराया और भगवान कन्हैया द्वारिकाधीश कहलाए। कृष्ण के सखा ऊधौ के वृंदावन आगमन का रोचक प्रसंग सुनाते हुए कहा कि भगवान कृष्ण को 16108 गोपियों ने अपने पति के रूप में प्राप्त कर लिया था। उनमें एक रुक्मणी भी थीं जबकि रुक्मणी का भाई उनका विवाह शिशुपाल से कराना चाहता था लेकिन, रुक्मणी ने अपनी समर्पण भावना की पराकाष्ठा को दर्शाते हुए जगत जननी मां दुर्गा की पूजा की तो कृष्ण ने तुरंत आकर उनको अपना लिया।

रुक्मणी और कृष्ण का विवाह बड़ी धूमधाम से मनाया गया। कथा व्यास द्वारा प्रस्तुत किए गए गीतों पर लोग झूम उठे। अपने प्रवचन में उन्होंने कहा कि भगवान अपने भक्तों का सदैव ख्याल रखते हैं। जरूरत इस बात की है कि भक्त भगवान को समर्पण भाव से याद करें।

इस दौरान थाना प्रभारी दीनदयाल पांडे और उनके हमराही मुस्तैद नजर आए। ‌ भागवत कथा में  मुख्य यजमान शिव नारायण जायसवाल, सुनीति रामायणी, प्रमुख समाज सेवी प्रभु नारायण, द्वारिका नाथ, गुलाब केशरी, मौलाना यादव, कृष्ण कुमार, मनीष जायसवाल के अलावा काफी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।